सुनीता विलियम्स की पृथ्वी पर वापसी 22 जून तक टली:नासा ने दूसरी बार टाली स्टारलाइनर की लैंडिंग, 5 जून को लॉन्च हुआ था

भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पृथ्वी पर वापसी 22 जून तक टल गई है। ये दूसरा मौका है जब इन दोनों एस्ट्रोनॉट्स की वापसी को टाला गया है। पहली घोषणा 9 जून को की गई थी, जिसमें बताया गया था कि विल्मोर और विलियम्स की वापसी को 18 जून तक आगे बढ़ाया गया है। बोइंग का स्टारलाइनर मिशन बुधवार 5 जून को रात 8:22 बजे लॉन्च हुआ था। फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से ULA के एटलस V रॉकेट से लॉन्च किया गया था। स्पेसक्राफ्ट अगले दिन यानी, 6 जून को रात 11:03 बजे ISS पहुंचा था। इसे रात 9:45 बजे पहुंचना था, लेकिन रिएक्शन कंट्रोल थ्रस्टर में परेशानी आ गई थी। विल्मोर और विलियम्स स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट और उसके सब सिस्टम की टेस्टिंग के लिए करीब एक हफ्ते तक स्पेस स्टेशन में रहने वाले थे, लेकिन दो बार देरी के कारण अब मिशन ड्यूरेशन करीब 2 हफ्ते का हो गया है। नासा के अधिकारी 22 जून को एस्ट्रोनॉट्स की वापसी से पहले दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका में लैंडिंग लोकेशन्स मौसम की स्थिति का आकलन करेंगे। देरी के कराण स्टेशन पर ज्यादा टेस्ट करने का मौका
नासा के कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम मैनेजर स्टीव स्टिच ने कहा, “हम स्पेस स्टेशन पर छह महीने के डॉक मिशन को पूरा करने के लॉन्ग-टर्म की तैयारी के लिए स्टारलाइनर की क्षमताओं को समझना जारी रख रहे हैं।” वहीं बोइंग के कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम के वाइस प्रेसिडेंट मार्क नैपी ने कहा, “हमारे पास स्टेशन पर ज्यादा टेस्ट करने का मौका है जो हमें जरूरी डेटा देगा।” नासा ने दूसरी बारी देरी का सीधा कारण नहीं बताया
विल्मोर और विलियम्स, “हॉट-फायर” टेस्ट करेंगे। इसमें स्पेसक्राफ्ट के 8 थ्रस्टरों में से सात को एक्टिव किया जाएगा। इसके अलावा, वे हैच ऑपरेशन की जांच करेंगे। नासा ने विल्मोर और विलियम्स की पृथ्वी पर वापसी में दूसरी बार देरी का कोई सीधा कारण नहीं बताया, लेकिन नई प्रस्थान तिथि के बारे में विस्तार से बताने के लिए मंगलवार, 18 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। स्पेसवॉक की तैयारी के कारण टली थी पहली वापसी
विल्मोर और विलियम्स की वापसी में पहली बार देरी के पीछे का कारण यह था कि आईएसएस में मौजूद एस्ट्रोनॉट ट्रेसी डायसन और मैट डोमिनिक को स्पेस वॉक की तैयारी के लिए अतिरिक्त समय की जरूरत थी। इस स्पेसवॉक को 13 जून को किया जाना था। हालांकि, एस्ट्रोनॉट्स के स्टेशन से बाहर निकलने से लगभग एक घंटे पहले “स्पेससूट डिस्कंफर्ट” के कारण इसे रद्द कर दिया गया। 6 पॉइंट में लैंडिंग का पूरी प्रोसेस मिशन लॉन्च दो बार टला, तीसरी बार में सफलता मिली
मिशन को 7 मई को सुबह 8:04 बजे फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से लॉन्च किया जाना था। लेकिन टीम को ULA के एटलस V रॉकेट की सेकेंड स्टेज में ऑक्सीजन रिलीफ वॉल्व में समस्या मिली। ऐसे में टीम ने मिशन लॉन्च से 2 घंटे पहले टालने का फैसला लिया। दूसरी बार इसे 1 जून को लॉन्च करने की कोशिश की गई, लेकिन ग्राउंड लॉन्च सीक्वेंसर ने लिफ्टऑफ से 3 मिनट 50 सेकंड पहले काउंटडाउन क्लॉक को ऑटोमेटिक होल्ड कर दिया। ऐसे में मिशन को टालना पड़ा। अब तीसरी बार में मिशन लॉन्च करने में सफलता मिली है। मिशन सफल हुआ तो नासा के पास पहली बार 2 स्पेसक्राफ्ट होंगे
इस मिशन के सफल होने पर इतिहास में पहली बार अमेरिका के पास एस्ट्रोनॉट को स्पेस में भेजने के लिए 2 स्पेसक्राफ्ट हो जाएंगे। अभी अमेरिका के पास इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ही है। नासा ने साल 2014 में स्पेसएक्स और बोइंग को स्पेसक्राप्ट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था। स्पेसएक्स 4 साल पहले ही इसे बना चुकी है।
Source: Health

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