पृथ्वी को मिला 10 मीटर का नया मिनी चांद:2 महीने धरती के चक्कर लगाकर सूरज की तरफ लौटेगा
By : Devadmin -
पृथ्वी को करीब ढाई महीने के लिए एक छोटा चांद मिला है। यह उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति को और बेहतर तरह से समझने में मदद करेगा। यह चांद असल में एक एस्टेरॉयड है, जिसका नाम 2024 PT5 है। इसे 7 अगस्त को खोजा गया था। इसका डायमीटर लगभग 10 मीटर है। ये एस्टेरॉयड 9 सितंबर से अर्थ की ऑर्बिट में घूम रहा है और अगले 77 दिन यानी 25 नवंबर तक ऐसा करता रहेगा। दरअसल, यह एस्टेरॉयड चांद की तरह पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है, इसलिए इसे मिनी मून नाम दिया गया है। बेहद कम स्पीड होने की वजह से अगले दो महीने में यह एस्टेरॉयड पृथ्वी का एक चक्कर भी पूरा नहीं कर पाएगा। एस्टेरॉयड के रास्ते को समझाता हुआ यह वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है… पृथ्वी की ग्रैविटी से सूर्य की ऑर्बिट में लौटेगा एस्टेरॉयड 25 नवंबर के बाद 2024 PT5 एस्टेरॉयड पृथ्वी की ग्रैविटी से आजाद होकर सूर्य की ऑर्बिट में लौट जाएगा। दरअसल, सूरज के चक्कर लगाते-लगाते यह एस्टेरॉयड धरती के करीब पहुंच चुका है। इस वजह से यह ग्रैविटेशनल फोर्स से खिंचकर पृथ्वी के चक्कर लगाने लगा है। 25 नवंबर के बाद यह धरती से दूर हो जाएगा और इस पर ग्रैविटी का असर भी खत्म हो जाएगा। तब यह वापस सूरज की ऑर्बिट में लौट जाएगा। वैसे तो पहले भी कई एस्टेरॉयड धरती के चक्कर लगा चुके है, लेकिन 2024 PT5 इतना धुंधला होगा कि इसे आंखों या दूरबीनों से नहीं देखा जा सकेगा। इसे सिर्फ 22 मैग्निट्यूड वाले एडवांस ऑब्जरवेटरी से देखा जा सकेगा । वैज्ञानिकों की करेगा मदद, देगा अंतरिक्ष की जानकारी हार्वर्ड और स्मिथसोनियन की एस्टेरॉयड रिसर्चर फेडेरिका स्पोटो का कहना है कि 2024 PT5 से उन अंतरिक्ष के एस्टेरॉयड के बारे में जानकारी मिलेगी, जिनमें वे भी शामिल हैं जो कभी-कभी पृथ्वी से टकराती हैं। इससे पहले साल 1981 और 2022 में भी पृथ्वी को 2022NX1 नाम का एक मिनी मून मिला था। यह खबर भी पढ़ें… पृथ्वी की तरफ आ रहा विशाल एस्टेरॉयड अपोफिस:अप्रैल 2029 में पृथ्वी के पास से गुजरेगा, इसे अराजकता का देवता भी कहते हैं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने बताया है कि एक 335 मीटर लंबा एस्टेरॉयड पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। इस एस्टेरॉयड का नाम अपोफिस है, जिसे 2004 में खोजा गया था। एस्टेरॉयड अपोफिस 13 अप्रैल 2029 को पृथ्वी के नजदीक से गुजरेगा। इस दौरान इसकी पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 32 हजार किमी रहेगी। पूरी खबर पढ़ें…
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