सेहतनामा- रोज एक सेब खाओगे तो डॉक्टर दूर भगाओगे:सेब है प्रकृति का वरदान, मिनरल्स से भरपूर, कैंसर और हार्ट डिजीज का दुश्मन

‘ऐन एप्पल अ डे, कीप्स डॉक्टर अवे।’ ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी। इसका मतलब है कि अगर आप रोज एक सेब खाते हैं तो आपको कोई बीमारी नहीं घेरेगी और डॉक्टर के पास जाने की नौबत नहीं आएगी। कभी यूरोप के वेल्स में जन्मी ये कहावत अब पूरी दुनिया में प्रचलित है। सेब अपनी मिठास और रसदार अंदाज के कारण दुनिया में सबसे अधिक खाए जाने वाले फलों में से एक है। पूरी दुनिया में इसकी 7500 से ज्यादा किस्में उगाई जा रही हैं। स्टेटिस्टा में पब्लिश एक डेटा के मुताबिक साल 2022 में दुनिया भर में 9 हजार 584 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ। इसकी मांग हर साल तेजी से बढ़ती जा रही है। सेब इसलिए भी इतना पसंद किया जाता है, क्योंकि इसे चलते-फिरते भी आसानी से खाया जा सकता है और इसका स्वाद तो लाजवाब होता ही है, लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि सेब में लगभग हर वो मिनरल और न्यूट्रिशन मौजूद होता है, जो हमारे शरीर को चाहिए। यही कारण है कि ये हमें बहुत सी बीमारियों से बचाता है। इसलिए आज ‘सेहतनाामा’ में जानेंगे कि सेब खाने के क्या फायदे हैं। साथ ही जानेंगे कि- ऐसे आई ‘ऐन एप्पल अ डे’ वाली कहावत
साल 1866 में यूरोप के वेल्स में किसी आलेख में लिखा गया कि ‘ईट ऐन एप्पल ऑन गोइंग टु बेड एंड यू विल कीप द डॉक्टर फ्रॉम अर्निंग हिज ब्रेड।’ इसका अर्थ है कि रोज सोने से पहले एक सेब खाइए और डॉक्टर को अपनी रोजी-रोटी मत कमाने दीजिए। बात सुनने में थोड़ी फनी जरूर थी, लेकिन थी कमाल की। वरना क्या वजह रही होगी कि सौ साल गुजरते-गुजरते यह पूरी दुनिया में फेमस हो गई। वाक्य का स्वरूप थोड़ा बदल गया और 1913 में यह बदलकर ‘ऐन एप्पल अ डे, कीप्स द डॉक्टर अवे’ कर दिया गया और यह पूरी दुनिया में प्रचलित हो गया। सेब में होते हैं ढेर सारे न्यूट्रिएंट्स
सेब पौष्टिक फल है। इसमें महत्वपूर्ण मिनरल्स, विटामिन, फाइबर और कार्ब्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसमें कौन से मिनरल्स और विटामिन होते हैं, नीचे ग्राफिक में देखिए। सेब को पकाने के लिए नहीं मिलाते खतरनाक केमिकल
आमतौर पर सेब को पेड़ से कच्चा तोड़ा जाता है। कच्चे फलों को सुरक्षित रूप से ट्रांसपोर्ट करना आसान होता है। इसलिए व्यावसायिक इरादे से उगाए गए ज्यादातर फल कच्चे ही तोड़े जाते हैं। इसके बाद कई बार इसे जल्दी पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड जैसे केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। यह केमिकल सेहत के लिए नुकसानदायक है। सच तो ये है कि सेब स्वयं एथिलीन गैस रिलीज करता है। इसे पकाने के लिए अलग से केमिकल के इस्तेमाल की जरूरत नहीं है। यह बिना किसी केमिकल के स्वत: पक जाता है। इसलिए अगर आप कच्चा सेब खरीद रहे हैं तो उसे आराम से अपने आप पकने दें और फिर खाएं। सेब खाने से होते हैं ढेरों हेल्थ बेनिफिट्स
सेब खाने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इससे वजन कम करने में मदद मिलती है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। साथ ही यह हार्ट डिजीज और कैंसर जैसी बीमारियों की आशंका को भी कम कर सकता है। सेब खाने से क्या बड़े फायदे होते हैं, ग्राफिक में देखिए: आइए ग्राफिक में दिए इन पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं: वेट मैनेजमेंट में मददगार है
सेब में फाइबर और पानी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है। इससे जल्दी पेट भर जाता है और भूख शांत हो जाती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में नवंबर, 2020 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, सेब का जूस पीने की अपेक्षा साबुत सेब खाने से पेट जल्दी भरता है। इस स्टडी के लिए कुछ लोगों को दो अलग समूहों में बांटा गया। इसमें एक समूह को सेब का जूस पीने को दिया गया, दूसरे समूह को साबुत सेब खाने को दिया गया। इसमें साबुत सेब खाने वाले समूह के लोगों को तृप्ति का एहसास अधिक हुआ। ये खाने के बाद लोगों को देर तक भूख नहीं लगती और कम भोजन की जरूरत होती। इस स्टडी में यह भी पता चला कि साबुत सेब के सेवन से मोटापा कम होता है। हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद है
