खाने की कोई भी चीज बेकार नहीं जाने देते असम के लोग

खाने की कोई भी चीज बेकार नहीं जाने देते असम के लोग




लाइफस्टाइल डेस्क. असम प्रकृति की गोद में बसा हुआ छोटा-सा प्रदेश है। यहां के लोग प्रकृति से जितना लेते हैं, उतना ही लौटा भी देते हैं। खाने में विविधता है, अपनापन है, तो स्थानीयता का ज़बरदस्त स्वाद भी है। यहां खाने की हरेक चीज का पूरा इस्तेमाल होता है और कोई भी चीज़ फेंकी नहीं जाती। जैसे केले के पेड़ और केले को ले लीजिए। केला, उसका फूल और तना तो सीधे खाने के काम आता है। वहीं पेड़ के पत्ते, जिसे स्थानीय भाषा में कोलपोतुवा कहते हैं, का इस्तेमाल नाश्ता आदि परोसने के लिए किया जाता है। केलों के छिलकों को सुखाकर उनको जलाया जाता है और फिर इसकी राख को पानी में डाला जाता है। फिर इस पानी को छानते हैं। छना हुआ यह काला पानी खार कहलाता है। कुछ लोग सीधे ही चावल या किसी भी अन्य असमी डिश में यह खार डालकर खाते हैं, तो कुछ साथ में थोड़ा सा खाने का तेल भी मिलाते हैं। यह खार असमी अस्मिता से इस कदर जुड़ा है कि कई बार असमी लोगों को ‘खार-खौआ’ भी कहा जाता है, हां यह असमी लोगों का बड़प्पन ही है कि वे इसका बुरा नहीं मानते। यहां फूड हिस्टोरियन और लेखक आशीष चोपड़ा से जानिए आसम खाने के बार में कुछ खास…

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People of Assam do not let anything of food go waste

Source: Health

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