सेहतनामा- नवरात्रि के 9 दिन व्रत से बॉडी होगी डिटॉक्स:उपवास का महत्व बताने वाले वैज्ञानिक को मिला नोबेल, व्रत के 10 हेल्थ बेनिफिट्स

3 अक्टूबर यानी कल से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। इसमें 9 दिन अलग-अलग देवियों की आराधना की जाती है। नवरात्रि का हर दिन एक अलग शक्ति और सिद्धि का प्रतीक होता है। सभी देवियों को प्रसन्न करने और जीवन में सुख-समृद्धि जैसी तमाम सिद्धियां हासिल करने के लिए लोग व्रत रखते हैं। व्रत परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह उतनी ही पुरानी है, जितना पुराना इस धरती पर मनुष्य का इतिहास है। जब अनाज की खोज नहीं हुई थी, तब मुनष्य भोजन की तलाश में शिकार के लिए निकलते थे। एक शिकार के लिए घंटों-दिनों तक लगातार जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती। एक बार शिकार करने के बाद फीस्टिंग का वक्त होता। फिर जब भोजन खत्म हो जाता तो फास्टिंग का वक्त शुरू हो जाता क्योंकि मनुष्य को पता नहीं था कि अगला भोजन, अगला शिकार कब मिलेगा। फास्टिंग का समय एक दिन से लेकर 10 दिन तक का भी हो सकता था। इसके अलावा जब कोई प्राकृतिक आपदा आती तो उन दिनों में शिकार और मुश्किल काम हो जाता था। माना जाता था कि प्रकृति नाराज है और उसके प्रकोप के कारण ही उन्हें भोजन नहीं मिल पा रहा है। इसलिए वे प्रकृति को प्रसन्न करने के लिए भोजन त्यागकर व्रत रखते थे। जब सभ्यता परवान चढ़ी, अलग-अलग धर्म वजूद में आए तो इस व्रत परंपरा ने धार्मिक स्वरूप ले लिया। हालांकि मानव इतिहास में उपवास धार्मिक अनुष्ठान से कहीं ज्यादा आत्मानुशासन, आत्म संयम और आत्मावलोकन का प्रतीक रहा है। इस दौरान खानपान का भी बहुत ध्यान रखा गया। इस दौरान भोजन में सिर्फ प्राकृतिक चीजों को ही जगह मिली। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि नवरात्रि व्रत हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक है। साथ ही जानेंगे कि- इस आर्टिकल में हम व्रत का इतिहास, इसकी वैज्ञानिक परख और इस दौरान खानपान के सही तरीके विस्तार से समझेंगे। इससे पहले ग्राफिक में देखिए, नवरात्रि व्रत के बड़े फायदे। ग्राफिक में दिए पॉइंट्स के पीछे का विज्ञान समझते हैं : वैज्ञानिक पैमानों पर खरी उतरी व्रत परंपरा
व्रत के दौरान खाने का त्याग करने या कम-से-कम भोजन करने से हमारे शरीर में एक खास प्रक्रिया जन्म लेती है, जिसे ‘ऑटोफेजी’ कहते हैं। इसे ऐसे समझिए कि व्रत के कारण जब हमारे शरीर को भोजन से पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती है तो शरीर अपनी सबसे कमोजर और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को खाकर ऊर्जा जुटाता है। परिणामस्वरूप शरीर में सबसे स्वस्थ कोशिकाएं शेष रह जाती हैं और हम पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं। जापानी साइंटिस्ट योशिनोरी ओशुमी को इस प्रक्रिया के पीछे का विज्ञान और फायदे समझाने के लिए वर्ष 2016 में मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मिला। नवरात्रि में एक साथ तीन व्रत का पालन करते हैं लोग
नवरात्रि में लोग सिर्फ भोजन को लेकर संयम नहीं बरतते हैं, बल्कि एक साथ तीन व्रत का पालन भी करते हैं। इस दौरान मन, वचन और कर्म, तीनों की पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। इससे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत अच्छी बनी रहती है। कायिक व्रत में शारीरिक हिंसा का त्याग करना होता है। ध्यान रखना होता है कि कोई ऐसा कर्म न करें, जिससे किसी को नुकसान पहुंचे। वाचिक व्रत में सिर्फ सत्य वचन ही बोलने होते हैं। इसके अलावा ऐसे वचन नहीं बोलने होते, जिससे किसी को ठेस पहुंचती हो। मानसिक व्रत में काम, क्रोध, लोभ जैसे विचारों का त्याग करना होता है। ग्राफिक में देखिए: नवरात्रि व्रत में भोजन का विशेष ध्यान रखें
नवरात्रि में 9 दिन पूजा-अर्चना के साथ खानपान का भी विशेष ध्यान रखना होता है। आमतौर पर व्रत के नियम इस तरह हैं कि इससे सेहत को लाभ होता है। अगर हम नवरात्रि व्रत के लिए पहले से थोड़ी प्लानिंग कर लें तो सेहत को कई फायदे हो सकते हैं। ग्राफिक में देखिए, इस दौरान क्या करना है और क्या नहीं। हर धर्म में है व्रत परंपरा
दुनिया के सभी धर्मों, सभी सभ्यताओं में व्रत की परंपरा है। धर्म बनने से पहले भी दुनिया भर में लोग व्रत रखते थे। जब ये प्रैक्टिस धर्म का हिस्सा बन गई तो इसके तरीके और कारण बदल गए। इन सबके पीछे मूल वैज्ञानिक उद्देश्य अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य ही है। देश-दुनिया के सभी धर्मों में व्रत परंपरा है। नीचे ग्राफिक में देखिए। ……………….. नवरात्रि से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए… जरूरत की खबर- मां दुर्गा के चार पसंदीदा भोग:देवी को पसंद कद्दू, नारियल की बर्फी और शकरकंद की खीर, घर पर बनाने की आसान रेसिपी इस नवरात्रि के अवसर पर व्रत रखा है और मां दुर्गा का भोग अपने हाथों से बनाने वाले हैं तो हम आपके लिए लेकर आए हैं, माता के सबसे पसंदीदा पकवानों की रेसिपी।
पढ़िए पूरी खबर…
Source: Health

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