नींद न आना, भूख कम लगना और बात-बात पर गुस्सा आना भी मानसिक रोगों का लक्षण, एक्सपर्ट से लें सलाह
By : Devadmin -
हेल्थ डेस्क. आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं से साफ़ ज़ाहिर है कि समाज में आपसी परवाह की कमी है।कम समय में सफलता पाने की चाहत बढ़ रही है।सबसे बड़ी और अहम वजह है कि मानसिक स्वास्थ्य बेहद कमजोर हो गया है। निराशा को बढ़ाने वाले कारणबढ़े हैं। आज वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे है। इस मौके पर मन की सेहत, हताशा के कारणों और कैसे खुद की मदद करें, बता रहे हैंकंसल्टेंट मनोचिकित्सक डॉ. अमूल्या सेठ।
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आत्महत्या का विचार क्यों आता है, यह एक बेहद जटिल प्रश्न है। लेकिन अगर इंसान के हालात पर परवाह भरी नजर डाली जाए, तो कुछ अंदाज़ा लगाया जा सकता है। जिन स्थितियों पर ख़ास नजर रखनी चाहिए, उनमें से चंद हैं –
- वित्तीय समस्याएं (नौकरी चली जाना, कारोबार में नुकसान, किसी से मिला वित्तीय धोखा, यानी वे स्थितियां जिनसे वित्तीय स्थिति बहुत खराब होने का अंदेशा हो, नौकरी न मिल पाना भी उलझनें बढ़ाता है)।
- रिश्तों में उलझन (खासतौर पर दाम्पत्य जीवन की उलझनें)।
- अकेलापन (जीवनसाथी के असमय निधन, अंतर्मुखी व्यक्तित्व, किसी प्रिय के चले जाने से मिली उदासी भी इसमें शामिल है)।
- मानसिक परेशानी (किसी कारण से कोई मनोरोग)।
- दु:साध्य बीमारी (लम्बे समय तक चलने वाला कोई रोग)।
- परिवर्तन (जीवन में अचानक आया ऐसा परिवर्तन जिसके साथ तालमेल न बैठा पा रहे हों) नकारात्मक विचार (ख़ासतौर पर ख़ुद को लेकर जैसे कि ‘मेरी जिंदगी में कोई उम्मीद बाकीनहीं है’)।
- असफलताएं (दफ़्तर में पिछड़ने, किसी और की तरक्की हो जाने या ख़ुद को नकारा समझने जैसी हीनता)।
- सताया जाना (स्कूल-कॉलेज या कार्यस्थल पर किसी के द्वारा सताए या परेशान किए जाने से होने वाली मानसिक परेशानी)।
- मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना, नशे की लत।
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अकेलापनया निराश महसूस करना, बातचीत में बार-बार निराशा व्यक्त करना, जीवित रहने के लिए कोई उम्मीद और उद्देश्य न होना याव्यक्तिगत नुक़सान के लिए विकल्प मन में आना या सोचना जैसे लक्षण मेंटल हेल्थ को हो रहे नुकसान की ओर इशारा करते हैं। इसके अलावानींद न आना, कम भोजन खाना या भूख कम होना, अप्रत्याशित रूप से शरीर का वज़न बढ़ना या घटना, नशीली दवाओं और शराब के प्रति रुचि दिखाना, दूसरों के साथ सामाजिक संपर्क जैसे बातचीत या मिलना-जुलना कम करना, बहुत भावुक हो जाना या भावनाओं के प्रति पूरी तरह से विरक्त होना, बदला लेने के लिए क्रोध जैसे लक्षण बताते हैं कि विशेषज्ञ से सलाह लेने की जरूरत है।
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यदि आपको संदेह है कि कोई व्यक्ति जिसे आप जानते हैं वह हताशा या निराशा से गुज़र रहा है, तो बात करने से गुरेज न करें। यह भ्रम है कि जो जान देने की बात करता है, वो मज़ाक कर रहा होता है या अगम्भीर चर्चा करता है। हो सकता है कि वो मदद तलाश रहा हो। वहीं यह भी भ्रम है कि आत्महत्या का कोई ज़िक्र करे, तो तुरंत विषय बदल देना चाहिए क्योंकि जितना वह सोचेगा, उतना प्रयास करने को प्रवृत्त होगा। हर सूरत में इस मुद्दे पर बात करें और मदद करने की पहल करें। ध्यान रखिए, अकेलेपन, निराशा या अवसाद से जूझते इंसान के लिए बात करना बचाव का रास्ता बना सकता है।
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प्रभावित व्यक्ति से बात करते वक़्त शांत रहें और धीमेस्वर में बोलें। उन्हें उनके बर्ताव के लिए दोष नहीं दें और अपमानित नहीं करें। समर्थन और प्रोत्साहन दें। उन्हें अहसास दिलाएं कि आप उनकी मदद के लिए मौजूद हैं।
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अगर आपके या किसी और के मन में ख़ुद को नुक़सान पहुंचाने के विचार आते हैं तो आत्मघाती विचारों से लड़ने के लिए डॉक्टर की मदद लें। परामर्श प्रक्रिया के दौरान ऐसे लोगों के विचारों की पहचान करते हैं।
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डिप्रेशन को हराने के लिए व्यायाम, पर्याप्त नींद और पौष्टिक भोजन मददगार होता है। नई गतिविधियों या रुचियों को सक्रिय रखना भी अच्छा विकल्प है। ये आपकी सोच और दिमाग पर रचनात्मक बनाने में मदद करें।
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कई बार घर पर मौजूद सामान मसलन कपड़े, उपहार या सामान जिन पर नज़र पड़ने पर मन दुखी हो जाता हो या तनाव महसूस होता हो, उसे नष्ट कर दें।
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भारत में कई संस्थाएं मौजूद हैं जो आत्महत्या, डिप्रेशन, फोबिया, रिश्तों में तनाव, मनोवैज्ञानिक विकार आदि से परेशान व्यक्ति की मदद कर रही हैं। यदि आपके आसपास ऐसे लोग मौजूद हैं तो सिर्फ़ एक फोन कॉल से उनकी मदद कर सकते हैं। फोन के ज़रिए ही प्रभावित व्यक्ति की काउंसलिंग की जाती है। यदि वह बात नहीं करना चाहता है तो उसके किसी दोस्त या क़रीबी की मदद से काउंसलिंग की जा सकती है।
वंद्रेवाला फाउंडेशन, हेल्पलाइन नंबर
1860 266 2345
समय-24×7जीवन आस्था हेल्पलाइन (गुजरात)
हेल्पलाइन नंबर: 1800 233 3330
समय-24×7रोशनी फाउंडेशन (हैदराबाद)
हेल्पलाइन नंबर: +91 40 66202000
समय- सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक, सोमवार से शनिवार तक।आसरा (महाराष्ट्र)
हेल्पलाइन नंबर: 91-9820466726
समय- 24×7मेडिकल एडवाइस एंड हेल्पलाइन (राजस्थान)
हेल्पलाइन नंबर: 104
समय- 24×7एनजीओ स्पंदन (मध्यप्रदेश)
हेल्पलाइन नंबर:+91 9630899002, +91 7389366696
समय- 24×7
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Source: Health