बूंदी.देश में पहली बार सिस्टिक हायग्रोमा (एक तरह की गांठ) का ऑपरेशन बूंदी के सरकारी अस्पताल में किया गया। जिला अस्पताल के वरिष्ठ विशेषज्ञ सर्जन डॉ. अनिल सैनी ने बताया दो साल की बच्ची खुशी के हाथ की सर्जरी सफल रही। दुनिया में इस तरह के अब तक 7 ऑपरेशन ही रिकॉर्डेड हैं और देश में ऐसा पहला ऑपरेशन है। 80% केसेस में सिस्टिक हायग्रोमा गले-चेहरे पर और 20% चेस्ट, कांख, पेट या पैर में होता है। हाथ में सिस्टिक हायग्रोमा दुर्लभतम है। लिम्फेटिक सिस्टम के एब्नॉर्मल डेवलपमेंट के कारण यह बीमारी हो जाती है। गांठ धीरे-धीरे बड़ी होती जाती है, हाथ पूरी तरह काम करना बंद हो जाता है, काला पड़ जाता है और इन्फेक्शन होने लगता है।
बूंदी के केशवपुरा गांव की दो साल की बच्ची खुशी के बायें हाथ की कलाई से कोहनी के बीच 16.50सेंटीमीटर लंबी 9.50 सेंटीमीटर चौड़ी गांठ जन्म से थी, धीरे-धीरे यह बड़ी होती गई। इससे बच्ची का हाथ भारी हो चुका था। वह हाथ हिला भी नहीं पा रही थी। इन हालात में 14 अक्टूबर को केशवपुरा के छोटूलाल अपनी दो साल की बच्ची खुशी को जिला अस्पताल दिखाने लाए। तब तक हाथ में इन्फेक्शन हो चुका था।
ऑपरेशन में लगा एक घंटा
सोनोग्राफी व अन्य जांचों में दुर्लभतम केस सिस्टिक हायग्रोमा पाया गया। जयपुर या कोटा रैफर करने की बजाए डॉ. सैनी ने जिला अस्पताल में ही ऑपरेट करना तय किया। ब्लड चढ़ाने के बाद हाथ की रक्त नलिकाओं, नसों, नर्व टेंडन को बचाते हुए ऑपरेशन किया गया, जो एक घंटे चला। ऑपरेशन कर निकाली गई गांठ को बायोप्सी के लिए जयपुर भेजा गया, वहां से सिस्टिक हायग्राम कन्फर्म हो गया। इधर, बच्ची अब स्वस्थ है।
हाथ में सिस्टिक हायग्रोमा का एक भी केस रजिस्टर्ड नहीं
ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनय माथुर बताते हैं कि यह दुर्लभतम केस है। हाथ में इस बीमारी का अभी तकएक भी केस देश में रजिस्टर्ड नहीं है। डॉ. सैनी ने बताया कि इस केस को इंटरनेशनल जरनल ऑफ सर्जरी और इंडियन जरनल ऑफ सर्जरी में रिपोर्टिंग की प्रक्रिया कर रहे हैं।
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Source: Health