एस्ट्राजेनेका बोली- जिन्हें वैक्सीन से नुकसान हुआ उनसे सहानुभूति है:मरीजों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता; कंपनी ने माना था- कोवीशील्ड से हार्ट अटैक का खतरा

कोरोना वैक्सीन से हार्ट अटैक के खतरों के बीच ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका का बयान सामना आया है। कंपनी ने कहा कि मरीजों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है। एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ता ने कहा, “हमारी संवेदनाएं उन लोगों के साथ है जिन्होंने वैक्सीन की वजह से अपनों को खो दिया या जिन्हें बीमारियों का सामना करना पड़ा।” कंपनी ने आगे कहा, “हमारी रेगुलेटरी अथॉरिटी के पास दवाइयों और वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर स्पष्ट निर्देश मौजूद हैं। हम सभी मानकों का पालन करते हैं।” ऐस्ट्राजेनेका वही कंपनी है जिससे भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने फॉर्मुला लेकर कोवीशील्ड वैक्सीन बनाई थी। वैक्सीन लगने के 2-3 महीने में दिखने लगते हैं साइड इफेक्ट्स
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ICMR के पूर्व वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर ने कहा है कि 10 लाख में से सिर्फ 7-8 लोगों को ही कोवीशील्ड की वजह से साइड इफेक्ट या थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) होने का खतरा है। न्यूज 18 से बातचीत में वैज्ञानिक ने कहा, “वैक्सीन की पहली डोज के बाद साइड इफेक्ट का खतरा ज्यादा होता है। वहीं दूसरी और तीसरी डोज के बाद यह न के बराबर हो जाता है। साथ ही आमतौर पर साइड इफेक्ट वैक्सीन लेने के 2-3 महीने बाद नजर आने लगते हैं।” कोवीशील्ड से शरीर में खून के थक्के जमने का खतरा
दरअसल, ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट में बताया गया था एस्ट्राजेनेका ने यह बात मानी है कि उनकी वैक्सीन TTS का खतरा होता है। इससे शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट काउंट गिर जाती है। इसकी वजह से ब्रेन इंजरी, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा रहता है। हालांकि ऐसा बहुत रेयर (दुर्लभ) मामलों में ही होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई। वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। कंपनी के खिलाफ हाईकोर्ट में 51 केस चल रहे हैं। पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है। अप्रैल 2021 में सामने आया था मामला
दरअसल, अप्रैल 2021 में ब्रिटेन के एक नागरिक जेमी स्कॉट ने यह वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उनके शरीर में खून के थक्के जम गए थे। इसका सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा था। उनके ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई थी। इसके बाद स्कॉट ने पिछले साल एस्ट्राजेनेका पर केस कर दिया था। स्कॉट के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन में खामियां हैं और इसके असर को लेकर गलत जानकारी दी गई। ब्रिटेन की कंपनी ने अपनी वैक्सीन का फॉर्मुला भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया के साथ भी शेयर किया था। ऑस्ट्रेलिया में बैन, ब्रिटेन में इस्तेमाल नहीं हो रही एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन
खास बात यह है कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ऑस्ट्रेलिया में बैन है। वहीं ब्रिटेन भी अब इसका इस्तेमाल नहीं कर रहा है। वहीं BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वैक्सीन लगवाने वाले करीब 80% लोगों ने कोवीशील्ड की डोज लगवाई थी। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में आने के कुछ महीनों बाद वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन के खतरे को भांप लिया था। इसके बाद यह सुझाव दिया गया था कि 40 साल से कम उम्र के लोगों को दूसरी किसी वैक्सीन का भी डोज दिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से होने वाले नुकसान कोरोना के खतरे से ज्यादा थे। मेडिसिन हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी (MHRA) के मुताबिक ब्रिटेन में 81 मामले ऐसे हैं, जिनमें इस बात की आशंका है कि वैक्सीन की वजह से खून के थक्के जमने से लोगों की मौत हो गई। MHRA के मुताबिक, साइड इफेक्ट से जूझने वाले हर 5 में से एक व्यक्ति की मौत हुई है। फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन के जरिए हासिल किए गए आंकड़ों के मुताबिक ब्रिटेन में फरवरी में 163 लोगों को सरकार ने मुआवजा दिया था। इनमें से 158 ऐसे थे, जिन्होंने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाई थी।
Source: Health

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