डेंगू के ज्यादातर मामलों में मच्छर के काटने से हल्का बुखार होता है लेकिन डेंगू बुखार (dengue fiver) तीन तरह का होता है।
क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार – साधारण डेंगू बुखार करीब 5 से 7 दिन तक रहता है, जिसके बाद मरीज ठीक हो जाता है। ज्यादातर मामलों में इसी किस्म का डेंगू बुखार पाया जाता है।
क्लासिकल डेंगू बुखार के लक्षण-
-ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार होना।
– सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
– आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है।
– बहुत कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना।
– गले में हल्का दर्द होना।
– शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना।
डेंगू हॅमरेजिक बुखार (डीएचएफ) – dengue hemorrhagic fever (DHF) : अगर क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ ये लक्षण भी दिखाई दें तो डीएचएफ हो सकता है। ब्लड टेस्ट से इसका पता लग सकता है।
डेंगू हॅमरेजिक के लक्षण-
– नाक और मसूढ़ों से खून आना।
– शौच या उल्टी में खून आना।
– स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े निशान पड़ जाना।
डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) – dengue shock syndrome (DSS)
इस बुखार में DHF के लक्षणों के साथ-साथ 'शॉक' की अवस्था के भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे कि –
– मरीज को बेचैनी होना।
– तेज बुखार के बावजूद उसकी त्वचा का ठंडा होना।
– मरीज का धीरे-धीरे बेहोश होना।
– मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगती है। उसका ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाना।
इन तीनों में से डेंगू हॅमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होते है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान को खतरा नहीं होता लेकिन अगर किसी को DHF या DSS है और उसका फौरन इलाज शुरु किया जाना चाहिए।
कब दिखती है बीमारी
काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है।
ये टेस्ट जरूर करवाएं
अगर तेज बुखार हो, जॉइंट्स में तेज दर्द हो या शरीर पर रैशेज हों तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए। डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता है। जिसमें डेंगू किस प्रकार का है यह पता चल जाता है। इस टेस्ट में डेंगू शुरू में ज्यादा पॉजिटिव आता है, जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है। ये टेस्ट खाली या भरे पेट, कैसे भी कराए जा सकते हैं।
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Source: Health