मानव मस्तिष्क का आकार धीरे-धीरे बढ़ रहा:जामा न्यूरोलॉजी की रिपोर्ट में दावा- इससे डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है

समय के साथ मानव मस्तिष्क का आकार धीरे-धीरे बढ़ रहा है और इससे युवा पीढ़ी में डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है। जामा न्यूरोलॉजी में छपी एक रिसर्च रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। स्टडी में 55 से 65 वर्ष की उम्र के बीच 3,000 से अधिक अमेरिकियों के मस्तिष्क की तस्वीरें लगी गई। इसमें पाया गया कि 1970 के दशक में पैदा हुए लोगों का ब्रेन वॉल्यूम 1930 के दशक में पैदा हुए लोगों की तुलना में 6.6% अधिक है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि वाइट मैटर की मात्रा 8% अधिक और ग्रे मैटर सरफेस एरिया की मात्रा 15% अधिक थी। हिप्पोकैम्पस का वॉल्यूम में भी 5.7% की बढ़ोतरी देखी गई है। हिप्पोकैम्पस मेमोरी और लर्निंग में प्रमुख भूमिका निभाता है। मस्तिष्क के आकार में जेनेटिक्स की प्रमुख भूमिका
न्यूरोलॉजिस्ट चार्ल्स डेकार्ली बताते हैं, मस्तिष्क के आकार को निर्धारित करने में जेनेटिक्स प्रमुख भूमिका निभाती है, हालांकि इस रिसर्च से पता चलता है कि बाहरी प्रभाव – जैसे हेल्थ, सोशल, कल्चरल और एजुकेशनल फैक्टर्स भी इसमें भूमिका निभा सकते हैं। 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया के शिकार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो दुनिया में 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं। इनमें से 60% मरीज लो या मिडिल इनकम देशों में रहते हैं। भूलने की बीमारी के ज्यादातर मरीज बुजुर्ग ही होते हैं। क्या छोटे होते मस्तिष्क का मतलब डिमेंशिया है?
आपके मस्तिष्क का आकार उसकी सेहत के बारे में बहुत कुछ बताता है। अगर मस्तिष्क का आकार घट रहा है तो यह डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। मस्तिष्क के आकार का मेन्टेन रहना या इसका बढ़ना न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव है। ये इसकी अच्छी सेहत की निशानी है। रोज आधे घंटे टहलकर भी आपके दिमाग की सेहत अच्छी रह सकती है।
Source: Health

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