सेहतनामा-40 की उम्र में जो खाएंगे, असर 70 में दिखेगा:अमेरिकन सोसायटी ऑफ न्यूट्रिशन ने बताई 6 डाइट, जो बुढ़ापे में रखेंगी दुरुस्त

पुरानी कहावत है- ‘जैसा खाओगे अन्न-वैसा होगा मन।’ इसका अर्थ है कि हम जैसा भोजन करते हैं, उसका सीधा असर हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत पर होता है। भोजन और सेहत का आपस में गहरा संबंध है। अगर हम अभी हेल्दी खाना खाएंगे तो बाद में बेहतर और स्वस्थ जीवन जी सकेंगे। मिड लाइफ में यानी 40-45 की उम्र में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और अनसैचुरेटेड फैट से भरपूर भोजन किया जाए तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि बुढ़ापे में हमारी मानसिक, शारीरिक और कॉग्निटिव हेल्थ बेहतर होगी। हाल ही में शिकागो में हुई अमेरिकन सोसायटी फॉर न्यूट्रिशन की एक कॉन्फ्रेंस में हार्वर्ड नर्सेज की एक हेल्थ स्टडी और हेल्थ प्रोफेशनल्स का फॉलोअप प्रेजेंट किया गया। 30 साल तक चली इस स्टडी में 1 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया। स्टडी में यह सामने आया कि जिन लोगों ने 40 की उम्र में हेल्दी डाइट फॉलो करनी शुरू कर दी थी, 70 की उम्र में उनमें से 84% लोगों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ अनहेल्दी डाइट फॉलो करने वालों की अपेक्षा बेहतर थी। वे ज्यादा स्वस्थ ढंग से और बीमारियों से मुक्त रहकर बुढ़ापे की ओर बढ़ रहे थे। आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि हमारी डाइट का स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है। साथ ही जानेंगे कि- क्या होती है हेल्दी एजिंग? विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हेल्दी एजिंग का मतलब है कि हम शारीरिक या मानसिक रूप से किसी अन्य पर निर्भर न हों। इसके अलावा हम अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम हों। अपने फैसले स्वयं ले सकें और समाज में कुछ योगदान दे सकें। स्टडी के मुताबिक हेल्दी एजिंग का मतलब है कि कम-से-कम 70 वर्ष की उम्र तक जीवित रहें और कॉग्निटिव फंक्शन अच्छा हो, मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वसाथ्य अच्छा हो। कोई ऑर्गन फेल्योर न हो और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी न हो। स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों का डाइट पैटर्न हेल्दी था, उनमें से करीब 84% लोगों ने हेल्दी एजिंग का अनुभव किया। कैसा डाइट प्लान देगा हेल्दी एजिंग स्टडी के मुताबिक अगर हम अपने पूर्वजों के सुझाए डाइट प्लान को फॉलो करें तो बेहतर जिंदगी जीने में मदद मिलेगी। इसमें समय और क्लाइमेट के हिसाब से जरूरी बदलाव किए जा सकते हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं स्टडी में सुझाए गए कुछ हेल्दी डाइट पैटर्न। यह नाम सुनने में थोड़ा कॉप्लीकेटेड या अंग्रेजीदां लग सकते हैं। लेकिन नीचे इन सभी अलग-अलग डाइट को विस्तार से एक्सप्लेन किया गया है। अब इन डाइट पैटर्न को विस्तार से समझते हैं: हाइपरइंसुलिनेमिया डाइट दिल्ली की सीनियर डाइटिशियन और ‘वनडाइटटुडे’ की फाउंडर डॉ. अनु अग्रवाल कहती हैं कि हाइपरइंसुलिनमिया डाइट का मतलब है कि हमें अपनी डाइट इस तरह तैयार करनी है कि उसमें कार्बोहाइड्रेट और स्टार्च नहीं होंगे। इसका उद्देश्य इंसुलिन लेवल को कम करना है। इससे ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है। वेट मैनेजमेंट में फायदा मिलता है। साथ ही डायबिटीज और हार्ट डिजीज का जोखिम भी कम होता है। प्लेनेटरी