सेहतनामा- जाकिर हुसैन की रेयर लंग डिजीज से मौत:क्या है इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस, जानिए जरूरी सवालों के जवाब
By : Devadmin -
गुजरे सोमवार को मशहूर तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन साहब का निधन हो गया। उनके परिवार ने पुष्टि की है कि वह रेयर लंग डिजीज इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Idiopathic pulmonary fibrosis) से जूझ रहे थे। वह पिछले 2 हफ्ते से अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक हॉस्पिटल में भर्ती थे। वहां हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में एडमिट किया गया। वहीं उन्होंने आखिरी सांस ली। इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) एक क्रॉनिक लंग कंडीशन है। इसमें लंग्स में ऐसे निशान और घाव हो जाते हैं, जिन्हें ठीक नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा इस बीमारी में लंग्स के टिश्यूज कठोर हो जाते हैं, जिससे सांस लेने में मुश्किल होने लगती है। ऐसी स्थिति में रेस्पिरेटरी फेल्योर हो सकता है और मौत भी हो सकती है। ‘साइंस डायरेक्ट’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, पूरी दुनिया में 3 से 5 लाख लोग IPF से प्रभावित हैं। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस की। साथ ही जानेंगे कि- IPF क्या है?
IPF एक क्रॉनिक लंग कंडीशन है। इस डिजीज में फेफड़ों में एल्वियोलाई (Alveoli) के आसपास के टिश्यूज मोटे और कठोर हो जाते हैं। अगर आपने कभी लंग्स की तस्वीर देखी हो तो उसमें पेड़ की तरह खूब सारी शाखाएं निकली होती हैं। उसमें बीच-बीच में गुब्बारे की तरह ढेर सारे गुच्छे होते हैं। यही एल्वियोलाई हैं। ये सांस लेने में मदद करते हैं। इनके आसपास के टिश्यूज मोटे होने पर सांस लेने में लंग्स को बहुत जोर लगाना पड़ता है, जिससे घाव हो जाते हैं। इसमें समय बीतने के साथ श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ती जाती हैं। इस बीमारी में इडियोपैथिक शब्द का अर्थ ये है कि हेल्थ कंडीशन की वजह अज्ञात है। पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. विवेक गुंडप्पा कहते हैं कि अभी तक IPF की सही वजह का पता नहीं लगाया जा सका है। हालांकि कुछ डॉक्टर्स मानते हैं कि इसके पीछे आनुवंशिक और एनवायर्नमेंटल कारण हो सकते हैं। इस बीमारी का डायग्नोसिस करना भी मुश्किल होता है। क्या होते हैं IPF के लक्षण?
डॉ. विवेक गुंडप्पा कहते हैं कि आमतौर पर IPF के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। इसलिए इसका जल्दी पता लगा पाना थोड़ा मुश्किल होता है। इसके बावजूद अगर ध्यान दिया जाए तो हमारा शरीर सांस लेने में समस्या, बेचैनी और कमजोरी जैसे इशारे कर रहा होता है। इसके और क्या लक्षण होते हैं, ग्राफिक में देखिए: IPF के रिस्क फैक्टर्स
अभी तक IPF के पीछे किसी सटीक कारण का पता नहीं लगाया जा सका है। इसके बावजूद कुछ ऐसी कंडीशंस है, जिनके कारण इसका जोखिम बढ़ सकता है। इसमें स्मोकिंग और फैमिली हिस्ट्री को बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है। इसके अलावा भी कई रिस्क फैक्टर्स हैं, ग्राफिक में देखिए: IPF का इलाज क्या है?
डॉ. विवेक गुंडप्पा कहते हैं कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं हो सकता है। इसके बावजूद कुछ ट्रीटमेंट देने से पेशेंट को सांस लेने में आसानी हो सकती है। अगर बीमारी के कारण फेफड़े तेजी से खराब हो रहे हैं तो इसे कम किया जा सकता है। डॉक्टर जब IPF का इलाज करते हैं तो वे बीमारी ठीक करने की बजाय उसके लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए इलाज करते हैं। इसके लिए कुछ दवाएं, ऑक्सीजन थेरेपी और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन दिया जा सकता है। इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब सवाल: IPF कैसे डायग्नोस किया जाता है?
जवाब: IPF के लक्षण समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होते हैं। इसलिए इसे तुरंत डायग्नोस कर पाना मुश्किल होता है। IPF के कारण फेफड़ों में हुए घाव अन्य बीमारियों के कारण हुए घाव की तरह ही दिखते हैं। इसलिए इसका पता लगा पाना मुश्किल होता है। इस बात की पुष्टि के लिए नीचे दिए गए ज्यादातर टेस्ट करने पड़ सकते हैं: सवाल: IPF होने पर लोग कितने दिन तक जीवित रहते हैं?
जवाब: अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, IPF आमतौर पर 50 से 70 वर्ष की उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। इस उम्र तक लोगों का शरीर किसी बीमारी का सामना करने में बहुत सक्षम नहीं रह जाता है। इसलिए IPF के डायग्नोसिस के बाद लोग 3-5 साल ही जीवित रहते हैं। हालांकि IPF होने पर कोई कितने समय तक जीवित रहेगा, यह इन फैक्टर्स पर भी निर्भर करता है: सवाल: अगर किसी को IPF है तो उसे खाने में क्या अवॉइड करना चाहिए?
जवाब: अगर किसी व्यक्ति को IPF है तो उसे खाने में नमक और चीनी वाली चीजें बहुत कम मात्रा में खानी चाहिए। सैचुरेटेड और ट्रांस फैट भी अवॉइड करना चाहिए। कुल मिलाकर तला-भुना और प्रॉसेस्ड फूड नहीं खाना चाहिए। सवाल: क्या IPF का असर हर किसी पर अलग-अलग होता है?
जवाब: हां, IPF को अप्रत्याशित माना जाता है। इसके लक्षण हर पेशेंट में अलग-अलग हो सकते हैं। IPF होने पर कुछ लोगों के फेफड़ों में घाव धीरे-धीरे बढ़ते हैं, जबकि कुछ लोगों के घाव बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं। अगर लक्षण तेजी से खराब हो रहे हैं तो यह घातक हो सकता है। सवाल: अगर किसी को IPF है तो उसे मैनेजमेंट के लिए लाइफस्टाइल में क्या बदलाव करने चाहिए?
जवाब: आमतौर पर IPF डायग्नोस होने के बाद व्यक्ति 3-4 साल ही जीवित रहता है। इसके बावजूद इस बीच जिंदगी को आसान बनाने के लिए और लाइफ एक्सपेक्टेंसी थोड़ी ज्यादा करने के लिए हमें लाइफस्टाइल में नीचे दिए गए बदलाव करने चाहिए: इसके अलावा डॉक्टर ने जो दवाएं, विटामिन्स और सप्लीमेंट्स दिए हैं, उन्हें समय पर लेते रहें। ………………..
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Source: Health