सेहतनामा- राजस्थान में गलघोंटू बीमारी डिप्थीरिया का कहर:20 दिन में 8 बच्चों की मौत, WHO की टीम पहुंची, जानें क्या है ये बीमारी
By : Devadmin -
राजस्थान के डीग में डिप्थीरिया (Diphtheria) के कारण 20 दिन के भीतर 8 बच्चों की मौत हो चुकी है। जयपुर से चिकित्सा विभाग की टीमें डीग पहुंच गई हैं और आसपास के इलाकों में जांच शुरू हो गई है। सभी बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं। इस मामले की और बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम भी डीग पहुंच गई है। डिप्थीरिया एक संक्रामक बीमारी है। इसके कारण गले में सूजन हो जाती है और सांस लेने में गंभीर समस्या होने लगती है। अगर समय पर इलाज न मिले तो कई बार जान भी जा सकती है। इस बीमारी के कारण गले से जुड़ी समस्याएं होती हैं। इसलिए डिप्थीरिया को आम भाषा में गलघोंटू भी कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में साल 2005 से 2014 के बीच हर साल डिप्थीरिया के औसतन 4167 केस दर्ज किए गए। इनमें से हर साल तकरीबन 92 लोगों की मौत हुई। इस दौरान पूरी दुनिया में डिप्थीरिया के कुल मामलों के आधे तो भारत में ही मिल रहे थे। इसके बाद साल 2018 में डिप्थीरिया का एक तेज स्पाइक आया। इस साल कुल 8,788 केस दर्ज किए गए। इनमें से अकेले दिल्ली में ही 52 लोगों की मौत हो गई। अब 2024 में एक बार फिर से इसके बढ़ते मामले और मौतों की संख्या डरा रही है। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे डिप्थीरिया की। साथ ही जानेंगे कि- डिप्थीरिया क्या है? डिप्थीरिया एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जिससे गले और नाक की भीतरी परत को नुकसान होता है। इस लेयर को मेडिसिन की भाषा में म्यूकस कहते हैं। इसमें नुकसान होने से श्वसन तंत्र प्रभावित होता है, जिसके चलते हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। यह बीमारी कैसे फैलती है? डिप्थीरिया एक संक्रामक बीमारी है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकती है। इसके अलावा अगर किसी चीज या वस्तु में बैक्टीरिया है तो उसे छूने से भी यह बीमारी फैल सकती है। किसी संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से बैक्टीरिया हवा में मिल जाते हैं। इस दौरान उसके आसपास खड़े लोगों को भी डिप्थीरिया का खतरा हो सकता है। डिप्थीरिया की सबसे बड़ी समस्या ये है कि शुरुआती दिनों में इस संक्रमण के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसके बावजूद इस दौरान भी यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो सकती है। इसके अलावा लक्षण नजर न आने के बावजूद इसके बैक्टीरिया शरीर को नुकसान पहुंचा रहे होते हैं। डिप्थीरिया के लक्षण कैसे पहचान सकते हैं? डिप्थीरिया के लक्षणों को पहचानने का सबसे आसान तरीका ये है कि इसके कारण गले में भूरे रंग की मोटी परत जम जाती है। इस परत के कारण श्वसन तंत्र प्रभावित होने लगता है। यह परत धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और हमारे हृदय को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है। इसका मतलब है कि हमारे गले में जम रही परत और सांस लेने में तकलीफ इसके प्रमुख लक्षण हैं। डिप्थीरिया के किस तरह के लक्षण दिखने पर सावधानी जरूरी है? डिप्थीरिया के सामान्य लक्षण दिखने पर भी सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। हालांकि डिप्थीरिया के शुरुआती लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे ही होते हैं। जयपुर के नारायणा हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक और नियोनेटोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट राजेश पाठक कहते हैं कि डिप्थीरिया के कुछ लक्षणों में विशेष सावधानी की जरूरत होती है। अगर एक साथ इसके 3 या इससे अधिक लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत होती है। डिप्थीरिया का सबसे अधिक खतरा किसे होता है? आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को और गर्भवती महिलाओं को इससे इन्फेक्शन होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसके अलावा जिन लोगों को भी इसकी वैक्सीन नहीं लगाई गई और वे किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो उन्हें डिप्थीरिया हो सकता है। डिप्थीरिया के कारण किस तरह के कॉम्प्लिकेशन का खतरा होता है? डिप्थीरिया के कारण सबसे पहले हमारा श्वसन तंत्र ब्लॉक होने लगता है। इसके कारण सांस लेने में समस्या होने लगती है। इसके चलते शरीर के सभी अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है और उनकी फंक्शनिंग में समस्या आने लगती है। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि इसके कारण किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं। डिप्थीरिया का इलाज क्या है? डिप्थीरिया के इलाज में सबसे पहले संक्रमित व्यक्ति को एंटीटॉक्सिन इंजेक्शन दिए जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इसका बैक्टीरिया हमारे शरीर में टॉक्सिन्स छोड़ रहा होता है। यही कारण है कि सबसे पहले बैक्टीरिया द्वारा छोड़े गए टॉक्सिन्स के असर को खत्म किया जाता है। इसके बाद संक्रमण को काबू करने के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं। अगर डॉक्टर को इस बात का डर है कि पेशेंट के करीबी लोगों में भी इसके बैक्टीरिया पहुंच गए होंगे तो वे उन्हें भी एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं। डिप्थीरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज की सलाह क्यों दी जाती है? इस बीमारी के कारण संक्रमित व्यक्ति में कभी भी गंभीर स्थितियां पैदा हो सकती हैं। इसलिए इसका पता लगते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और जल्द-से-जल्द इलाज शुरू कर देना चाहिए। डिप्थीरिया से बचाव के उपाय क्या हो सकते हैं? डिप्थीरिया को वैक्सीन की मदद से रोका जा सकता है। अगर बच्चों को डिप्थीरिया के टीके दिलवा दिए जाएं तो वे जिंदगी भर इससे सुरक्षित बने रहेंगे। इसके लिए बनी वैक्सीन का नाम DTaP है। यह सामान्य तौर पर पर्टुसिस और टेटनस की वैक्सीन के साथ बच्चों को दी जाती है, जिसे आम लोग DPT के टीके के नाम से भी जानते हैं। डिप्थीरिया की वैक्सीन बच्चों को 2 महीने की उम्र से ही देनी शुरू कर दी जाती है। 2 महीने की उम्र से शुरू करके 6 साल की उम्र तक बच्चों को इसके कुल 5 डोज दिए जाते हैं। डिप्थीरिया होने पर सेहत का ख्याल कैसे रखें? 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