याददाश्त, एकाग्रता और सीखने की क्षमता घट रही:फोन से लगातार मिल रही जानकारी से ‘डिजिटल डिमेंशिया’ का जोखिम

पिछले एक दशक में दैनिक जीवन में फोन का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है। इससे हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाले बुरे प्रभावों में से एक ‘डिजिटल ​डिमेंशिया’ में तेजी से वृद्धि हो रही है। यह अत्यधिक स्क्रीन टाइम यानी की स्मार्टफोन के इस्तेमाल से दिमाग में होने वाले नकारात्मक परिवर्तनों का वर्णन करता है। इसमें फोन पर लगातार कई तरह की सामग्री स्क्रॉल करने, पढ़ने, देखने और इस सभी जानकारी को समझने व संसाधित करने की कोशिश के कारण याददाश्त, एकाग्रता और सीखने की क्षमता कम होना शामिल है। डिजिटल ​डिमेंशिया, जर्मन न्यूरोसाइंटिस्ट और मनोचिकित्सक मैनफ्रेड स्पिट्जर द्वारा 2012 में गढ़ा गया शब्द है। डिजिटल डिमेंशिया का आधिकारिक तौर पर फिलहाल कोई निदान या उपचार नहीं है। 4 घंटे स्क्रीन टाइम से वैस्कुलर डिमेंशिया हो सकता है ब्रिटेन में 2023 में किए गए अध्ययन के मुताबिक, दिन में 4 घंटे से अधिक के स्क्रीन टाइम से वैस्कुलर डिमेंशिया और अल्जाइमर का जोखिम बढ़ सकता है। वैस्कुलर डिमेंशिया मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में कमी के कारण होता है। यह मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और अंततः उन्हें नष्ट कर देता है। फोन का इस्तेमाल सीमित करने पर विचार करें
Source: Health

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