सेहतनामा- क्या कान में खुजली यानी Low एस्ट्रोजेन लेवल?:क्या है ये हॉर्मोन, कमी के 13 संकेत, डॉक्टर से जानें हर जरूरी सवाल का जवाब

कान एक बेहद नाजुक अंग है। सभी अंगों की तरह इसका भी हेल्दी बने रहना बहुत जरूरी है। कभी-न-कभी आपके कान में खुजली हुई होगी, आपने खुजलाया होगा और बात आई-गई हो गई होगी। क्या आपको पता है कि कान में ज्यादा खुजली होना हॉर्मोनल फ्लक्चुएशन का भी संकेत हो सकता है। खासतौर पर अगर कान के भीतरी हिस्से में खुजली हो रही है तो यह शरीर का इशारा हो सकता है कि एस्ट्रोजेन लेवल कम हो गया है। आमतौर पर ऐसी कंडीशन मीनोपॉज के समय होती है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजेन लेवल बहुत कम हो जाता है। एस्ट्रोजेन बुनियादी रूप से एक सेक्स हॉर्मोन है। यह मुख्य रूप से महिलाओं की सेक्शुअल हेल्थ और रीप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए जरूरी माना जाता है। हालांकि पुरुषों के शरीर में भी एस्ट्रोजेन बनता है, लेकिन अपेक्षाकृत बहुत कम मात्रा में। एस्ट्रोजेन शरीर के कई अंगों के विकास में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर के सभी अंगों में मॉइश्चर और सॉफ्टनेस भी बनाए रखता है। यही कारण है कि एस्ट्रोजेन लेवल घटने पर कान में रुखापन होने से खुजली होने लगती है। इसलिए ‘सेहतनामा’ में आज जानेंगे कि एस्ट्रोजेन हमारे लिए कितना जरूरी है। साथ ही जानेंगे कि- एस्ट्रोजेन शरीर के लिए कितना जरूरी? एस्ट्रोजेन दूसरे सभी हॉर्मोन्स की तरह शरीर के लिए केमिकल मैसेंजर की तरह है। इसके मैसेज के मुताबिक शरीर अपने कामकाज में बदलाव करता है। एस्ट्रोजेन के मैसेज के मुताबिक ही फीमेल्स में प्यूबर्टी और शारीरिक बदलाव होते हैं। इसके अलावा भी यह शरीर के कई फंक्शंस के लिए जरूरी है। क्या है Low एस्ट्रोजेन लेवल की पहचान? एस्ट्रोजेन लेवल कम होने पर लड़कियों में प्यूबर्टी आने में देर हो सकती है। पीरियड्स में अनियमितता हो सकती है। इससे फर्टिलाइजेशन पर भी असर पड़ सकता है। नई स्टडीज के मुताबिक, कान में खुजली और स्किन में रूखापन भी कम एस्ट्रोजेन लेवल का इशारा हो सकता है। इसके और क्या लक्षण होते हैं, ग्राफिक में देखिए: एस्ट्रोजेन लेवल कम होने हो सकती हैं ये मुश्किलें? एस्ट्रोजेन हॉर्मोन्स सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ से लेकर शरीर के कई फंक्शंस के लिए जरूरी होते हैं। इसका लेवल कम होने से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं क्योंकि हड्डियों के विकास और उनकी डेंसिटी मेन्टेन करने में इनकी अहम भूमिका है। हड्डियां कमजोर होने से बार-बार बोन फ्रैक्चर हो सकता है। इसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस भी हो सकता है। एस्ट्रोजेन लेवल कम होने से और क्या समस्याएं हो सकती हैं, ग्राफिक में देखिए: एस्ट्रोजेन से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और उनके जवाब सवाल: एस्ट्रोजेन लेवल कम क्यों होता है? जवाब: एस्ट्रोजेन लेवल कई कारणों से कम हो सकता है। आमतौर पर महिलाओं में मीनोपॉज के दौरान यह कम हो जाता है। एस्ट्रोजेन लेवल कम होने के निम्न कारण हो सकते हैं: सवाल: एस्ट्रोजेन लेवल कम होने पर क्या करें? जवाब: अगर एस्ट्रोजेन लेवल बहुत कम हो गया है और इसके कारण शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो रही हैं तो हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) ली जा सकती है। खासतौर पर मीनोपॉज के समय एस्ट्रोजेन लेवल बहुत कम हो जाता है तो ऐसे में डॉक्टर से कंसल्ट करके हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेना अच्छा ऑप्शन हो सकता है। सवाल: एस्ट्रोजेन लेवल हेल्दी रखने के लिए क्या करें? जवाब: हॉर्मोनल डिसबैलेंस से जुड़ी कंडीशंस को कंट्रोल करना मुश्किल काम है। इसके बावजूद हम कुछ हेल्थ टिप्स अपनाकर एस्ट्रोजेन लेवल हेल्दी रख सकते हैं। पर्याप्त नींद जरूरी: हमें प्रतिदिन 7 घंटे की साउंड स्लीप लेनी चाहिए। अच्छी नींद लेने से शरीर के कामकाज के लिए जरूरी हॉर्मोन्स का लेवल हेल्दी बना रहता है। स्ट्रेस मैनेजमेंट जरूरी: स्ट्रेस लेवल बढ़ने पर हमारा शरीर स्ट्रेस हॉर्मोन्स कॉर्टिसोल और एड्रेनलाइन का प्रोडक्शन बढ़ा सकता है। इनके कारण शरीर में असंतुलन पैदा हो सकता है और एस्ट्रोजेन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। उचित मात्रा में एक्सरसाइज करें: प्रतिदिन उचित मात्रा में एक्सरसाइज करने से हमारे शरीर की फंक्शनिंग कंट्रोल में रहती है। इससे हमारा खानपान और फैट भी कंट्रोल में रहता है। यह बेहतर नींद के लिए जरूरी है। ये सभी चीजें हेल्दी एस्ट्रोजेन लेवल के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए पर्याप्त मात्रा में एक्सरसाइज करें। बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने से भी एस्ट्रोजेन लेवल कम हो सकता है। शराब का सेवन न करें: शराब पीने से एस्ट्रोजेन लेवल बढ़ सकता है। लंबे समय तक एस्ट्रोजेन लेवल बहुत अधिक रहने से कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। इसलिए शराब बिल्कुल न पिएं या फिर बहुत सीमित मात्रा में पिएं। हेल्दी खानपान का ध्यान रखें: हमारा खानपान हॉर्मोन्स को संतुलित करने में मदद करता है। इसलिए जरूरी है कि खानपान अच्छा होना चाहिए। चीनी वाली चीजें कम-से-कम खाएं। खाने में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं। इसके लिए हरी ताजी सब्जियां, फल और दालें अच्छे ऑप्शन हो सकते हैं। हेल्दी फैट का सेवन करें: सरसों का तेल, सीड्स और मछली में पाया जाने वाला फैट सेहत के लिए अच्छा होता है। इनके सेवन से हॉर्मोन संतुलन में मदद मिल सकती है। ………………….
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Source: Health

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