सेहतनामा- केरल में निपाह वायरस से किशोर की मौत:देश में 7वीं बार फैला यह संक्रमण, 75% तक है मृत्यु दर, जानें बचाव के तरीके

केरल के मलप्पुरम में निपाह वायरस से संक्रमित एक 14 साल के किशोर की मौत हो गई। यह राज्य में इस साल निपाह वायरस से होने वाली पहली मौत है। इसके बाद से राज्य सरकार अलर्ट मोड में आ गई है। मृत किशोर के परिजनों को आइसोलेशन और निगरानी में रखा गया है। उस परिवार का एक सदस्य ICU में है। साल 2018 के बाद से यह 5वीं बार है कि केरल में निपाह वायरस का संक्रमण फैला है। पहली बार साल 2018, फिर 2019, 2021, 2023 और अब 2024 में इसके मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, निपाह एक जूनोटिक वायरस है। यह जानवरों और इंसानों दोनों में फैलता है। संक्रमित जानवरों या उनके शरीर से निकले तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से भी यह फैल सकता है। संक्रमित चमगादड़ों के यूरिन या लार से दूषित फल खाने से भी यह इंसानों में फैल सकता है। कई मामलों में देखा गया है कि यह सुअर, बकरी, घोड़े और कुत्तों के जरिए भी फैल सकता है। इस बीमारी में मृत्यु दर 40% से 75% तक है। हालांकि भारत में मृत्यु दर और अधिक है। आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे निपाह वायरस की। साथ ही जानेंगे कि- ग्राफिक के आंकड़े बताते हैं कि भारत में निपाह वायरस बेहद घातक साबित हुआ है। इसकी मृत्यु दर बहुत अधिक है। इसके पीछे स्वास्थ्य सुविधाएं, इलाज में देरी या लापरवाही जैसी कई वजहें हो सकती हैं। इसके बावजूद ये आंकड़े डराते हैं। इसलिए जरूरी है कि हमें इसके लक्षणों की पहचान होनी चाहिए ताकि मरीज को समय पर सही इलाज मिल सके। निपाह वायरस के क्या लक्षण हैं इस वायरस का संक्रमण होने पर लक्षण आमतौर पर 4 से 14 दिनों के भीतर दिखने शुरू हो जाते हैं। इसमें सबसे पहले बुखार और सिरदर्द होता है। फिर खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसी रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम्स (सांस लेने में समस्या) विकसित होना शुरू हो जाती हैं। गंभीर मामलों में व्यक्ति को ब्रेन इन्फेक्शन भी हो सकता है। इससे सिर में सूजन यानी एन्सेफलाइटिस के लक्षण उभर सकते हैं। यह मेडिकल कंडीशन घातक हो सकती है। निपाह वायरस कितना खतरनाक है यह इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। अमेरिका स्थित सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, निपाह वायरस से संक्रमित 40% से 75% तक लोगों की मृत्यु हो जाती है। इसका मतलब है कि इसकी मृत्यु दर 75% तक है। भारत जैसे अधिक आबादी वाले और विकासशील देशों में यह अधिक घातक साबित होता है। यह वायरस कैसे फैलता है यह वायरस मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलता है। लेकिन यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। इसीलिए संक्रमित व्यक्ति का इलाज करते समय देखभाल करने वालों के लिए सुरक्षात्मक उपकरण (PPE) किट पहनना जरूरी होता है। यह इतना संक्रामक है कि सांस से निकली छोटी बूंदों से भी फैल सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो यह वायरस हवा के जरिए फैल सकता है। निपाह वायरस का पहली बार पता कैसे चला विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, साल 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में पहली बार निपाह वायरस का पता चला था। इस गांव के नाम पर ही इस वायरस का नाम निपाह पड़ा। उसी साल इसने सिंगापुर को भी प्रभावित किया। वहां ज्यादातर मानव संक्रमण बीमार सुअरों या उनके संक्रमित टिश्यूज के सीधे संपर्क में आने के कारण हुए। जब संक्रमित सुअरों के संपर्क में रहने वाले लोग बड़ी संख्या में बीमार पड़ने लगे तो जांच की गई। इसमें सामने आया कि इस बीमारी के मूल स्रोत चमगादड़ थे। सुअरों में यह वायरस चमगादड़ों से ही फैला था। अगर किसी पेड़ में चमगादड़ रहते हैं और कोई इंसान उस पेड़ के फल खा ले तो वह निपाह वायरस से संक्रमित हो सकता है। यह संक्रमित व्यक्ति की लार या शरीर से निकले किसी भी लिक्विड के जरिए फैल सकता है। इसीलिए केरल सरकार ने लोगों से चमगादड़ों के रहने के स्थानों से छेड़छाड़ न करने की सख्त हिदायत दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे में चमगादड़ नए बसेरे की तलाश में कई पेड़ों और फलों को संक्रमित कर सकते हैं। निपाह वायरस का इलाज क्या है इस वायरस के इलाज के लिए कोई एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं हैं। अभी तक इसके लिए कोई वैक्सीन भी विकसित नहीं हुई है। इसका मतलब है कि ट्रीटमेंट में सिर्फ लक्षणों को कम करने की कोशिश की जाती है। इसके अलावा इस दौरान मरीज की देखभाल बहुत जरूरी है। निपाह वायरस से बचाव कैसे करें अगर आप निपाह वायरस से संक्रमित क्षेत्र में रहते हैं या ऐसी जगह की यात्रा कर रहे हैं तो आपको वायरस से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। ग्राफिक में देखिए- संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए निपाह वायरस के प्रसार को रोकना सबसे कारगर साबित होता है। यह सबकुछ हमने कोविड काल में देखा है। जब कोई व्यक्ति संक्रमित होता था तो उसे कैसे आइसोलेट कर दिया जाता था। अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं तो आपको इस दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) किट का उपयोग करना चाहिए।
Source: Health

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