सेहतनामा- चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की बेटियों को रेयर डिसऑर्डर:सांस लेने में दिक्कत, खाना-पीना मुश्किल, जानिए क्या है नेमालाइन मायोपैथी

भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ हाल ही में बाल संरक्षण पर एक नेशनल वर्कशॉप को संबोधित कर रहे थे। वहां उन्होंने अपनी दोनों बेटियों की बीमारी को लेकर बात की। उनकी बच्चियों को एक रेयर कॉन्जेनाइटल डिसऑर्डर ‘नेमालाइन मायोपैथी’ (Nemaline Myopathy) है। इस डिसऑर्डर के कारण शरीर की मसल प्रोटीन प्रभावित होती है। इससे मसल्स की फ्लेक्सिबिलिटी कम होने लगती है, वे कमजोर होने लगती हैं और उनका फंक्शन खराब होने लगता है। इसमें जबड़े और गरदन के आसपास की मसल्स अधिक प्रभावित होती हैं। इसलिए खाना खाने और सांस लेने में भी समस्या होने लगती है। अमेरिकन नेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर रेयर डिसऑर्डर्स के मुताबिक, यह बीमारी दुनिया में 50 हजार में से एक व्यक्ति को प्रभावित करती है। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे इस रेयर डिसऑर्डर नेमालाइन मायोपैथी की। साथ ही जानेंगे कि- नेमालाइन मायोपैथी क्या है? यह एक ऐसी हेल्थ कंडीशन है, जो हमारे शरीर के बुनियादी कामकाज के लिए जरूरी मसल्स को प्रभावित करती है। इसके कारण शरीर के कई हिस्सों की मसल्स कमजोर हो जाती हैं। इसके लक्षण जन्म के समय, बचपन में, किशोरावस्था में या एडल्ट होने पर सामने आ सकते हैं। इसके कारण शरीर के कौन से अंग प्रभावित हो सकते हैं, ग्राफिक में देखिए: नेमालाइन मायोपैथी से प्रभावित मसल्स में धागे जैसी संरचनाएं बन जाती हैं। यही संरचनाएं उन मसल्स के कामकाज को प्रभावित करती हैं। इन संरचनाओं को रॉड या मालाइन बॉडी भी कहते हैं। जब डॉक्टर इसकी जांच करते हैं तो डिसऑर्डर की पुष्टि के लिए बायोप्सी में इन्हीं मालाइन बॉडीज को देखते हैं। इसलिए इसे रॉड बॉडी डिजीज या रॉड बॉडी मायोपैथी के नाम से भी जाना जाता है। ज्यादातर लोगों को यह डिसऑर्डर उनके पेरेंट्स से जन्मजात मिले एक या उससे अधिक जीन म्यूटेशन के कारण होता है। जबकि कुछ लोगों में स्पॉन्टेनियस म्यूटेशन हो सकता है। यह डिसऑर्डर कितने तरह का होता है? नेमालाइन मायोपैथी मुख्य तौर पर 6 तरह का होता है। टिपिकल कॉन्जेनाइटल नेमालाइन मायोपैथी: यह नेमालाइन मायोपैथी का सबसे कॉमन प्रकार है। इस डिसऑर्डर के लगभग 50% मामले इसके ही होते हैं। इंटरमीडिएट कॉन्जेनाइटल नेमालाइन मायोपैथी: इसके लक्षण टिपिकल कॉन्जेनाइटल की तुलना में अधिक गंभीर होते हैं। यह इस डिसऑर्डर के लगभग 20% मामलों के लिए जिम्मेदार है। सीवियर कॉन्जेनाइटल नेमालाइन मायोपैथी: यह कंडीशन बच्चे के जन्म के समय ही पता चल जाती है। इसके लक्षण सबसे गंभीर होते हैं। यह लगभग 16% मामलों के लिए जिम्मेदार है। चाइल्डहुड-ऑनसेट नेमालाइन मायोपैथी: इसके लक्षण 10 से 20 वर्ष की उम्र के बीच विकसित होते हैं। यह 10% से ज्यादा मामलों के लिए जिम्मेदार है। एडल्ट-ऑनसेट नेमालाइन मायोपैथी: यह कंडीशन 20 से 50 वर्ष की उम्र के बीच होती है। यह लगभग 4% मामलों के लिए जिम्मेदार है। एमिश नेमालाइन मायोपैथी: डिसऑर्डर का यह प्रकार एमिश कम्युनिटी (एक पुरानी प्रोटेस्टेंट क्रिश्चियन कम्युनिटी) को ही प्रभावित करता है। इस तरह के कुछ ही मामले सामने आते हैं। हालांकि इसके कारण अक्सर बचपन में ही मृत्यु हो जाती है। नेमालाइन मायोपैथी होने का क्या कारण है? यह शरीर के मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम बीमारी है। मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम शरीर की हड्डियों, मसल्स, जॉइंट्स, लिगामेंट्स और कार्टिलेज के कामकाज के लिए जिम्मेदार होता है। आमतौर पर यह बीमारी जेनेटिक म्यूटेशन के कारण होती है। अगर किसी के माता-पिता में से किसी एक में या दोनों में यह जीन म्यूटेशन है तो नेमालाइन मायोपैथी होने का खतरा अधिक होता है। इस डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं? नेमालाइन मायोपैथी के कारण मसल्स कमजोर हो जाती हैं। इसके कारण सामान्य ढंग से खड़े हो पाना भी मुश्किल हो जाता है। जबड़े और गर्दन की मसल्स इतनी कमजोर हो जाती हैं कि खाना चबाने और निगलने में भी समस्या होने लगती है। इसके और क्या लक्षण होते हैं, ग्राफिक में देखिए। ​​​​नेमालाइन मायोपैथी के डायग्नोसिस में इतनी देरी क्यों होती है? इस डिसऑर्डर के डायग्नोसिस में सबसे बड़ा चैलेंज तो यही है कि ये रेयर बीमारी है। इसलिए डॉक्टर्स का ध्यान अक्सर इस बीमारी की तरफ नहीं जाता है। वे इसे मस्कुलर डिसऑर्डर समझकर इलाज करते हैं। हालांकि कई बार यह देरी भारी पड़ सकती है क्योंकि नेमालाइन मायोपैथी में समय के साथ लक्षणों की गंभीरता बढ़ती जाती है। नेमालाइन मायोपैथी का ट्रीटमेंट क्या है? इस रेयर डिसऑर्डर का अभी तक कोई सटीक ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं है। इसलिए इसके इलाज में मुख्य रूप से लक्षणों को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। इसके अलावा मसल्स को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज करने या फिजियोथेरेपी लेने की सलाह दी जाती है। डॉ. गौतम अरोड़ा कहते हैं कि जेनेटिक म्यूटेशन को कंट्रोल करने के लिए कुछ ट्रीटमेंट पर रिसर्च चल रही है, लेकिन इस पर अभी बहुत काम बाकी है। इसके लिए कई तरह के ट्रीटमेंट दिए जा सकते हैं: नेमालाइन मायोपैथी में ये समस्याएं होने पर हॉस्पिटल में भर्ती करना जरूरी क्या अपने बच्चे के लिए नेमालाइन मायोपैथी का जोखिम कम किया जा सकता है? डॉ. गौतम अरोड़ा कहते हैं कि हम अपने बच्चे के लिए इस रेयर डिसऑर्डर का जोखिम कम नहीं कर सकते हैं। यह जरूर है कि हमें अपने बच्चों के सभी लक्षणों और संकेतों पर गौर करना चाहिए। इससे कमजोरी के थोड़े भी असामान्य पैटर्न दिखने पर डॉक्टर से सलाह लेकर तुरंत ट्रीटमेंट शुरू किया जा सकता है। समय पर ट्रीटमेंट शुरू होने पर लक्षणों को कुछ हद तक कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। …………………….. सेहतनामा से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए सेहतनामा- पंजाब सीएम भगवंत मान को हुआ रेयर बैक्टीरियल इन्फेक्शन: लेप्टोस्पायरोसिस से हर साल 60 हजार लोगों की मौत लेप्टोस्पायरोसिस एक रेयर और गंभीर बीमारी है, जो लेप्टोस्पायरा नाम के बैक्टीरिया के संक्रमण से फैलती है। शुरू में इसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, जो बाद में घातक बीमारी वेइल सिंड्रोम में बदल सकते हैं।। पूरी खबर पढ़िए…
Source: Health

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