देश की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट से मिलकर 'भास्कर' ने जाने स्वस्थ दिल के राज क्योंकि बीमारियां इनसे रहती हैं दूर

देश की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट से मिलकर 'भास्कर' ने जाने स्वस्थ दिल के राज क्योंकि बीमारियां इनसे रहती हैं दूर



हेल्थ डेस्क (शमी कुरैशी). नई दिल्ली के सफदरजंग एनक्लेव का बंगला नंबर-132..। यहां रहती हैं वह शख्सियत जिन्हें कार्डियोलॉजी का लीजेंड कहा जाता है। 102 उम्र हो चुकी है, पर अब भी सक्रिय। ऊंचा सुनती हैं, धीमा बोलती हैं, लेकिन याददाश्त तेज। घने बाल, मजबूत दांत और तमाम बीमारियों से दूर। बात हो रही है देश की पहली और सबसे बुजुर्ग कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती की।

उनकी सेहतमंद जिंदगी का राज है समय प्रबंधन। जागना-सोना, खाना, व्यायाम, काम और पढ़ाई सबका वक्त छात्र जीवन से तय है। उन्हें रिटायर हुए 42 बरस बीत गए, लेकिन गंभीर मरीजों को अब भी वक्त देती हैं। लक्षणों से बीमारी पकड़ती हैं। न ज्यादा दवाएं लिखती हैं, न बहुत जांचें करवाती हैं। अपडेट रहने के लिए मेडिकल साइंस से जुड़ी किताबें भी पढ़ती हैं।
उन्होंने एक किताब खुद पर भी लिखी है- माय लाइफ एंड मेडिसिन। हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, बर्मी, तेलुगु, मलयालम, जर्मनी और फ्रेंच भाषा बोल लेने वाली डॉ. पद्मावती के शिष्य और मरीज दुनियाभर में मिल जाएंगे। जब वे प्रैक्टिस करती थीं, तब मरीजों को महीनों तक इंतजार करना पड़ता था।

  1. इस उम्र में वे डायबिटीज व ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से दूर हैं। इसकी वजह वे खुश और हमेशा व्यस्त रहना भी मानती हैं। उन्हें अच्छी सेहत बनाए रखने का जुनून ऐसा था कि करीब 95 साल की उम्र तक तो नियमित तैराकी करती रहीं। भले ही रात को अस्पताल में देर हो जाए, लेकिन तैराकी मिस नहीं करती थीं। सहारे से चहलकदमी आज भी करती हैं। वे अपनी लंबी आयु का कारण अनुवंशिकता भी मानती हैं। कहती हैं, मेरी मम्मी 104 वर्ष तक जीवित रही थीं।

    स्वस्थ रहने के 3 सूत्र
    1. हमेशा हल्का खाना खाएं।
    2. शरीर के लिए आराम जरूरी है।
    3. बहुत जरूरी होने पर ही दवाएं लें।

    डॉ. पद्मावती ने अपने कमरे में अमेरिकन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पॉल डुडले व्हाइट की तस्वीर लगा रखी है। वे कहती हैं कि ये मेरे गुरु हैं, इन्हीं से मैंने सीखा है। इसके अलावा इस फील्ड में आने का श्रेय वे बर्मा के डॉक्टर लाइशंचीज को देती हैं, जिनसे प्रभावित होकर वे कार्डियोलॉजिस्ट बनीं।

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  2. डॉ. शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती का जन्म 20 जून 1917 को बर्मा (अब म्यांमार)में हुआ। रंगून मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस, लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियंस से एफआरसीपी और इडिनबर्ग के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियंस से एफआरसीपीई की डिग्री हासिल करने के बाद वह दिल्ली आ गईं। उन्होंने 1953 मेें दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में व्याख्याता के रूप में कॅरिअर शुरू किया। इसके बाद 1954 में भारत की पहली महिला हृदय रोग विशेषज्ञ बनीं। सराहनीय सेवाओं के लिए उन्हें 1992 में पद्म विभूषण से नवाजा गया। उत्तर भारत में पहले कार्डियक क्लिनिक और कार्डियक कैथ लैब की स्थापना का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। वह राष्ट्रीय हार्ट संस्थान, दिल्ली की चीफ कंसलटेंट और ऑल इंडिया हार्ट फाउंडेशन की संस्थापक अध्यक्ष हैं। अस्पताल के वार्डों के चक्कर लगाकर मरीजों का हाल-चाल जानने का उनका दशकों पुराना रूटीन बरकरार है।

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    • अध्यक्ष – ऑल इंडिया हार्ट फाउंडेशन
    • हृदय रोग विभाग में चीफ कंसल्टेंट – नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली
    • अध्यक्ष- एशियन पैसेफिक हार्ट नेटवर्क
    • संवादी सदस्य- कार्डियक सोसाइटी ऑफ ऑस्ट्रेलिया एंड न्यूजीलैंड
    • सदस्य- हृदय रोगों पर विशेषज्ञ समिति, विश्व स्वास्थ्य संगठन
    • निदेशक- रोटरी पेसमेकर बैंक ऑफ नई दिल्ली (अंतरराष्ट्रीय हार्टबीट, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका)
    • परिषद सदस्य- वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग
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      world heart day 2019 Indias first & oldest woman heart specialist Dr Sivaramakrishna Padmavati

      Source: Health

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