स्टडी में खुलासा: सोशल मीडिया से ब्रेक जरूरी:लगातार नकारात्मक खबरें देखना दुखी-गुस्सैल बना सकता है; नई हॉबीज से मिलेगी मदद
By : Devadmin -
आधी रात होने को है और आप बिना सोचे-समझे नकारात्मक खबरें पढ़ते हुए सोशल मीडिया पर स्क्रॉलिंग करते जा रहे हैं। हालांकि ये सुर्खियां रोजाना स्क्रीन पर दिख अलग-अलग रूपों में दिखी हैं। हर बार आपको धक्का पहुंचता है और हाथ पसीने से तर हो जाते हैं, पर आप नजर नहीं हटा पाते। विज्ञान की भाषा में इस समस्या को ‘डूमस्क्रॉलिंग’ कहते हैं। अमेरिका और ईरान के 800 यूनिवर्सिटी छात्रों पर हुई ताजा स्टडी से पता चलता है कि सोशल मीडिया पर परेशान करने वाली खबरों को आदतन और ज्यादा स्क्रॉल करना (डूमस्क्रॉलिंग) हमें दु:खी, चिंतित और क्रोधित करता है। इसके अलावा यह मानवता और जीवन के अर्थ को समझने का तरीका बदल सकता है। स्टडी के लेखक और फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक रेजा शबांग कहते हैं,‘लगातार नकारात्मक खबरों के संपर्क में रहना मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर सकता है भले ही आप घटना से सीधे न जुड़े हों। चिंता और निराशा जैसे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसे लक्षण स्टडी कहती है कि दर्दनाक घटना से जुड़े फोटो और जानकारी मिलने से लोगों में चिंता और निराशा जैसे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसे लक्षण पाए गए हैं। शबांग बताते हैं,‘लगातार ऑनलाइन नकारात्मक खबरों और सूचनाओं से जुड़े रहते हैं, तो इससे हम खुद की जिंदगी में खतरा महसूस करने लगते हैं। इससे दुनिया और आस-पास के लोगों के बारे में हमारा नजरिया ज्यादा नकारात्मक हो सकता है। हमारा भरोसा घटने लगता है, हम सबको संदेहभरी नजरों से देखने लगते हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि डूमस्क्रॉलिंग से अस्तित्व पर खतरे को लेकर यह पहली स्टडी है। स्टडी के नतीजे कंप्यूटर इन ह्यूमन बिहेवियर रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में डिजिटल बिहेवियर एक्सपर्ट डॉ. जोआन ऑरलैंडो कहते हैं,‘डूमस्क्रॉलिंग का मानसिक सेहत पर असर ‘ऐसे कमरे में रहने के समान है, जहां लोग लगातार आप पर चिल्ला रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि यूजर्स को समझना जरूरी है कि सोशल मीडिया पर ऐसी खबरों को कितना महत्व दें। इसलिए सोने से पहले व जागने के बाद सोशल मीडिया देखने में थोड़ा अंतराल रखना बेहतर होगा। फोन चेक करने के लिए अलर्ट रहें पर इसे लेकर जुनूनी न बनें: एक्सपर्ट न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट हेलेन क्रिस्टेंसन सुझाव देती हैं, सोशल मीडिया से नियमित रूप से ब्रेक लें। अक्सर बोरियत मिटाने के लिए लोग डूमस्क्रॉलिंग करते हैं। कोई नई हॉबी सोचें, ताकि आप बोर होकर फिर से सोशल मीडिया की ओर न मुड़ जाएं। निगेटिव के बजाय पॉजिटिव खबरें ज्यादा पढ़ने का लक्ष्य तय करें। फोन चेक करने के लिए अलर्ट रहें पर जुनूनी न बनें। स्क्रॉलिंग की अवधि घटाते जाएं। सोशल मीडिया पर टाइम घटाने का बड़ा फायदा यह है कि आप वर्तमान जीवन में मौजूद रहना सीख पाते हैं। इन उपायों से बात न बनें तो डॉक्टर की मदद लेने से न हिचकें।
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