सेहतनामा- केरल के त्रिशूर में स्वाइन फीवर के मामले:ये स्वाइन फ्लू से अलग कैसे; इंसानों में जानवरों-पक्षियों से कौन सी बीमारियां फैलती हैं

केरल के त्रिशूर जिले में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के केस मिले हैं। यह सुअरों के बीच फैलने वाली बीमारी है, जो बहुत संक्रामक है। यह फार्म में रह रहे सुअर और जंगली सुअर दोनों को प्रभावित कर सकती है। इसे लेकर पूरे जिले में अलर्ट जारी कर दिया गया है। जिस फार्म में संक्रमित सुअर मिला है, उसके 10 किलोमीटर के आसपास के रेडियस (परिधि) को सर्विलांस एरिया बना दिया गया है। इसके अलावा डिसइन्फेक्शन के इंतजाम भी किए गए हैं। खबर सामने आने के बाद आसपास के इलाके में पोर्क (सुअर का मांस) की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। सुअरों के मूवमेंट पर रोक है और सुअरों के खाने की चीजें भी इन्फेक्टेड एरिया से कहीं और नहीं ले जाई जा सकती हैं। इस बात का डर है कि यह संक्रमण इंसानों तक पहुंचकर कोई मुश्किल या नई महामारी न खड़ी कर दे। हालांकि यह राहत की बात हो सकती है कि ब्रिटिश एग्रीकल्चर, इनवायरमेंट और रूरल अफेयर्स के मुताबिक, अफ्रीकन स्वाइन फीवर स्वाइन फ्लू से अलग बीमारी है और यह सुअरों से इंसानों में नहीं फैलती है। आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों की। साथ ही जानेंगे कि- जानवरों के साथ रची-बुनी है इंसानों की जिंदगी इंसानों की जिंदगी इस तरह रची-बुनी हुई है कि हम हर दिन किसी-न-किसी तरह जानवरों के संपर्क में आते हैं। अगर हम दूध, दही, पनीर, अंडा या मांस में से कुछ भी अपने खाने में शामिल कर रहे हैं तो इसका सीधा कनेक्शन पशुओं से है क्योंकि इन सभी फूड आइटम्स का सोर्स पशु ही हैं। ऐसे में अगर हमारा सोर्स संक्रमित है तो यह हमें भी संक्रमित कर सकता है। इसके अलावा कई बार पशुओं या पक्षियों के काटने, कहीं लार टपकाने से भी कई बीमारियां इंसानों में फैल सकती है। इसे जूनोसिस कहते हैं। पशुओं के साथ नजदीकी के कारण उन्हें होने वाली बीमारियां आसानी से इंसानों के बीच फैल जाती हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि कौन-कौन सी बीमारियां हैं, जो जानवरों से इंसानों में फैलती हैं। ये बीमारियां फैलती कैसे हैं जूनोटिक डिजीज कई माध्यमों से फैल सकती हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं: अगर किसी को कोई जूनोटिक डिजीज है तो क्या करें जूनोटिक डिजीज से अधिक खतरा किसे है यूं तो जूनोटिक डिजीज आम हैं। इससे कोई भी संक्रमित हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों को इनके संक्रमण से खतरा अधिक होता है। कुछ लोगों में अधिक गंभीर प्रतिक्रियाएं और लक्षण देखने को मिल सकते हैं। अगर हम या हमारे जानने वाले इस लिस्ट का हिस्सा हैं तो उन्हें तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है। जूनोटिक डिजीज से बचाव के लिए क्या करें जूनोटिक बीमारियां पूरी दुनिया में हर जगह फैली हुई हैं। हालांकि, ज्यादातर देश जानवरों और कीड़ों से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। मजबूत फूड सेफ्टी रूल्स बनाए गए हैं, ताकि हमारे फूड आइटम्स के जरिए कोई जूनोटिक डिजीज होने की संभावना कम हो जाए। इसके साथ अगर हम कुछ जरूरी नियम बना लें और उन्हें नियमित रूप से फॉलो करें तो ज्यादातर जूनोटिक बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। हम निम्नलिखित तरीके फॉलो कर सकते हैं:
Source: Health

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