सेहतनामा- दिवाली पर जमकर खाने के बाद डिटॉक्स की बारी:नींबू और लहसुन मददगार, एक घंटे की ज्यादा नींद करेगी सुपरडिटॉक्स

भारत उत्सवधर्मी देश है और यहां कोई भी उत्सव मिठाइयों के बिना अधूरा है। जब बात देश के सबसे बड़े त्योहार दिवाली की हो तो हम ना-ना करते हुए भी खूब सारी मिठाइयां और पकवान खा ही लेते हैं। अधिक मात्रा में मिठाई और पकवान खाने से डाइजेशन खराब हो सकता है। इससे कई बार बदहजमी, पेट दर्द और मतली की समस्या हो सकती है। असल में इन एक-दो दिनों में हमारे शरीर में इतना सारा मैदा, चीनी और फैट जमा हो जाता है कि यह शरीर में टॉक्सिन की तरह रिएक्ट करता है। बहुत मीठा और नमकीन खाने से ब्लड शुगर लेवल और बीपी स्पाइक कर जाते हैं। इसलिए शरीर इन टॉक्सिन्स को बाहर निकालने की कोशिश करने लगता है। नतीजतन उल्टी और पेट खराब की समस्या हो सकती है। अगर हम चाहें तो अपनी लाइफस्टाइल और खानपान में कुछ बदलाव करके शरीर को इस डिटॉक्स प्रोसेस में मदद कर सकते हैं। इससे हम किसी भी अप्रिय स्थिति से बच सकते हैं। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे डिटॉक्स प्रोसेस की। साथ ही जानेंगे कि- डिटॉक्सिफिकेशन क्या है
मौजूदा वक्त में डिटॉक्सिफिकेशन बेहद चर्चित शब्द है। फेस्टिव सीजन में कई एक्सपर्ट सोशल मीडिया रील्स और शॉर्ट वीडियो में इसके बारे में बात करते मिल जाएंगे। इसका सीधा अर्थ है, शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालना। शरीर में हर वह चीज टॉक्सिन होती है, जिससे शरीर को नुकसान हो रहा है। ये टॉक्सिन किसी बीमारी के कारण पैदा हो सकते हैं या फिर हमारे भोजन और ड्रिंक्स के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। शरीर इन्हें बाहर निकालने की पूरी कोशिश करता है। इसे डिटॉक्सिफिकेशन कहते हैं। हम इस काम में अपने शरीर की मदद कर सकते हैं। डिटॉक्सिफिकेशन हमारी समझ से बहुत अलग है सोशल मीडिया पर रील्स देखकर लोगों की समझ ये बनी है कि डिटॉक्सिफिकेशन में एक खास तरह की डाइट ली जाती है और लिक्विड इनटेक बढ़ा दिए जाते हैं। जबकि इसका सही मतलब ये है कि इस प्रक्रिया में इनर ऑर्गन्स को आराम दिया जाता है। कम-से-कम भोजन किया जाता है और हल्का भोजन किया जाता है। यह शरीर के कामकाज में संतुलन वापस लाने की एक कोशिश है। डिटॉक्सिफिकेशन के लिए सही लाइफस्टाइल जरूरी इस प्रक्रिया में सिर्फ खाने-पीने में बदलाव नहीं करने होते हैं, बल्कि पूरी लाइफस्टाइल में बदलाव करने होते हैं। इसमें सुबह की एक्सरसाइज से लेकर रात में क्वालिटी नींद लेने तक हर छोटी बात का ख्याल रखना होता है और सुधार करना होता है। आइए ग्राफिक्स में देखते हैं, डिटॉक्सिफिकेशन के लिए जरूरी 10 टिप्स। आइए ग्राफिक्स में दिए कुछ पॉइंट्स विस्तार से समझते हैं: ज्यादा-से-ज्यादा पानी पिएं दुनिया का सबसे अच्छा डिटॉक्सिंग एजेंट पानी है। यह हमारे शरीर में टॉक्सिन्स से हुए नुकसान को रिपेयर करने में मदद करता है। इस रिपेयर के दौरान शरीर को एनर्जी की काफी जरूरत होती है, जबकि इस दौरान हम कम भोजन कर रहे होते हैं। ऐसे में पानी हमारे द्वारा पहले खाई चीजों को एनर्जी के रूप में ब्रेक करने में मदद करता है। इसके अलावा शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को वेस्ट के रूप में बाहर निकालने के लिए भी पानी की जरूरत होती है। ये यूरिन या मल के साथ बाहर निकलते हैं। इसलिए इस दौरान रोजाना पानी की जरूरत से 2 गिलास अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती है। एक्सरसाइज जरूरी है दिवाली के दौरान खाए गए पकवान और मिठाइयों से हमारे शरीर में एक्स्ट्रा एनर्जी और फैट जमा हो जाता है। इन ढेर सारी एक्स्ट्रा कैलोरी को बर्न करने के लिए एक्सरसाइज आसान उपाय है। अगर एक्सरसाइज करने में समस्या हो रही है तो लॉन्ग वॉक पर निकल सकते हैं। इस दौरान निकले पसीने से भी बहुत से टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं। 