सेहतनामा- मौत के बाद शरीर में क्या होता है:कितनी देर जिंदा रहता है ब्रेन, लिवर; शरीर नीला क्यों पड़ता है

क्या आपने कभी सोचा है कि मृत्यु के बाद क्या होता है? पहली बार में यह आध्यात्मिक सवाल लग सकता है, जिसके बारे में गरुड़ पुराण से लेकर अलग-अलग दर्शन में अलग-अलग जवाब मिल जाएंगे। इनमें बताया जाता है मृत्यु के बाद हमारी आत्मा कैसे-कैसे और किस लोक में जाती है, वहां उसके साथ क्या होता है। लेकिन अगर इस विषय को वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो सवाल और उसके जवाब भी बिल्कुल बदल जाएंगे। सवाल ये है कि मृत्यु के बाद शरीर का कौन सा अंग कितनी देर तक जीवित रहता है? इस क्षेत्र में हुई वैज्ञानिक रिसर्च से ही यह मुमकिन हुआ कि अब ऑर्गन डोनेशन के जरिए विज्ञान हर साल लाखों लोगों की जिंदगी बचा रहा है। अगर हमने अपने ऑर्गन डोनेट किए हैं तो ये हमारी मृत्यु के बाद किसी को जीवन दे सकते हैं। हमारी आंखें नए शरीर में जाकर फिर से खूबसूरत संसार को देख सकती हैं। हमारा दिल किसी और के शरीर में फिर से धड़क सकता है। फेफड़े फिर से सांस ले सकते हैं और हमारी किडनी किसी और के ब्लड से टॉक्सिन्स छान सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ के 99वें एपिसोड में अंगदान के महत्व पर बात की थी। इसके पहले हम भी ऑर्गन डोनेशन पर विस्तार से बात कर चुके हैं। तो आज ‘सेहतनामा’ में हम बताएंगे कि मृत्यु के बाद हमारे शरीर में क्या होता है। साथ ही जानेंगे कि- मृत्यु के बाद शरीर में क्या होता है?
आमतौर पर लोग मृत्यु का मतलब ये समझते हैं कि दिल ने धड़कना बंद कर दिया है। जबकि यह एक पूरी लंबी प्रक्रिया है। दिल की धड़कन थमने के बाद एक लंबी सीरीज में शरीर में बहुत कुछ हो रहा होता है। इस प्रोसेस को डीकंपोजिशन (क्षरण) कह सकते हैं। मृत्यु के तुरंत बाद क्या होता है?
मृत्यु के बाद बीत रहे हर मिनट के साथ सभी अंगों में कुछ बदलाव हो रहे होते हैं। जैसे हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग ब्रेन जीवित रहने के लिए पूरी तरह ब्लड के जरिए मिल रही ऑक्सीजन पर ही निर्भर है। इसलिए दिल की धड़कन बंद होने के कुछ ही मिनटों बाद इसकी मौत हो जाती है। मृत्यु के तुरंत बाद शरीर में क्या बदलाव होते हैं, ग्राफिक में देखिए। मृत्यु के बाद पहले घंटे में क्या बदलता है?
मृत्यु के एक घंटे के अंदर त्वचा का रंग फीका पड़ने लगता है। शरीर का तापमान गिरने लगता है। मसल्स का लचीलापन खत्म होने लगता है। लिवर काम करना बंद कर देता है, लेकिन ऑक्सीजन की कमी के बावजूद भी वह किसी तरह जीवित रहने की कोशिश कर रहा होता है। इसे ट्रांसप्लांट करने के लिए शरीर से तुरंत निकालना और प्रिजर्व करना जरूरी होता है। मृत्यु के 2 से 6 घंटे के बीच क्या बदलता है?
मृत्यु के बाद शुरुआती घंटे में लगभग हर जगह एक जैसी स्थिति होती है। उसके बाद की चीजें मौत के कारण, जलवायु, तापमान जैसे कई कारकों पर निर्भर करती हैं। मृत्यु के 2 से 6 घंटे बाद शरीर में रासायनिक बदलाव होने लगते हैं, जिससे रिगर मॉर्टिस की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसमें शरीर की मसल्स अकड़ने लगती हैं। सबसे पहले शरीर की सबसे छोटी मसल्स प्रभावित होती हैं। इसका असर पलकों और जबड़े की मसल्स पर होता है। मृत्यु के 6 से 12 घंटे बाद क्या होता है?
मौत के बाद इतना समय बीतने पर पूरे शरीर की मसल्स अकड़कर कठोर हो जाती हैं। इस दौरान शरीर में ऑटोलिसिस नाम की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसमें हमारे शरीर की कोशिकाओं से एक खास एंजाइम निकलता है, जो टिशूज को ब्रेक करना और उसे खाना शुरू कर देता है। इसे ही डीकंपोजिशन कहते हैं। इसका मतलब है कि इस दुनिया में शरीर का मकसद पूरा हो गया है। अब अगर कोई इसकी अंतिम क्रिया नहीं भी करता है तो प्रकृति अपने तरीके से इसको धीरे-धीरे डीकंपोज करके खत्म कर देगी। इस प्रोसेस के दौरान जब हमारे शरीर के सभी अंग एक-एक करके दम तोड़ रहे होते हैं, अगर इन्हें समय रहते शरीर से बाहर निकाल लिया जाए और प्रिजर्व कर लिया जाए तो ये किसी जरूरतमंद के शरीर में ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं। इससे किसी शख्स को नया जीवन मिल सकता है। मत्यु के कितनी देर बाद तक ट्रासप्लांट के लिए अंग निकाल सकते हैं
ब्रेन डेड होने के बाद शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। ऑक्सीजन के बिना सभी अंगों की फंक्शनिंग खराब होने लगती है। इसलिए इन्हें मत्यु के बाद जितनी जल्दी संभव हो सके, शरीर से बाहर निकालकर जरूरी ऑक्सीजन सप्लाई देनी होती है। शरीर में बने रहकर कौन सा अंग कितनी देर तक जीवित रह सकता है, नीचे दिए ग्राफिक में देखिए।
Source: Health

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