कूड़ा निकालने के लिए 52 साल के लेकॉम्त प्रशांत महासागर में 555 किमी तैरे, बोले- लगा कि समुद्र में प्लास्टिक सूप तैर रहा
By : Devadmin -
वॉशिंगटन. जो लोग कुछ कर गुजरना चाहते हैं, उनके लिए कुछ नामुमकिन नहीं। फ्रांसीसी मूल के बेन लेकॉम्त (52)प्रशांत महासागर से कचरा निकालने के लिए 555 किमी तैरे। यह दूरी उन्होंने 80 दिन में तय की। इसके लिए बेन समुद्र में रोज 8 घंटे तैरे। उनके मुताबिक, समुद्र में मुझे जो दिखा, उससे दंग रह गया। ऐसा लगा कि जैसे समुद्र में प्लास्टिक का सूप तैर रहा हो।
बेन अमेरिका में 1991 से रह रहे हैं। लंबी दूरी के तैराक बेन प्रशांत महासागर के कचरे के ढेर ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच में भी तैरे। प्रशांत महासागर के अभियान को उन्होंने पैसिफिक ट्रैश वॉर्टेक्स नाम दिया। हालिया सर्वे के मुताबिक, पैसिफिक गारबेज पैच में 79 हजार मीट्रिक टन प्लास्टिक है। माना जाता है कि 2011 में इसका 10-20% कचरा जापान की सुनामी से समुद्र में आया।
फ्रांस से तिगुनेक्षेत्रफल वाले इलाके में फैला कचरा
उत्तर अमेरिका और जापान के बीच प्रशांत महासागर में 16 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में कचरा फैला हुआ है। यह फ्रांस के आकार से तिगुना है। लेकॉम्त कहते हैं कि मुझे जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ, जब मैंने वहां टूथब्रश, प्लास्टिक बैग, बीच पर खेले जाने वाले खिलौने, मछली पकड़ने का जाल, केन और लॉन्ड्री बास्केट देखी। गारबेज पैच में माइक्रोप्लास्टिक (प्लास्टिक के बहुत छोटे कण)काफी मात्रा में हैं। ऐसा लगता है कि समुद्र में प्लास्टिक सूप तैर रहा हो।
रिकॉर्ड जो बेन लेकॉम्त के नाम बने
बेन दुनिया के चुनिंदा सबसे लम्बी दूरी के तैराक में से एक हैं और अब तक कई रिकॉर्ड बना चुके हैं। 1998 में 31 साल की उम्र में केप कॉड से फ्रांस तक 5618 किलोमीटर का सफर तैरकर पूरा किया और अटलांटिक महासागर पार करने वाले पहले तैराक बने। 2018 में बेन ने टोक्यो से सैन फ्रांसिस्को तक 8851 किमी तैरकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इस दौरान रास्ते में पड़ने वाले 1600 किलोमीटर के पैसिफिक गारबेज पैच को भी पार किया। यात्रा के दौरान 2778 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद तूफान से साथ चल रही नाव का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन सफर थमा नहीं।
समुद्र की गंदगी दुनिया के सामने लाने का प्रयास
प्रशांत महासागर में कचरे के सबसे बढ़े ढेर से सामना होने पर उन्होंने इसे दुनिया के सामने लाने का फैसला किया। सफर के दौरान 9 लोगों की टीम ने गारबेज पैच में जमीं प्लास्टिक का डाटा तैयार किया। टीम में शामिल शोधकर्ता ड्रियू कहते हैं, हम यह जानना चाहते थे कि गार्बेज पैच दिखता कैसा है, वहां किस तरह की प्लास्टिक का ढेर लगा हुआ है? नाव में तैरता हुआ जीपीएस ट्रैकर लगाया गया था, जो कचरे के बड़े-बड़े हिस्सों को ट्रैक कर रहा था। रिपोर्ट में सामने आया कि 43 हजार ज्यादा प्लास्टिक के टुकड़े मिले। कचरे में मौजूद प्लास्टिक किस तरह काहै, यह पता लगाने के लिए खास किस्म का जाल दिन में दो बार 30 मिनट के लिए नाव से लटकाया जाता था।
सफर के साथ बढ़ते गए प्लास्टिक के टुकड़े
शोधकर्ता ड्रियू के मुताबिक, हवाई से सफर की शुरुआत 14 जून, 2019 को हुई। इसकी शुरुआत में हमें हर 30 मिनट में 40-80 प्लास्टिक के टुकड़े मिले। जैसे नाव आगे बढ़ी, टुकड़ों की संख्या तेजी से बढ़ती गई। जुलाई तक जाल में टुकड़ों की संख्या हजारों में बदल गई और 30 मिनट में माइक्रोप्लास्टिक के 3028 टुकड़े मिले। माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े मछलियों के पेट में पहुंच रहे हैं। जाल में फंसी कई मछलियों में प्लास्टिक के बड़े टुकड़े भी देखे गए।
60 फीसदी कपड़ों में प्लास्टिक का इस्तेमाल
टीम के एक सदस्य रॉयर के मुताबिक, हमारे कपड़ों में भी प्लास्टिक पॉलिस्टर, नायलॉन, लाइक्रा या पॉलीप्रॉपेलीन के रूप में होता है। जब ऐसे 6 किलोग्राम तक वजन वाले कपड़े धोए जाते हैं तो करीब 7 लाख माइक्रो-फायबर निकलता है। कपड़ों को झिटकने पर कुछ हवा में तो कुछ पानी में बहते हुए समुद्र में जाकर मिलता है। एलन मेकेरथर फाउंडेशन के मुताबिक, वर्तमान में इस्तेमाल हो रहे कपड़ों को बनाने में 60 फीसदी प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है।
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Source: Health