भारत की तुलना में पाकिस्तान ज्यादा खुशहाल:वर्ल्ड हैपिएस्ट कंट्री की लिस्ट में PAK 108वें, भारत 126वें पायदान पर; फिनलैंड 7वीं बार टॉप पर
By : Devadmin -
UN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की तुलना में पाकिस्तान ज्यादा खुशहाल देश है। 20 मार्च यानी वर्ल्ड हैप्पीनेस डे के मौके पर संयुक्त राष्ट्र ने हैप्पीनेस इंडेक्स की रिपोर्ट जारी की है। इसमें भारत 126वें स्थान पर है। वहीं, आर्थिक तंगी से जूझ रहा हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान सूची में 108वें नंबर पर है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन 143 देशों की खुशहाली मापने के लिए 6 मानकों पर सवाल तैयार किए गए थे। इनमें संबंधित देश के प्रति व्यक्ति की GDP, सामाजिक सहयोग, उदारता और भ्रष्टाचार, सामाजिक स्वतंत्रता, स्वस्थ जीवन के आधार पर रैंकिंग की गई। फिनलैंड 7वीं बार सबसे खुशहाल देश बना
फिनलैंड ने दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में लगातार 7वीं बार पहला स्थान हासिल किया है। यहां महज 55 लाख की आबादी है। वहीं, अफगानिस्तान आखिरी पायदान पर रहा। रिपोर्ट में बताया गया कि सबसे खुशहाल देशों में ज्यादातर देश यूरोपीय हैं। इजराइल-हमास जंग से पहले बन चुकी थी रिपोर्ट
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट पिछले 11 साल से बनाई जा रही है। इसे पहली बार 2012 में तैयार किया गया था। इसे तैयार करने के लिए लोगों की खुशी के आंकलन के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक आंकड़ों को भी देखा जाता है। इसे तीन साल के औसत डेटा के आधार पर खुशहाली को जीरो से 10 तक का स्केल दिया जाता है। इस बार 2021-2023 तक का डेटा देखा गया। हालांकि, यूनाइटेड नेशन की यह लेटेस्ट रिपोर्ट इजराइल-हमास जंग से पहले तैयार हो गई थी। इसलिए जंग से जूझ रहे इजराइल नंबर 5 है। 66% भारतीयों ने कहा- खुशहाल जिंदगी के लिए जो चाहिए, वो सब है
एक सर्वे में भारत के 64% लोगों ने कहा कि जिंदगी में मेरे स्पष्ट लक्ष्य हैं और मैं लगातार अपने लक्ष्य हासिल कर रहा हूं। 66% लोगों ने कहा कि हर दिन मैं कुछ ऐसा कर रहा हूं, जो मुझे मेरी जिंदगी का मकसद पूरा करने के करीब ले जाता है। वहीं, 66% लोगों ने यह भी कहा कि एक खुशहाल जिंदगी जीने के लिए जो होना चाहिए, हमारे पास वो सब है। मैं अपना टैलेंट जानता हूं और हर दिन अपने काम में उसका इस्तेमाल कर रहा हूं। 64% लोगों ने कहा, मेरी जिंदगी में ऐसे लोग हैं, जो मुझ पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं। हालांकि, 44% लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने नकारात्मक भावनाएं महसूस कीं। ऐसा कहने वालों में महिला और पुरुषों का आंकड़ा बराबर है।
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