इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे तीन नए एस्ट्रोनॉट:शनिवार को सोयुज स्पेसक्राफ्ट स्पेस स्टेशन के लिए निकला था, अब वहां कुल 10 एस्ट्रोनॉट

रूस का सोयुज MS-25 स्पेसक्राफ्ट मंगलवार रात 8.33 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच गया। इस स्पेसक्राफ्ट में नासा की एस्ट्रोनॉट ट्रेसी कैल्डवेल डायसन, रशियन कॉस्मोनॉट ओलेग नोवित्स्की और बेलारूस की स्पेसफ्लाइट पार्टिसिपेंट मरीना वासिलिव्स्काया सवार थे। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और सोयुज MS-25 स्पेसक्राफ्ट के बीच का हैच रात 10.56 बजे खोला गया। नए क्रू मेंबर्स के स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद अब वहां एस्ट्रोनॉट्स की कुल संख्या 10 हो गई है। एक्सपीडिशन 70 के 7 मेंबर्स पहले से स्पेस स्टेशन में मोजूद है। सोयुज स्पेसक्राफ्ट को भारतीय समय के अनुसार शनिवार, 23 मार्च को शाम 6:26 बजे कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। पहले इसकी लॉन्चिंग 21 मार्च को होनी थी, लेकिन लॉन्च से केवल 21 सेकेंड पहले इसे रोकना पड़ा था। 7 मेंबर्स पहले से स्पेस स्टेशन में मोजूद
नासा की एस्ट्रोनॉट लोरल ओ’हारा, जेनेट एप्स, मैथ्यू डोमिनिक, माइक बैरेट और जेनेट एप्स के साथ-साथ रूस के अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको, निकोलाई चुब और अलेक्जेंडर ग्रीबेनकिन पहले से ही स्पेस स्टेशन पर रह रहे हैं और काम कर रहे हैं। सोयुज और ड्रैगन से एस्ट्रोनॉट ISS जाते हैं
रूस के सोयुज स्पेसक्राफ्ट और अमेरिका के बिलेनियर एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए ही एस्ट्रोनॉट्स को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक पहुंचाया और वापस पृथ्वी पर लाया जाता है। ISS के लिए सोयुज का इस्तेमाल 24 साल से किया जा रहा है। साल 2011 तक नासा के स्पेस शटल से भी एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाते थे, लेकिन हादसों के बाद नासा को स्पेस शटल को रिटायर करना पड़ा था। इसके बाद 9 साल तक अमेरिका रूस के सोयुज स्पेसक्राफ्ट पर निर्भर हो गया था। पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर है ISS
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर है। ये अंतरिक्ष में मानव निर्मित सबसे बड़ी और चमकदार वस्तु है जिसे पृथ्वी से देखा जा सकता है। एस्ट्रोनॉट माइक्रो ग्रेवेटी इनवॉयरमेंट में कई तरह के एक्सपेरिमेंट करने के लिए वहां जाते हैं। 28,000 Km प्रति घंटे की रफ्तार से घूमता है ISS
ISS का आकार फुटबॉल मैदान के बराबर है। करीब 28,000 Km/hr की रफ्तार से यह पृथ्वी के चक्कर लगाता है। पांच देशों की स्पेस एजेंसी अमेरिका की NASA, यूरोप की ESA, जापान की JAXA, रूस की ROSKOSMOS और कैनेडा की CSA का ये प्रोजेक्ट है।
Source: Health

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