वैज्ञानिकों ने खोजा नया प्लेनेट, यहां जीवन संभव:पहुंचने में लगेंगे 2.25 लाख साल, इसका नाम ग्लिसे-12बी; ये पृथ्वी के सबसे नजदीक

वैज्ञानिकों की दो टीमों ने एक थियोरिटिकल हैबिटेबल प्लेनेट (ग्रह) की खोज की है। यह प्लेनेट अर्थ यानी पृथ्वी से छोटा है, लेकिन वीनस यानी शुक्र से बड़ा है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि खोजा गया यह नया प्लेनेट लगभग 40 लाइट-ईयर यानी प्रकाश वर्ष दूर एक छोटे तारे की परिक्रमा कर रहा है। द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स एंड मंथली नोटिसेज ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में गुरुवार को पब्लिश दो स्टडीज के अनुसार ग्लिसे 12बी (Gliese 12b) नाम का यह एक्सोप्लैनेट कॉन्स्टिलेशन पिसेस में स्थित एक कूल रेड ड्वार्फ स्टार की परिक्रमा करता है। यह रेड ड्वार्फ स्टार हमारे सूर्य के साइज का लगभग 27% और उसके टेंपरेचर का 60% है। वैज्ञानिकों ने नए प्लेनेट ग्लिसे 12बी को खोजने के लिए NASA के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) टेलिस्कोप का इस्तेमाल किया। ग्लिसे 12बी पर पानी मिलने की संभावना
वैज्ञानिकों ने बताया कि ग्लिसे 12बी का स्टार सूर्य से बहुत छोटा है, इसलिए यह प्लेनेट हैबिटेबल जोन यानी रहने योग्य क्षेत्र में आता है। इस प्लेनेट की अपने स्टार से जो आइडियल डिस्टेंस है, उस हिसाब से देखा जाए तो यहां वाटर यानी पानी मौजूद हो सकता है। यह प्लेनेट हर 12.8 दिनों में अपनी ऑर्बिट यानी कक्षा पूरी करता है। ग्लिसे 12बी पर 42 डिग्री सेल्सियस तापमान
वैज्ञानिकों ने ग्लिसे 12बी की सतह का तापमान लगभग 107 डिग्री फारेनहाइट (42 डिग्री सेल्सियस) होने का कैलकुलेशन किया है। हमने सबसे नजदीक पृथ्वी के आकार की दुनिया ढूंढ ली
टोक्यो में एस्ट्रोबायोलॉजी सेंटर में प्रोजेक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर मासायुकी कुजुहारा ने कहा, ‘हमने आज तक की सबसे नियरेस्ट, ट्रांजिटिंग, टेंपरेचर, अर्थ-साइज यानी पृथ्वी के आकार की दुनिया ढूंढ ली है।’ मासायुकी कुजुहारा, अकिहिको फुकुई के साथ रिसर्च टीम्स के को-लीडर और टोक्यो यूनिवर्सिटी में एक प्रोजेक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर भी हैं। एक बार पृथ्वी जैसे टेंपरेचर वाले अर्थ-साइज प्लेनेट्स की पहचान हो जाती है, तो फिर साइंटिस्ट यह तय करने के लिए उनको एनालाइज कर सकते हैं कि उनके वायुमंडल में कौन से तत्व मौजूद हैं और सबसे जरूरी जीवन को बनाए रखने के लिए वहां पानी मौजूद है या नहीं। नया एक्सोप्लैनेट सबसे नजदीक, इसलिए यह काफी बड़ी खोज
​​​​​​​एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में डॉक्टरेट की स्टूडेंट लारिसा पालेथोरपे ने शुक्रवार को CNN को बताया, ‘हमने पाया है कि कुछ ही एक्सोप्लैनेट हैं, जो जीवन की संभावना के लिए अच्छे उम्मीदवार हैं। अब यह जो नया एक्सोप्लैनेट है, वो हमारे सबसे नजदीक है और इसलिए यह काफी बड़ी खोज है।’ लारिसा ने दूसरी स्टडीज को को-लीड भी किया है। ग्लिसे 12बी तक पहुंचने में लगेंगे​​​​​​​ लगभग 2.25 लाख साल​​​​​​​
पालेथोरपे ने बताया कि इस प्लेनेट पर पहुंचा नहीं जा सकता है, क्योंकि यह लगभग 40 लाइट-ईयर दूर है। वर्तमान में मौजूद सबसे तेज स्पेसक्राफ्ट यानी अंतरिक्ष यान से ग्लिसे 12बी तक पहुंचने में लगभग 2.25 लाख साल लगेंगे।
Source: Health

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