हेल्थ डाइट प्लेनेटरी हेल्थ डाइट का मतलब भोजन के ऐसे सामंजस्य से है, जिसमें ज्यादा-से-ज्यादा प्लांट बेस्ड खाना हो और प्रोटीन की पूर्ति के लिए थोड़ा बहुत मीट या डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल करने की भी आजादी हो। इससे हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता है। साथ ही यह सस्टेनेबल प्लेनेट के लिए भी जरूरी है। इससे हार्ट हेल्थ में सुधार हो सकता है और वेट मैनेजमेंट में भी मदद मिलती है। यह डाइट हमारी गट हेल्थ के लिए भी बहुत अच्छी है। मेडिटेरेनियन डाइट मेडिटेरेनियन डाइट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, बीन्स, नट्स और ऑलिव खाने पर जोर दिया जाता है। इसके अलावा मछली और चिकन भी खाया जा सकता है। साल 2022 में करंट ओपिनियन इन क्लिनिकल न्यूट्रिशन एंड मेटाबॉलिक केयर जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, मेडिटेरेनियन डाइट फॉलो करने से एंटी-इंफ्लेमेटरी फायदे हो सकते हैं, जो हमें हार्ट डिजीज से बचा सकते हैं। इससे स्‍ट्रोक का खतरा कम हो जाता है और ब्रेन हेल्‍थ में भी सुधार होता है। मेडिटेरेनियन डाइट से वेट मैनेजमेंट में मदद मिलती है और ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है। डाइटरी अप्रोचेज टू स्टॉप हाइपरटेंशन (DASH) डाइट मिड लाइफ के बाद लाइफ स्टाइल बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। इनमें से हाइपरटेंशन बेहद कॉमन है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर को रोकने के लिए डाइट में इस अप्रोच को फॉलो करते हैं। इस डाइट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स के अधिक सेवन पर जोर दिया गया है। यह डाइट पैटर्न ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर सकता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, हाइपरटेंशन कम होने से हार्ट हेल्थ में सुधार होता है। यह डाइट कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने में भी मदद करती है। द मेडिटेरेनियन-DASH इंटरवेंशन फॉर न्यूरोडीजेनेरेटिव डिले (MIND) डाइट इस डाइट का मतलब है कि मेडिटेरेनियन डाइट और -DASH इंटरवेंशन डाइट को मिलाकर तैयार किया गया एक डाइट पैटर्न। इसमें बेरीज, पत्तेदार साग और नट्स जैसे एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन पर जोर दिया जाता है। इससे मेंटल हेल्थ बेहतर बनी रहती है। इस डाइट को फॉलो करने से अल्जाइमर और कॉग्निटिव डिक्लाइन के जोखिम कम हो सकते हैं। यह डाइट ब्रेन की उम्र को बढ़ने से रोकती है। इंपिरिकल डाइटरी इंफ्लेमेटरी पैटर्न इस डाइट पैटर्न में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फैटी फिश जैसे एंटी इंफ्लेमेटरी फूड आइटम्स खाने पर जोर दिया जाता है। इसे फॉलो करने से इंफ्लेमेशन कम करने में मदद मिलती है। यह आर्थराइटिस और हार्ट डिजीज जैसी इंफ्लेमेशन से जुड़ी क्रॉनिक डिजीज के जोखिम को कम कर सकता है। हम बना सकते हैं अपनी बैलेंस्ड डाइट डॉ. अनु अग्रवाल कहती हैं कि कई बार लोग एक ही तरह का डाइट पैटर्न लंबे समय तक फॉलो नहीं कर पाते हैं। वह खुद को एक सीमा में जकड़ा हुआ महसूस करने लगते हैं। इसलिए हम बीच का रास्ता भी अपना सकते हैं। सभी डाइट पैटर्न से अपने पसंद के फूड आइटम्स चुनकर अपनी डाइट में शामिल कर लें। इस दौरान बस इस बात का ख्याल रखना होता है कि यह बैलेंस्ड डाइट होनी चाहिए। इसके लिए इन 5 पॉइंट्स को जरूर फॉलो करें:
Source: Health

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