हेल्थ डेस्क. शरीर के सभी अंगों को बेहतर तरीके से काम करने के लिए ऊर्जा की जरुरत होती है। शरीर यह ऊर्जा ग्लूकोज से प्राप्त करता है। रक्त की मदद से ग्लूकोज मोटी और बारीक नालियों से शरीर के अंगों तक पहुंचता है। लेकिन रक्त में ग्लूकोज की मात्रा जरूरत से अधिक रहने लगे तो इस अवस्था को डायबिटीज कहते हैं।
रक्त वाहिकाओं में सालों साल अधिक ग्लूकोज इन वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है और ये धीरे-धीरे चोक होने लगती हैं। खून की मोटी पतली वाहिकाओं के चोक होने से ही डायबिटीज से होने वाले विकार पैदा होते हैं। यदि डायबिटीज के मरीज इलाज में लापरवाही करते हैं और शुगर, कोलेस्ट्रॉल व बीपी पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं तो शरीर के कई अंगों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। डायबेटोलॉजिस्ट एवं हार्मोन विशेषज डॉ. सुशील जिंदल बता रहे हैं कि डायबिटीज से कौन से विकार हो सकते हैं –
-
डायबिटीज के सभी मरीजों को साल में एक बार नेत्र विशेषज्ञ से आंखों की जांच अवश्य कराना चाहिए। आंखों के परदे जिसे रेटिना कहते हैं पर सूजन, खून के धब्बे व कोलेस्ट्रॉल जमा होने से दिखना बंद हो सकता है। हालांकि ये बीमारी शुरुआत में कोई लक्षण पैदा नहीं करती। इसलिए जल्दी पता लगने पर लेजर और अन्य इलाज द्वारा आंखों की रोशनी को बरकरार रखा जा सकता है।
-
बार-बार फोड़े-फुंसी होना, घाव भरने में देर लगना, गुप्तांगों में खुजली रहना आदि शुगर कंट्रोल में न रहने के लक्षण हैं। डायबिटीज में त्वचा व गुप्तांगों की सफाई रखना बहुत जरूरी है। इसके अलावा लंबे समय की डायबिटीज में पैरों में संवेदना खत्म होने लगती है। इससे मरीज को घाव व संक्रमण का अहसास नहीं हो पाता। इसी कारण छोटे घाव भी गैंगरीन का रूप ले लेते हैं।
-
डायबिटीज के मरीजों में हार्ट अटैक की आशंका अन्य लोगों से तीन गुना ज्यादा होती है। एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अक्सर इन मरीजों में हार्ट अटैक होने पर छाती में दर्द महसूस नहीं होता। हार्ट अटैक होने पर ये मरीज सिर्फ बेचैनी, उल्टी, सांस फूलना या पसीना आना जैसी शिकायत ही करते हैं। हार्ट अटैक से बचने के लिए साल में एक बार हार्ट संबंधी जांच जरूर कराएं। ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण रखें। कोलेस्ट्रॉल की दवाई हमेशा लें और समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल की जांच भी कराएं। अपने शुगर लेवल पर नियंत्रण रखें। वजन न बढ़ने दें और नियमित रूप से व्यायाम जरूर करें।
-
यदि आपको पैरों में सूजन, शुगर बार-बार कम हो या भूख कम लगे तो यह किडनी की खराबी के लक्षण हो सकते हैं। किडनी की खराबी का सीधा संबंध शुगर कंट्रोल नहीं रहने से है। इसमें ब्लड प्रेशर का नियंत्रित होना भी जरूरी है क्योंकि किडनी पर असर होने पर हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Source: Health