नियमित रूप से रोज एक सेब खाया जाए तो हार्ट डिजीज की आशंका कम हो जाती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में मई, 2021 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, प्रतिदिन 100-150 ग्राम सेब खाने से हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम कम होता है और हार्ड डिजीज की आशंका कम होती है। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि सेब में घुलनशील फाइबर मौजूद होता है। दूसरा बड़ा कारण है कि इनमें पॉलीफेनल्स होते हैं। डायबिटीज का जोखिम कम होता है
नियमित रूप से सेब खाने से टाइप-2 डायबिटीज की आशंका भी कम हो सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में अगस्त, 2016 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, रोज एक सेब या नाशपाती खाने से टाइप-2 डायबिटीज का जोखिम 18% तक कम हो सकता है। अगर हफ्ते में एक बार सेब या नाशपाती खा रहे हैं तो यह जोखिम 3% तक ही कम हो सकता है। यह सेब और नाशपाती में मौजूद पॉलीफेनल क्वेरसेटिन की उच्च मात्रा के कारण संभव होता है। गट हेल्थ में सुधार करता है
सेब में पेक्टिन होता है। यह एक तरह का फाइबर है, जो हमारे पेट के माइक्रोबायोम में प्रीबायोटिक की तरह काम करता है। यह गट में मौजूद दो तरह के हेल्दी बैक्टीरिया, बैक्टीरियोडेट्स और फर्मिक्यूट्स के अनुपात में सुधार करता है। इससे गट हेल्थ बेहतर होती है। मौजूदा समय में हो रहे ज्यादातर शोध इस ओर इशारा करते हैं कि अधिकतर बीमारियों का गट बैक्टीरिया से सीधा कनेक्शन है। इसलिए अगर गुड गट बैक्टीरिया बढ़ेंगे तो ओवरऑल हेल्थ दुरुस्त रहेगी। कैंसर के खतरे से बचाता है
सेब में पॉवरफुल एंटीऑक्सीडेंट पॉलीफेनल्स होते हैं। इसलिए सेब लंग्स, ब्रेस्ट और पाचन तंत्र के कैंसर सहित कई तरह के कैंसर के खिलाफ लाभकारी होता है। यह कैंसर सेल्स को बढ़ने से भी रोकता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में नवंबर, 2021 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, कैंसर का सामना कर रहे लोग अगर नियमित रूप से सेब खा रहे हैं तो वे ज्यादा दिन तक जावित रहते हैं। कैंसर की रोकथाम में सेब कैसे अधिक कारगर साबित हो सकता है, इसे लेकर कई स्टडीज चल रही हैं। अस्थमा से बचा सकता है
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर सेब एलर्जिक अस्थमा में श्वसन नली के इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद कर सकता है। सेब में क्वेरसेटिन एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, क्वेरसेटिन अस्थमा और साइनसाइटिस जैसी एलर्जिक इंफ्लेमेशन संबंधी बीमारियों से लड़ने में कारगर हो सकता है। ब्रेन को ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से बचा सकता है
सेब में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे ब्रेन को ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में जनवरी, 2020 में 14 स्टडीज की एक मेटा-एनालिसिस हुई। इसके मुताबिक क्वेरसेटिन की मौजूदगी के कारण सेब खाने से अल्जाइमर डिजीज के ट्रीटमेंट में मदद मिल सकती है। मेंटल हेल्थ इंप्रूव होती है
नवंबर, 2020 की मेटा एनालिसिस के मुताबिक, रोजाना सेब खाने से आपकी मेंटल हेल्थ इंप्रूव होती है। इसकी मुख्य वजह सेब में एंटीऑक्सीडेंट्स की मौजूदगी को माना गया है। इससे ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस कम होता है और दिमाग जल्दी बूढ़ा नहीं होता है यानी फंक्शनिंग अच्छी बनी रहती है। ग्राफिक्स: अंकुर बंसल …………………. ये खबर भी पढ़िए
सेहतनामा- आयुर्वेद में 100 बीमारियों की एक दवा है गिलोय: इसे कब और कैसे खाएं, क्या सावधानियां बरतें पहले जब कोई संक्रामक बीमारी फैलती तो पूरे गांव-के-गांव सिमटने लगते थे। लोग जीवन की आशा खो देते थे, तब गिलोय अपनी एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टी से लोगों की जान बचा लेती थी। इसीलिए इसे संस्कृत में गुरुचि या अमृता भी कहते हैं। पूरी खबर पढ़िए…
Source: Health

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