दूध में मिलावट: 38% सैंपल फेल; तेलंगाना, मध्य प्रदेश और केरल में सबसे कम गुणवत्ता वाला दूध बिक रहा

दूध में मिलावट: 38% सैंपल फेल; तेलंगाना, मध्य प्रदेश और केरल में सबसे कम गुणवत्ता वाला दूध बिक रहा



लाइफस्टाइल डेस्क. दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने के बावजूद हमारे देश में लोगों को शुद्ध दूध नहीं मिल रहा। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की जांच में प्रोसेस्ड यानी पैकेट बंद दूध के 37.7% नमूने गुणवत्ता मानकों पर फेल हो गए। जबकि, नियमानुसार इस दूध का एक भी नमूना फेल नहीं होना चाहिए। दूसरी तरफ, खुले दूध के भी 47% नमूने फेल हो गए। चौंकाने वाली बात यह है कि पैकेटबंद दूध के 10.4% नमूनों में सेफ्टी मानकों का उल्लंघन भी पाया गया। जबकि, खुले दूध के मामलों में यह आंकड़ा 4.8% रहा। पैकेटबंद और खुले दूध को मिलाकर कुल 41% नमूने फेल हुए हैं। एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने शुक्रवार को राष्ट्रीय दूध गुणवत्ता सर्वे-2018 की रिपोर्ट जारी करते हुए इन हालात को गंभीर बताया। कुल 6,432 सैंपल लिए गए थे। सबसे ज्यादा मिलावट तेलंगाना में मिली। उसके बाद मध्यप्रदेश और केरल का स्थान है।

    • मध्यप्रदेश से लिए गए 335 नमूनों में 23, महाराष्ट्र में 678 में 9, गुजरात में 456 में 6, राजस्थान में 314 में 4 नमूनों में एंटीबॉयोटिक्स भी मिले हैं।
    • दिल्ली से लिए गए 262 नमूनों में से 38, पंजाब में 29, महाराष्ट्र में 20 राजस्थान में 13 नमूनों में एफ्लाटॉक्सिन एम1 मिला है।
    • एफ्लाटॉक्सिन एम1 पैकेटबंद दूध में ज्यादा है। तमिलनाडु, दिल्ली और केरल के नमूनों में एफ्लाटॉक्सिन एम1 सबसे ज्यादा मिला।
    • 7% सैंपल ऐसे भी मिले, जिनमें सामने आया है कि पैकेट बंद दूध की प्रोसेसिंग के दौरान सुरक्षा मानक नहीं अपनाए गए।
  1. एफएसएसएआई ने 2018 में मई से अक्टूबर तक 1,103 शहरों से 6,432 नमूने लिए थे। इनमें से 40.5% पैकेटबंद और बाकी खुला दूध था। दूध में मिलने वाले पदार्थों को लेकर देश में पहली बार इतना विस्तृत सर्वेक्षण किया गया है। अग्रवाल ने कहा- चिंता की बात यह है कि दूध में मौजूद इन पदार्थोंकी जांच के लिए देश में कोई उपयुक्त प्रयोगशाला नहीं है।’ भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। 2017-18 के दौरान देश में 17.63 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था। सरकार ने 2022 तक इसे 25.45 करोड़ टन तक करने का लक्ष्य रखा है।

  2. देशभर से जुटाए गए 6,432 सैंपल में से सिर्फ 12 में यूरिया, डिटर्जेंट, हाइड्रोजन पैराऑक्साइड और न्यूट्रालाइजर जैसे पदार्थ मिले। 368 नमूनों में एफ्लाटॉक्सिन एम1, 77 में एंटीबॉयोटिक और सिर्फ 1 में कीटनाशक मिला। 1255 सैंपल में फैट, 2167 में एसएनएफ, 156 में माल्टोडक्से ट्रिन और 78 में शुगर मिला है। अग्रवाल ने कहा कि मानकों के अनुसार नहीं होने के बावजूद यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह नहीं है। 93% सैंपल का दूध पीने लायक है। हालांकि, इसमें गुणवत्ता कम हो गई है।

  3. एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने कहा, ‘आम आदमी मानता है कि दूध में ज्यादा मिलावट होती है। हालांकि, अध्ययन दिखाता है कि दूध मिलावटी होने के बजाय दूषित ज्यादा है। बड़े ब्रांडों का पैकेट बंद दूध भी दूषित है। इसलिए अब इसे रोकना जरूरी हो गया है।’ उन्होंने कहा कि एफ्लाटॉक्सिन एम1, एंटीबायोटिक्स और कीटनाशक जैसे पदार्थ पैकेटबंद दूध में ज्यादा मिले हैं। यह संगठित डेयरी क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है। अग्रवाल ने कहा- डेयरी उद्योग हमारे अध्ययन को चुनौती दे सकता है, लेकिन उन्हें सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करना ही होगा। साथ ही 1 जनवरी 2020 से पूरी वेल्यू चेन में जांच और निरीक्षण की व्यवस्था शुरू करनी होगी। दूध में एफ्लाटॉक्सिन एम1 चारे के जरिये आता है। देश में अभी इसका क्षेत्र नियमित नहीं है। इसलिए राज्य सरकारां को किसानों को जागरूक करने के लिए कहा गया है।

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      FSSAI investigation in 1,103 cities of the country on adulteration of milk

      Source: Health

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