डायबिटीज को मात देने से पहले समझिए शरीर में कैसे बढ़ रही शक्कर क्योंकि ज्यादातर चीजों में छिपी है चीनी
By : Devadmin -
हेल्थ डेस्क. मिठाइयों का नाम सुनते ही कुछ लोगों के मुंह में पानी आ सकता है तो कुछ को सेहत की चिंता सताने लगती है। बहुत लोग बचते हैं, लेकिन मिठास कि गिरफ़्त में आ ही जाते हैं। मिठास छिपकर वार कर सकती है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में 42 करोड़ 50 लाख से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। भारत में 2017 तक 7 करोड़ 30 लाख लोग इससे प्रभावित हैं। यह बीमारी इसी रफ्तार से बढ़ी तो 2025 तक इसके मरीजों की संख्या 15 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
हमारे देश में जिस तेजी से मधुमेह के रोगियों की संख्या बढ़ी है उसे देखते हुए लोगों ने शक्कर से तौबा करना सीख लिया है। क्योंकि रक्त में शक्कर की उच्च मात्रा आपकी आंखों की रोशनी, नर्वस सिस्टम और हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ा सकती है। बाजार लो-शुगर की रट लगाए तमाम उत्पादों से अटा पड़ा है, लेकिन सवाल है कि शक्कर को क्या यूं एकाएक अलग किया जा सकता है? क्या चुनौतियां हैं और किन पदार्थों में छिपी है शक्कर? बता रही हैं वरिष्ठ आहार व पोषण सलाहकार डॉ. सगोल्सेम रीड्यना…
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शरीर के लिए शक्कर ऊर्जा का स्रोत है और ये प्रोटीन निर्माण में सहायक होती है। मस्तिष्क और लाल रक्त कोशिकाएं ऊर्जा के लिए ग्लूकोज पर निर्भर होते हैं। लेकिन इसके स्तर की अनियमितता मधुमेह बन जाती है जिसका जीवनभर बस कंट्रोल ही किया जा सकता है। रोगी मीठे से बचने की कोशिश में कई बार छुपी हुई मिठास को नहीं भांप पाते।
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- क्रिस्टलाइज़्ड शक्कर- वह शक्कर जिसका हम रोज़ाना सेवन करते हैं, दूध, चाय, जूस आदि में।
- प्राकृतिक शक्कर- सभी फल, सब्जी, बीज आदि में मौजूद और सबसे सुरक्षित शक्कर।
- लो-कैलोरी स्वीटनर –इनका टेबल शुगर के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। हालांकि, इनमें कैलोरी कम होती है, किंतु कुछ स्वीटनर सामान्य शक्कर से भी अधिक मीठे होते हैं।
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61 से अधिक नामों से बाजार में शक्कर उपलब्ध है। इसकी सबसे आसान पहचान है जिसके नाम के अंत में ‘ose’ हो, जैसे डेक्स्ट्रोस, लैक्टोस, ग्लूकोज़, फ्रुक्टोज आदि। वहीं सुक्रोस को टेबल शुगर भी कहा जाता है, जिसमें 50 प्रतिशत ग्लूकोज़ और 50 प्रतिशत फ्रुक्टोज होती है। एचएफसीएस (HFCS) भी एक प्रकार की प्रोसेस्ड शुगर है जो सोडा, आइसक्रीम, ब्रेड, कुकीज़ आदि में उपयाेग की जाती है।
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- ब्रेड – केवल वाइट ब्रेड ही नहीं, मल्टीग्रेन ब्रेड, वीट (गेहूं) ब्रेड और ब्राउन ब्रेड में भी अतिरिक्त शक्कर हो सकती है। वहीं प्रोसेस्ड ब्रेड की एक स्लाइस में 3 ग्राम तक शक्कर हो सकती है।
- पैकेज्ड फल – कुछ मामलों में फलों को छीलकर शक्करयुक्त सिरप में प्रिज़र्व किया जाता है। इस प्रक्रिया में फलों से फाइबर की मात्रा घट जाती है और अनावश्यक शक्कर बढ़ जाती है। वहीं पैकेजिंग के कारण विटामिन सी खत्म होता है सो अलग।
- मफिन्स- कुछ मफिन्स के अंदर और ऊपर ओट्स का छिड़काव होता है, इसका अर्थ यह नहीं है कि ये शक्कर के लिहाज़ से स्वास्थ्यवर्धक हैं। कुछ मफिन्स केवल केक का दूसरा रूप होते हैं जिनमें अधिक शक्कर, कैमिकल्स और ट्रांस फैट हाेते हैं।
- फ्रूट जूस – बाज़ार में मिलने वाले विभिन्न फलों के पैकेज्ड फ्रूट जूस हों या दुकानाें पर मिलने वाला फलों का रस, इनमें मिठास बढ़ाने के लिए ऊपर से शक्कर डाला जाना आम है। लिहाजा फल ताजे़ हों, तो ही बेहतर।
- फ्रोजन योगर्ट – बेशक योगर्ट से अच्छी मात्रा में कैल्शियम और प्रोटीन प्राप्त होता है, लेकिन 230 एमएल लो फैट योगर्ट में 17 से 33 ग्राम शक्कर मौजूद हो सकती है। यानी 1 कप चॉकलेट आइसक्रीम के बराबर।
- एनर्जी ड्रिंक – ये दावा करते हैं कि ये आपको ऊर्जा से भर देंगे, किंतु साथ ही आपको शक्कर के साथ ही कैफीन से भी भर देंगे। प्रति 200 मिली में करीब 25 ग्राम तक शक्कर हो सकती है।
- फ्लेवर्ड टी- इन्हें अमूमन शक्कर और फ्लेवर्ड सिरप डालकर तैयार किया जाता है। बाजार में मिलने वाली आईस टी के 340 मिली में 33 ग्राम शुगर हो सकती है। यानी कोक की एक केन के बराबर। वहीं लेमन फ्लेवर्ड आइस टी की एक बॉटल में 32 ग्राम तक शक्कर हो सकती है।
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- भारतीय राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने अतिरिक्त शक्कर की सीमा 20 से 25 ग्राम प्रतिदिन निर्धारित की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सामान्य बॉडी मास इंडेक्स वाले व्यक्ति द्वारा अधिकतम 6 छोटे चम्मच यानी 25 ग्राम शक्कर का सेवन किया जा सकता है।
- यदि उत्पाद पर लिखा है नो शुगर/शुगर फ्री – यानी इसमें शक्कर नहीं, किंतु आर्टिफिशियल स्वीटनर हो सकते हैं।
- नो एडेड शुगर – यानी निर्माण के दौरान शक्कर नहीं मिलाई गई है, लेकिन उत्पाद के स्रोत में शक्कर हो सकती है, जैसे फ्रूट जूस में मौजूद फ्रुक्टोस। साथ ही आर्टिफिशियल स्वीटनर भी इसमें हो सकते हैं।
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Source: Health