सेहतनामा- 2024 में देश-दुनिया में फैलीं ये घातक बीमारियां:अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं, डॉक्टर से जानें लक्षण और बचाव के तरीके

देश-दुनिया ने जब साल 2024 में प्रवेश किया तो लोगों के दिमाग में बहुत सारे सवाल थे। बीते कुछ सालों में कोविड ने जो तबाही मचाई थी, लोग उससे डरे और सहमे हुए थे। यह डर पूरे साल किसी भी नई बीमारी का नाम सामने आने पर जब-तब फिर से हावी होता रहा। इस साल दुनिया ने कई नई बीमारियों का सामना किया। इनमें से ज्यादातर बीमारियां घातक थीं, लेकिन ये इतनी संक्रामक नहीं थीं कि इनके कारण स्थितियां बेकाबू हो जाएं। इन बीमारियों में चांदीपुरा वायरस, निपाह वायरस और ब्रेन ईटिंग अमीबा ने भारत के लोगों को भी खूब डराया। कोरोना जैसी घातक महामारी के बाद लोग पहले से ज्यादा जागरुक और सतर्क हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग और सरकारें भी पहले की अपेक्षा ज्यादा मुश्तैदी दिखाते हैं। यही कारण है कि ये घातक बीमारियां लोगों का ज्यादा नुकसान नहीं कर पाई हैं। हालांकि ये बीमारियां अभी खत्म नहीं हुई हैं, ये कभी भी मौका पाकर फिर से हमाल कर सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि हम इनके लक्षण और बचाव अच्छे से समझ लें। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में साल 2024 में भारत में फैली 6 घातक बीमारियों की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- नए साल में अवेयरनेस के साथ करें प्रवेश हम स्टोरी में एक-एक करके साल 2023 में सामने आई सभी 6 घातक बीमारियों के लक्षण और उनसे बचाव के बारे में बारे में बात करेंगे, ताकि जब हम नए साल में प्रवेश करें तो इन बीमारियों के बारे में परिचित हों और इनसे अपना बचाव करने की तरकीब जानते हों। वायरस से फैलीं 4 घातक बीमारियां इन 6 घातक बीमारियों में से 4 तो वायरस के कारण फैली थीं। इनमें सबसे चर्चित बीमारी चांदीपुरा वायरस रही। चांदीपुरा वायरस चांदीपुरा वायरस आमतौर पर 9 महीने से लेकर 14 साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है। इसके संक्रमण के कारण तेज बुखार और मस्तिष्क की सूजन हो जाती है। यह बीमारी सैंड फ्लाई, टिक या मच्छरों के जरिए फैलती है। इसका कोई सटीक इलाज और टीका अभी उपलब्ध नहीं है। क्या हैं चांदीपुरा वायरस के लक्षण तेज बुखार, उल्टी, दस्त और सिरदर्द चांदीपुरा वायरस के शुरुआती लक्षण हैं। इसके संक्रमण से एन्सेफलाइटिस भी हो सकता है। इसका मतलब है कि संक्रमण के कारण ब्रेन के टिश्यूज में सूजन या जलन होने लगती है। इसके सभी लक्षण ग्राफिक में देखिए: ये हैं चांदीपुरा वायरस बचने के उपाय निपाह वायरस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, निपाह एक जूनोटिक वायरस है। यह जानवरों और इंसानों दोनों में फैलता है। क्या हैं निपाह वायरस के लक्षण इसके लक्षण संक्रमण होने के 4 से 14 दिनों के भीतर दिखने शुरू हो जाते हैं। इसमें सबसे पहले बुखार और सिरदर्द होता है। इसके बाद खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसी रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम्स (सांस लेने में समस्या) हो सकती हैं। गंभीर मामलों में व्यक्ति को ब्रेन इन्फेक्शन हो सकता है। इससे सिर में सूजन यानी एन्सेफलाइटिस के लक्षण उभर सकते हैं। ये हैं निपाह वायरस से बचाव के उपाय मंकीपॉक्स मंकीपॉक्स