जैसे-जैसे हम आधुनिक युग में आते जा रहे हैं वैसे वैसे बहुत सी नयी नयी बीमारियाँ हमें घेरने लगी हैं। पिछले कुछ दशकों में हड्डियों व जोड़ों से संबंधित रोगों से ग्रस्त रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। लेकिन क्या आप सबको पता है कि हड्डियों के सभी दर्द नॉर्मल नहीं होते, इसके पीछे कई सारी वजह हो सकती है . जो कई बार भविष्य में भयंकर रूप भी ले लेती है। ऐसे में आप सभी को ये जानना बहुत जरूरी है कि हड्डियों में दर्द कई कारणों से हो सकता है। जिसमें अर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस और एवैस्कुलर नेक्रोसिस जैसे कारण शामिल हैं लेकिन आज भी बहुत कम लोग हैं जिन्हें एवैस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular-Necrosis) के बारे में पता है।
क्या है एवैस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular-Necrosis)
एवैस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular Necrosis) हड्डियों में होने वाली ही एक समस्या है जिसमें बोन टिशू यानी हड्डियों के ऊतक मरने लगते हैं. सीधी भाषा में कहा जाए तो हड्डियां गलने लगती हैं। यह बीमारी होने का कारण रक्त प्रवाह में बाधा होने के कारण टिशू तक पर्याप्त मात्रा में खून का नहीं पहुंच पाना है। और यदि किसी भी ऊतक को खून उचित मात्रा में नहीं मिलेगा तो वहाँ पोषण की कमी होगी जिसके चलते ये ऊतक मरने लगते हैं। इस बीमारी को ऑस्टियोनेक्रोसिस के नाम से भी जाना जाता है। सबसे अधिक यह समस्या कूल्हे की हड्डी में होती है जिसके कारण फेमर का गोल हिस्सा जो कूल्हे का जोड़ बनता है वो गलने लगता है। वैसे तो ये समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन मुख्य तौर पर 30 से 60 वर्ष के बीच के आयु वर्ग वाले लोग इससे ज्यादा पीड़ित होते है।
एवैस्कुलर नेक्रोसिस के क्या है लक्षण
अगर इस समस्या के लक्षणों की बात की जाए तो ये जरूरी नहीं कि व्यक्ति के अंदर शुरुआती दौर में इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें। ज़्यादातर स्थिति अधिक खराब होने पर इसके लक्षण दिखाई देते हैं, क्योंकि हड्डी एक साथ गलने की बजाय धीरे धीरे गलती है। एक सीमा तक तो शरीर दर्द व अन्य लक्षणों को सहन करता है। लेकिन जब हड्डी एक सीमा से अधिक खराब हो जाती है तो अचानक सभी लक्षण एक साथ आने लगते हैं।
एवैस्कुलर नेक्रोसिस की बढ़ती समस्या को देखते हुये सुखायु आयुर्वेद के वैद्य प्रदीप शर्मा कहते हैं कि 'अगर ये समस्या आपके कूल्हे से जुड़ी हुई है तो उस स्थिति में आपके जांघ और कूल्हे की हड्डियों में भयंकर दर्द होता है। चलने में लचक होने लगती है, सोते जागते लगातार दर्द बना रहता है। कूल्हे के अलावा ये बीमारी आपके कंधे, घुटने, हाथ और पैरों को भी प्रभावित कर सकती है। इनमें से किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने और जोड़ों में लगातार दर्द रहने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।'
आयुर्वेद में है एवैस्कुलर नेक्रोसिस का रामबाण इलाज़
चाहे बीमारी कोई भी हो हर बीमारी के प्रति आयुर्वेद का एक अलग ही दृष्टिकोण होता है। आयुर्वेद उपचार न केवल समस्या के कारणों को समझ कर उसका उपचार करता है बल्कि उसे जड़ से खत्म करने में भी विश्वास रखता है। आयुर्वेद का इलाज वैज्ञानिक रूप से बीमारी को जड़ से ठीक करता है। एवीएन जैसी स्थितियों में जहां शरीर के सिस्टम को सही करने की जरुरत होती है, वहाँ आयुर्वेद बहुत अच्छे से शरीर की सामान्य कार्यशैली को ठीक करता है। आयुर्वेद उपचार बिना किसी दुष्प्रभाव के रोग का इलाज़ करने की क्षमता भी रखता है। आयुर्वेद की इन्हीं सब खूबियों की बदौलत आजकल के इस दौर में एवैस्कुलर नेक्रोसिस जैसी गंभीर समस्या में भी लोग आयुर्वेद का सहारा लेते हैं जहां काफी हद तक एलोपेथिक दवाई विफल हो जाती हैं और हड्डी को बदलवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं सूझता है।
ऐसे में सुखायु आयुर्वेद के वैद्य प्रदीप शर्मा बताते हैं कि ‘एवीएन या ओस्टियोनेक्रोसिस की समस्या के लिए आयुर्वेद के अद्भुत परिणाम देखें गए हैं। सुखायु आयुर्वेद पिछले 10 सालों से बहुत बढ़िया परिणाम और सफलता के साथ एवैस्कुलर नेक्रोसिस का उपचार प्रदान कर रहा है। आंकड़ों के मुताबिक 3 वर्षों में लगभग 95% मामले हिप रिपलेसमेंट के लिए जाते हैं। ऑस्टियोनेक्रोसिस में क्योंकि हड्डी बहुत जल्दी क्षरण होती है इसके कारण ऐसा होता है। इसके विपरीत सुखायु आयुर्वेद द्वारा दिये जाने वाले इलाज़ की मदद से 10 वर्ष से पीड़ित रोगियों न केवल हिप रिपलेसमेंट की प्रक्रिया से बचे हैं , बल्कि एक सामान्य जीवन भी जी रहे हैं। '
कैसे सुखायु में मिलता है एक बेहतर इलाज़ ?
