हेल्थ डेस्क. भारत में इलाज के मामले में भी लिंगभेद हावी रहता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को बीमारी के बाद भी अस्पताल में कम भर्ती किया जाता है। हॉस्पिटल में पुरुष पर औसतन 23,666 रु. और महिला पर 16,881 रु. खर्च होता है, यानी 40 फीसदी अधिक खर्च होता है।ये आंकड़े दिल्ली की जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम एनालिसिस, ऑस्ट्रिया की रिसर्च में सामने आए हैं।
रिसर्च में नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के आंकड़ों को शामिल किया गया है जो अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजनों में लिंगभेद की भावना को जाहिर करती है। रिसर्च के मुताबिक, जब घर का सामान बेचकर इलाज के खर्च अदा करने की बारी आती है तो भी मरीज महिला है या पुरुष इस पर विचार किया जाता है।
शोध की लेखिका नंदिता सायकिया कहती हैं, महिलाओं से इस तरह का भेदभाव करने की दो वजह हैं। पहली, 27 फीसदी महिलाएं ही जॉब करती हैं और अन्य का घर की देखभाल करते हुए समय बीतता है। उनसे आर्थिक मदद न मिलने के कारण उन पर कम ध्यान दिया जाता है। दूसरी वजह, समाज में हमेशा से ही महिलाओं की सेहत देखभाल का मुद्दा नहीं रहा है।
शोध के सामने आया है कि महिलाओं के मुकाबले भारत में पुरुषों की सेहत को महत्वपूर्ण माना जाता है। इतना ही नहीं महिलाओं को अस्पतालों में देखभाल भी कम ही मिल पाती है। ऐसे मामले कम आय वर्ग वाले घरों में सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं।
शोध के लेखक मोराध्वज के मुताबिक, भारत में जिस तरह भारत में भ्रूण हत्या में भी लिंगभेद अहम पहलू रहता है उसी तरह सैकड़ों सालों से महिला-पुरुष के इलाज में भी भेदभाव किया जाता रहा है।
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Source: Health