सेहतनामा- फूड पैकेजिंग मटेरियल में मिले ब्रेस्ट कैंसर वाले केमिकल्स:ये आपकी सेहत के लिए हैं बेहद खतरनाक, जानें बचने का तरीका

आज भी आपने हर रोज की तरह चाय और पैकेट बंद टोस्ट के साथ अपने सुबह की शुरुआत की। ब्रेकफास्ट में प्लास्टिक डिब्बे में पैक जैम के साथ पैकेज्ड ब्रेड का स्वाद लिया। ऑफिस में पैकेज्ड स्नैक्स के साथ चाय की चुस्की ली। दोपहर में जो लंच किया वह तो घर का बना हुआ था, लेकिन उसके साथ जो आइस्क्रीम खाई, उसे पैकेजिंग डिब्बे से निकाला। ये सब कितना रूटीन और सामान्य लग रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम रोजमर्रा के जीवन में जिन पैकेज्ड फूड्स का इस्तेमाल करते हैं, वे हमारी बॉडी में ब्रेस्ट कैंसर को जन्म दे सकते हैं। जी हां, एक हालिया रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई है कि हम हर रोज जाने-अनजाने में 76 ऐसे केमिकल्स को अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ावा देते हैं। ब्रेस्ट कैंसर एक साइलेंट किलर है। इससे हर साल लाखों लोगों की जान जा रही है और कई मामलों में तो मौतें रिपोर्ट ही नहीं की जाती हैं। दुनिया के जाने-माने जर्नल ‘फ्रंटियर्स’ में हाल ही में एक स्टडी पब्लिश हुई। इस स्टडी से पता चलता है कि फूड पैकेजिंग के लिए जिन फूड कॉन्टैक्ट मटेरियल का इस्तेमाल हो रहा है उनमें 189 कैंसर कारक केमिकल्स पाए गए हैं, जिनमें से 76 ऐसे हैं जो हमारी शरीर में जा रहे हैं। इसमें पर एंड पॉलीफ्लूरोएल्काइल सब्सटेंस (PFAS) बिस्फेनॉल और फेथलेट्स जैसे खतरनाक केमिकल्स भी शामिल हैं। ये मानव शरीर के लिए बेहद घातक हैं। यही नहीं ‘जर्नल ऑफ एक्सपोजर साइंस एंड एनवायर्नमेंटल एपिडेमियोलॉजी’ में पब्लिश स्विटजरलैंड बेस्ड फूड पैकेजिंग फोरम फाउंडेशन की एक अन्य स्टडी में बताया गया है कि फूड पैकेजिंग में उपयोग होने वाले 3,600 से ज्यादा केमिकल्स मनुष्य के शरीर में मिले हैं, जिनमें करीब 100 केमिकल्स मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। तो आज ‘सेहतनामा’ में हम आपको फूड पैकेजिंग में पाए जाने वाले कैंसर कारक केमिकल्स से बचने के उपाय के बारे में बताएंगे। साथ ही जानेंगे कि- जैसा कि इसके पहले हमने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में आपको विस्तार से बताया है। तो यहां हम सिर्फ पैकेजिंग फूड्स पर ही चर्चा करेंगे। पैकेज्ड फूड्स क्यों खतरनाक हैं?
हम अपने डेली रूटीन में अक्सर बिना किसी सोच-विचार के पैकेज्ड फूड का इस्तेमाल करते हैं और इसे सेफ भी मानते हैं, लेकिन ये हमारे स्वास्थ के लिए बेहद खतरनाक हैं। क्योंकि अधिकांश फूड पैकेजिंग मटेरियल में प्लास्टिक के तत्व और खतरनाक केमिकल्स होते हैं, जो फूड के जरिए शरीर के अंदर चले जाते हैं और ब्रेस्ट कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारी को न्यौता देते हैं। फूड केमिकल्स से बचने के उपाय पैकेज्ड फूड्स में मौजूद केमिकल्स से बचने के लिए सबसे पहले आपको स्वास्थ्य के प्रति ​जागरूक होना होगा। किसी भी पैकेट बंद खाने वाली चीज के इस्तेमाल से परहेज करें। भोजन बनाने के लिए प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल न करें। नीचे ग्रा​फिक में हम आपको फूड पैकेजिंग केमिकल्स से बचने के लिए कुछ टिप्स बता रहे हैं। एनवायर्नमेंटल टॉक्सिन्स की वजह से दुनिया में 1.3 करोड़ लोगों की हर साल मौत होती है बीमारियों की एक मुख्य वजह एनवायर्नमेंटल टॉक्सिन्स भी हैं। आइए जानते हैं कि एनवायर्नमेंटल टॉक्सिन्स क्या हैं और ये इतने खतरनाक क्यों हैं? एनवायर्नमेंटल टॉक्सिन्स नेचुरल और मानव निर्मित केमिकल्स हैं, जो शरीर के हार्मोन की नकल कर सकते हैं या उनमें इंटरफेयर कर सकते हैं। इसे एंडोक्राइन सिस्टम के रूप में जाना जाता है। इनमें प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले कंपाउंड सीसा, पारा, रेडॉन, फॉर्मेल्डिहाइड, बेंजीन और कैडमियम व BPA, पैथलेट्स और कीटनाशक जैसे मानव निर्मित केमिकल्स भी शामिल हैं। ये एंडोक्राइन सिस्टम डिसरप्टर्स हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले कई रोजमर्रा के प्रोडक्ट्स में पाए जाते हैं। इनमें कुछ प्लास्टिक की बोतलें और कंटेनर, फूड कैन, डिटर्जेंट, फ्लेम रिटार्डेंट, खिलौने, ब्यूटी प्रोडक्ट्स् और कीटनाशक दवाएं शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक टॉक्सिन्स हमारे शरीर को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करते हैं। वे हमारे शरीर को काम करने से रोकते हैं और हेल्थ को खतरे में डालते हैं, हमारे हार्मोन को असंतुलित करते हैं और जीवन की लंबी उम्र को भी कम कर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, एनवायर्नमेंटल टॉक्सिन्स के कारण दुनिया में हर साल 1.3 करोड़ लोगों की मौत होती है। नीचे ग्राफिक में एनवायर्नमेंटल टॉक्सिन्स से होने वाली बीमारियों के बारे में जानें। एनवायर्नमेंटल टॉक्सिन्स के संपर्क को कम करने के तरीके हम अपने पर्यावरण को पूरी तरह से कंट्रोल नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम जिस कठिनाई का सामना कर रहे हैं, उसके बारे में जागरूक होकर जोखिम को कम कर सकते हैं। नीचे पॉइंटर्स में इस बारे में जानिए।
Source: Health

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