1 घंटे की ज्यादा क्वालिटी नींद करगी सुपरडिटॉक्स हमारे शरीर में सबसे ज्यादा रिपेयर नींद के समय होता है। नींद हमारे शरीर का सुपरडिटॉक्स फंक्शन है। इस दौरान ज्यादातर ऑर्गन्स दिन भर में हुए नुकसाान को रिपेयर करते हैं। अब चूंकि त्योहार के समय हमारे शरीर को टॉक्सिन्स ने अधिक नुकसान पहुंचाया है तो इसे रिपेयर के लिए अधिक समय भी चाहिए। यही कारण है कि डॉटॉक्सिफिकेशन के दौरान एक घंटे की अधिक नींद की सलाह दी जाती है। खाने में प्रोबायोटिक्स की मात्रा बढ़ाएं प्रोबायोटिक्स न्यूट्रिएंट्स के अवशोषण और पाचन में मदद करते हैं। ये हमारे पेट में हेल्दी बैक्टीरियल ग्रोथ को भी बढ़ावा देते हैं और पाचन तंत्र को भी बेहतर बनाते हैं। हम जानते हैं कि त्योहार में सबसे अधिक नुकसान हमारे पाचन तंत्र को ही होता है। इसलिए प्रोबायोटिक फूड का पर्याप्त मात्रा में सेवन बेहद जरूरी है। ये इम्यून सिस्टम को भी मजबूती देते हैं। एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर चीजें खाएं त्योहार में बहुत अधिक तला-भुना खाने, जंक फूड, शराब और तंबाकू का सेवन करने से शरीर में फ्री रेडिकल्स की संख्या बढ़ जाती है। ये फ्री रेडिकल्स ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं। नतीजतन हमारे शरीर की हेल्दी सेल्स डैमेज होने लगती हैं। इससे बचने के लिए एंटीऑक्सिडेंट्स सबसे कारगर होते हैं। इसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर और सभी खट्टे फल बेहद मददगार होते हैं। खट्टे फल खाएं शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने में विटामिन-C से भरपूर फल और सब्जियां बहुत मदद करते हैं। खास बात ये है कि विटामिन-C खुद एक पॉवरफुल एंटीऑक्सिडेंट भी होता है। इसके अलावा यह कमजोर हुई इम्यूनिटी को भी मजबूत करता है। इसके लिए हम खट्टे फल खा सकते हैं या इनका जूस बनाकर पी सकते हैं। सबसे आसाना और सस्ता उपाय है नींबू-पानी। अगर दिन भर में दो नींबू का रस भी पानी के साथ पी रहे हैं तो डिटॉक्सिफिकेशन की प्रक्रिया बहुत आसान हो जाएगी। माइंड को भी करें डिटॉक्स बहुत सारी मिठाइयां और पकवान खाने से हॉर्मोनल इंबैलेंस हो जाता है। इसका सबसे अधिक असर दिमाग पर पड़ता है। इसके कारण चिड़चिड़ाहट और टेंपर लॉस की समस्या होने लगती है। इसमें संतुलन बनाने में मेडिटेशन से मदद मिल सकती है। इसे मेंटल डिटॉक्स कहा जाता है। रसोई में रखी चीजें बॉडी डिटॉक्स में मददगार डिटॉक्सिफिकेशन के लिए बहुत अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं होती है। हमारी रसोई में रखी बहुत सी चीजें इसमें मदद कर सकती हैं। किचन में रखे नींबू, लहसुन और अदरक भी डिटॉक्स प्रोसेस में बहुत कारगर हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि किचेन में रखी कौन सी चीजें डिटॉक्स में हमारी मदद करती हैं। —————————————————— सेहत से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए…
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Source: Health

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