सेहतनामा- शारदा सिन्हा की रेयर कैंसर से मौत:डॉक्टर से जानिए, क्या है मल्टीपल मायलोमा और सेप्टीसीमिया, जिससे उनकी मृत्यु हुई

“सुपवा लेल ओ बबुआ…, छठी मईया सुनिया…,पहिले पहलि छठी मईया…” उत्तर भारत में हर घर और घाट पर आज ये गीत गूंज रहे हैं। इन लोकगीतों को अपनी आवाज के जादू में घोलकर दुनिया भर में छठ को लोकप्रिय बनाने वाली लोकगायिका शारदा सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं हैं। बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का 72 साल की उम्र में नई दिल्ली के AIIMS में निधन हो गया। AIIMS ने अपने बुलेटिन में बताया कि शारदा सिन्हा को सेप्टीसीमिया की वजह से रिफ्रैक्टरी शॉक हुआ और इस कारण उनकी मृत्यु हो गई। शारदा सिन्हा बीते 6 साल से मल्टीपल मायलोमा (Multiple Myeloma) से जूझ रही थीं। यह एक तरह का रेयर कैंसर है, जो प्लाज्मा सेल्स (व्हाइट ब्लड सेल्स) को प्रभावित करता है। इसके कारण इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाता है और इन्फेक्शन का जोखिम बढ़ जाता है। शारदा सिन्हा को सेप्टीसीमिया भी इसी कारण हुआ, जिसने उनकी जान ले ली। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे मल्टीपल मायलोमा की। साथ ही जानेंगे कि- मल्टीपल मायलोमा क्या है? यह एक रेयर ब्लड कैंसर है, जिसके कारण हेल्दी प्लाज्मा सेल्स एब्नॉर्मल सेल्स में बदल जाती हैं। ये एब्नॉर्मल सेल्स तेजी से मल्टीप्लाई होने लगती हैं और M नाम की एब्नॉर्मल एंटीबॉडी बनाने लगती हैं। मल्टीपल मायलोमा कितने लोगों को प्रभावित करता है? यह बहुत रेयर कैंसर है। पूरी दुनिया में प्रति 10 लाख लोगों में सिर्फ 7 लोग ही इस कैंसर की चपेट में आते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक साल 2018 में पूरी दुनिया में सिर्फ 1 लाख 60 हजार लोग इससे प्रभावित थे। मल्टीपल मायलोमा शरीर को कैसे प्रभावित करता है? इसका सबसे ज्यादा प्रभाव इम्यून सिस्टम पर पड़ता है। असल में एब्नॉर्मल सेल्स तेजी से मल्टीप्लाई होकर पूरे शरीर में फैलने लगती हैं। इससे सभी ऑर्गन प्रभावित होते हैं। रेड ब्लड सेल्स कम होने से एनीमिया हो जाता है और हड्डियां कमजोर होने से बोन फ्रैक्चर की समस्या बढ़ सकती है। किडनी का फिल्टर प्रोसेस फेल हो जाता है। इससे शरीर में क्या समस्याएं हो सकती हैं, ग्राफिक में देखिए– इसके लक्षण क्या हैं? शुरुआती दौर में मल्टीपल मायलोमा के कोई लक्षण सामने नहीं आते हैं। हालांकि इस दौरान भी ब्लड टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है। इसके लक्षण समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होते हैं। इसमें समस्या ये है कि इसके लक्षण दूसरी मेडिकल कंडीशंस से बहुत मेल खाते हैं। इसलिए इस बीमारी का पता देर से चल पाता है। डॉ. सरिता रानी कहती हैं कि अगर एक साथ कई मेडिकल कंडीशन के लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह लेकर इसकी जांच करवाना बेहद जरूरी है। इसमें आमतौर पर कैसे लक्षण दिखते हैं, ग्राफिक में देखिए: मल्टीपल मायलोमा का इलाज क्या है? इस बीमारी को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। इसलिए इसका इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है, ताकि लक्षणों को कम करके पेशेंट को लंबी जिंदगी और राहत दी जा सके। चूंकि इसके कारण इम्यून सिस्टम अधिक प्रभावित होता है, इसलिए इम्यूनोथेरेपी दी जा सकती है। बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचाने के लिए एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं। शारदा सिन्हा की मौत की वजह सेप्टीसीमिया क्या है? एम्स दिल्ली के बुलेटिन में कहा गया कि शारदा सिन्हा की मौत सेप्टीसीमिया के कारण हुई है। ऐसे में सवाल हो सकता है कि उन्हें तो रेयर कैंसर था। फिर मौत की वजह सेप्टीसीमिया कैसे हुई। डॉ. सरिता कहती हैं कि सबसे पहले तो यह समझिए कि सेप्टीसीमिया क्या है। डॉ. सरिता कहती हैं कि मल्टीपल मायलोमा में सबसे अधिक हमारा इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है। इससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में कोई भी जर्म्स शरीर पर आसानी से हमला कर सकते हैं। अगर कोई बैक्टीरिया, फंगस या वायरस ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश कर जाता है तो ब्लड पॉइजनस हो जाता है। इसे ऐसे समझिए कि हमारे शरीर के सभी अंगों को अपने कामकाज के लिए ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन सप्लाई ब्लड के जरिए होती है। सेप्टीसीमिया होने पर ये जर्म्स ब्लड के जरिए सीधे सभी अंगों तक पहुंचकर उन पर हमला कर देते हैं और उन्हें डैमेज कर देते हैं। इससे उनकी फंक्शनिंग कोलैप्स हो जाती है और व्यक्ति की मौत हो जाती है।
……………………..
सेहत की ये खबर भी पढ़िए
सेहतनामा- जब अमिताभ बच्चन का चलना-बोलना मुश्किल हुआ: जानिए क्या है रेयर बीमारी मायस्थेनिया ग्रेविस अमिताभ बच्चन की जिंदगी में एक ऐसा समय आया था, जब वह अपनी शर्ट के बटन नहीं लगा सकते थे, अपने हाथ से पानी नहीं पी सकते थे। यहां तक कि उनके लिए अपने आप पलकें झपकाना तक मुश्किल हो रहा था। पूरी खबर पढ़िए…
Source: Health

Please follow and like us:
Follow by Email
Pinterest
Instagram