चेचक की तरह एक वायरस के कारण होने वाली बीमारी है। इसे M पॉक्स भी कहते हैं। इसमें चकत्ते और फ्लू जैसे लक्षण सामने आते हैं। क्या हैं मंकीपॉक्स के लक्षण मंकीपॉक्स का सबसे शुरुआती लक्षण बुखार होता है। बुखार शुरू होने के लगभग 1 से 4 दिन बाद त्वचा पर दाने निकलने शुरू हो जाते हैं। इसके लक्षण आमतौर पर एक्सपोजर के 3 से 17 दिन बाद दिखने शुरू होते हैं। मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक बने रह सकते हैं। ये हैं मंकीपॉक्स से बचाव के उपाय ओरोपोच (Oropouche) यह एक वायरल संक्रमण है, जो मिज (Midge) या मच्छर के काटने से फैलता है। मिज एक तरह का छोटा कीड़ा है, जो मक्खी या मच्छर की प्रजाति में नहीं आता। क्या हैं ओरोपोच वायरस के लक्षण इस वायरस के संक्रमण के कारण लोगों में सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में अकड़न और रौशनी के प्रति संवेदनशीलता की समस्या हो सकती है। इसके अलावा कंपकंपी, मतली और उल्टी के साथ फ्लू जैसे बुखार की समस्या भी हो सकती है। आमतौर पर ओरोपोच वायरस के कारण किस तरह के लक्षण सामने आते हैं, ग्राफिक में देखिए: ये हैं ओरोपोच वायरस से बचाव के उपाय अमीबा इस साल दक्षिण भारत में ब्रेन ईटिंग अमीबा के कई मामले सामने आए। इसके कारण कई लोगों का जान गई और लोगों के बीच तालाब और झरने में नहाने को लेकर भय भर गया। ब्रेन ईटिंग अमीबा नेगलेरिया फाउलेरी नाम का एक अमीबा है। इसे ही ब्रेन ईटिंग अमीबा कहते हैं। इससे संक्रमित पानी नाक में जाने से यह फैलता है। वहां से यह अमीबा मस्तिष्क में प्रवेश कर जाता है और ब्रेन सेल्स को पूरी तरह डेड कर देता है। इससे संक्रमित 97% मामलों में लोगों की मौत हो जाती है। क्या हैं ब्रेन ईटिंग अमीबा के लक्षण? इसके शुरुआती लक्षण बहुत सीधे और स्पष्ट नहीं होते हैं। इसमें शुरुआत में सिरदर्द और बुखार होता है। समय बीतने के साथ उल्टी, बेहोशी और दौरे जैसे लक्षण दिख सकते हैं। ग्राफिक में देखिए: ब्रेन ईटिंग अमीबा से बचने के लिए ये उपाय करें बैक्टीरिया फ्लेश ईटिंग बैक्टीरिया के मामलों ने पूरी दुनिया को डराया। STSS यानी स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम यह एक रेयर हेल्थ कंडीशन है, जो विषाक्त पदार्थ यानी टॉक्सिन्स पैदा करने वाले बैक्टीरियल ग्रुप स्ट्रेप्टोकोकल के कारण होती है। यह बैक्टीरिया हमारे मांस को खाना शुरू कर देता है और बहुत जल्द बॉडी ऑर्गन्स को डैमेज कर देता है। क्या हैं फ्लेश ईटिंग बैक्टीरिया के लक्षण? टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम कई तरह का होता है। इसमें बैक्टीरिया बदलने पर लक्षण बदल सकते हैं। स्ट्रेप्टोकोकल भी एक बैक्टीरियल ग्रुप है। इसका इन्फेक्शन होने पर किस तरह के लक्षण दिखते हैं, नीचे ग्राफिक में देखिए: ये हैं स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम से बचने के उपाय ………………….
सेहतनामा की ये खबर भी पढ़िए
सेहतनामा- क्या कान में खुजली यानी Low एस्ट्रोजेन लेवल?: क्या है ये हॉर्मोन, कमी के 13 संकेत क्या आपको पता है कि कान में ज्यादा खुजली होना हॉर्मोनल फ्लक्चुएशन का भी संकेत हो सकता है। खासतौर पर अगर कान के भीतरी हिस्से में खुजली हो रही है तो यह शरीर का इशारा हो सकता है कि एस्ट्रोजेन लेवल कम हो गया है। पूरी खबर पढ़िए…
Source: Health

Please follow and like us:
Follow by Email
Pinterest
Instagram