हड्डियों का रोग सुनने में जितना सामान्य लगता है उतना ही अधिक व्यक्ति इसके कारण तकलीफों से गुजरता है। वैसे तो एवैस्कुलर नेक्रोसिस जैसी कई बीमारियों का उपचार आज एलोपैथ, आयुर्वेद और होम्योपैथ- चिकित्सा प्रणाली में मौजूद है। लेकिन अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो इस समस्या से जूझ रहें हैं और जोड़ बदलवाने की समस्या का कोई विकल्प ढूंढ रहे हैं। क्यूंकि आयुर्वेद के उपचार द्वारा हड्डी को जाने वाली ब्लड सप्लाई को सुनिश्चित किया जा सकता है इसलिए न केवल हड्डी का गलना रुक जाता है बल्कि जो नए और आरंभिक केस होते हैं वहाँ पर व्याधि के रुकने के साथ साथ हड्डी के उत्तक दुबारा भी बनने लगते हैं। यानी की एवीएन के ग्रेड में भी सुधार होता है। इसलिए ये जरूरी है कि सही समय पर इस रोग के लक्षण पहचान कर उचित आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह लें ।
ऐसे में बीते कई वर्षों से सुखायु आयुर्वेद इस बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज़ करता आ रहा है जिसकी मदद से कई मरीजों को नई ज़िंदगी भी मिली है। सुखायु आयुर्वेद की खास बात यह है कि यहाँ के वैद्य सबसे पहले मरीज कि स्थिति का पूरी तरह से अध्ययन करते हैं कि मरीज के लिए कौन सा उपचार सही रहेगा। इसके लिए वो सबसे पहले हड्डियों कि जांच कर उसकी स्थिति का पता लगाते हैं कि हड्डियों को अब तक कितना नुकसान पहुंचा है। स्थिति गंभीर न होने पर इसे पहले मेडिकेशन व पंचकर्म के सहारे ठीक किया जाता है । क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार किसी भी समस्या का समाधान किसी जोड़ को बदलने में नहीं है, बल्कि समस्या के कारणों को दुरस्त करके न केवल जोड़ व हड्डी को बचाया जा सकता है बल्कि जीवन को और भी सुचारु बनाया जा सकता है।
क्या करें की आपको एवीएन ना हो?
शराब व तम्बाकू का बहुत अधिक सेवन एवीएन के पीछे के सबसे बड़े कारण के रूप में जाने जाते हैं। इसलिए सबसे जरुरी है की आप इन चीज़ों के सेवन से दुरी बनाये रखें। क्योंकि शराब व तम्बाकू से शरीर में बहुत सी वसा की छोटी छोटी बूंदें इधर से उधर बहती रहती हैं और समय के साथ ये छोटी रक्त वाहिनियों में जमा हो कर रक्त के प्रवाह को बंद कर देती हैं। और पोषण ना मिलने से आपकी हड्डियां या जोड़ गलने लगते हैं।
इसके अलावा एवीएन का दुसरा बड़ा कारण है स्टेरॉइड्स का अनियंत्रित व गलत इस्तेमाल। वजन बढ़ने, कम करने के लिए या फिर कद बढ़ने के लिए आज कल बहुत से उत्पादों में बहुत अधिक मात्रा में बिना बताये स्टेरॉइड्स मिला दिए जाते हैं। स्टेरॉइड्स के इसी गलत इस्तेमाल से हड्डियों पर गलत प्रभाव पड़ता है और हड्डियां गलने लगती हैं। इसलिए जरुरी है की आप जो भी इलाज़ करवाएं वो आप किसी प्रशिक्षित डॉक्टर या वैद्य के निर्देशन में ही करवाएं। ताकि आप एवीएन जैसी भयावह बिमारी से बचे रह सकें।
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Source: Health