क्या होती है जुवेनाइल डायबिटीज जिससे मौसमी चटर्जी की बेटी की मौत हुई, पांच सवाल-जवाब से समझिए
By : Devadmin -
हेल्थ डेस्क. अभिनेत्री मौसमी चटर्जी की बेटी पायल का गुरुवार रात निधन हो गया। वह जुवेनाइल डायबिटीज से जूझ रही थीं। अप्रैल 2017 में स्थिति ज्यादा बिगड़ रही थी और 2018 तक वह कोमा में चली गईं। यह बच्चों में होनी वाली डायबिटीज है। इसके लक्षण नजरअंदाज करने पर स्थिति गंभीर बनती है। मशहूर मेडिकल न्यूट्रीशनिस्ट डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी से जानिए क्या है जुवेनाइल डायबिटीज और इसे कैसे समझें…
Q 1 – क्या है जुवेनाइल डायबिटीज?
इसे टाइप-1 डायबिटीज भी कहते हैं। इसके मामले 18 साल की कम उम्र के बच्चों में देखे जाते हैं। यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसमें पेन्क्रियाज बेहद कम इंसुलिन बनाता है या कुछ मामलों में बनाता ही नहीं है। इंसुलिन एक हार्मोन है जिसकी मदद से ही शुगर कोशिकाओं में पहुंचकर शरीर में ऊर्जा देता है। पेन्क्रियाज की इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाएं वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण या एंटीबॉडीज के बनने से जब नष्ट हो जाती हैं तो इंसुलिन बनना कम या बंद हो जाता है। इससे ब्लड में शुगर का स्तर अनियमित होने लगता है।
Q 2 – कैसे पहचानें और कब अलर्ट हो जाएं?
टाइप-1 डायबिटीज के लक्षण कई बार बच्चों में अचानक नजर आते हैं। जैसे बहुत ज्यादा प्यास लगना, बार-बार यूरिन आना, रात में सोते समय बिस्तर गीला करना, अत्यधिक भूख लगना, तेजी से वजन घटना। इसके अलावा बच्चे का मूड बदलना और आंखों से धुंधला दिखना जैसे लक्षण नजर आते हैं तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
Q 3 – क्यों होती है जुवेनाइल डायबिटीज?
इस बीमारी की वजह अब तक पता नहीं चल सकी है। यह एक तरह की ऑटो-इम्यून डिसीज है। आमतौर पर शरीर का इम्यून सिस्टम बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करता है लेकिन ऑटो-इम्यून डिसीज की स्थिति में यही सिस्टम पेन्क्रियाज की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को खत्म करने लगता है। इसकी वजह आनुवांशिक या वायरस का संक्रमण भी हो सकती है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है। इसके अधिकतर मामले 4-7 साल या 10-14 साल की उम्र में सामने आते हैं।
Q 4 – बच्चा डायबिटिक है तो पेरेंट्स क्या ध्यान रखें?
- सबसे ज्यादा ध्यान दवाओं और खानपान का रखें। समय-समय पर ब्लड टेस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेते रहें।
- बच्चे को कोल्ड ड्रिंक्स, जंक फूड, चावल, मिठाई, आलू जैसी चीजें न दें।
- ज्यादा देर तक खाली पेट न रहने दें। डॉक्टरी सलाह से उसका डाइट प्लान बनाएं और फॉलो करें।
- फिजिकल एक्टिविटी के लिए उसे प्रेरित करें और इसमें उसका साथ भी दें।
- इसके स्थायीतौर पर काबू में करने के लिए अब तक कोई दवा नहीं बन सकी है इसलिए समय-समय पर डॉक्टरी सलाह जरूरी है।
Q 5 – डायबिटीज के दो रूपों टाइप 1 और टाइप 2 में क्या फर्क है?
टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के दो रूप हैं। इनमें से टाइप-1 ज्यादा गंभीर है क्योंकि ये बच्चों को ज्यादा प्रभावित करती है। टाइप-2 के साथ इतनी परेशानी नहीं जितनी की टाइप-1 के साथ। ऐसे में एक बार बच्चा इंसुलिन पर निर्भर हो जाए तो फिर जिंदगीभर की परेशानी हो सकती है। आसान भाषा में, दोनों ही स्थितियां गंभीर हैं लेकिन टाइप-1 बच्चे को असहाय बना सकती है। हमारे पास कई ऐसे बच्चे आते हैं जिनकी ब्लड शुगर बहुत बढ़ी होती है और ऐसे में अगर वो इंसुलिन की बजाए अपनी डाइट से स्थिति को सुधारे तो ज्यादा बेहतर नतीजे हो सकते हैं।
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Source: Health