सूफी संतों की दरगाह पर थी सामूहिक भोजन की परंपरा, करतारपुर में पहली बार गुरु नानक देव जी ने शुरू किया लंगर
By : Devadmin -
हेल्थ डेस्क. खाने का संबंध स्वाद से है या स्वास्थ्य से?… या फिर दोनों से…? बहरहाल मैं ये सवाल आपके लिए छोड़ता हूं। आज बात ना स्वाद की और ना स्वास्थ्य की, बात करूंगा संस्कृति, परंपरा और एक नेक भावना की जो जुड़ी हुई है अंतत: भोजन से ही। आपमें से अधिकांश लोगों ने गुरुद्वारों पर लंगर में जरूर खाया होगा। गुरुबानी के मीठे बोल और अरदास के पवित्र शब्दों के बीच गुरुद्वारा पहुंचने वाला हरेक व्यक्ति अपनी आत्मा तृप्त करके लंगर से उठता है। लंगर एक ऐसी परंपरा है, जहां ना जात पूछी जाती है और ना धर्म। लंगर में हर भूखे व्यक्ति को बस भोजन दिया जाता है। हाल ही में गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व मनाया गया। आइए इसी बहाने लंगर की परंपरा और इसके इतिहास के बारे में बता रहे हैं फूड हिस्टोरियन आशीष चोपड़ा…
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Source: Health