बुढ़ापे में जीभ के चक्कर में पोषण को ना करें नजरअंदाज, सही खानपान और जीवनशैली से पाएं स्वस्थ जीवन
By : Devadmin -
हेल्थ डेस्क. कुछ बुज़ुर्ग ऐसे हैं जिनकी उम्र 60 से 80 के बीच होने के बावजूद वो दिन-भर काम करते हैं और काफ़ी एक्टिव रहते हैं। वहीं कुछ को कोलेस्ट्रॉल या डायबिटीज की समस्या हो जाती है। दोनों ही सूरतों में सेहत को लेकर जागरूक रहना जरूरी है। बुढ़ापे में ज़्यादातर बीमारियों की वजह ग़लत आहार और जीवनशैली है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है पौष्टिकता की जरूरत बढ़ती जाती है। सही खानपान और जीवनशैली अपनाकर स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं। अमिता सिंह से जानिए बुढ़ापे में सेहतमंद रहने खास टिप्स…
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सुबह के वक्त चाय और बिस्किट ले सकते हैं। बिस्किट में सोडियम होता है जिसकी आवश्कता शरीर को इस उम्र में ज्यादा होती है। अगर दांत सही हैं और डायबिटीज नहीं है तो सुबह की चाय के साथ अखरोट और अंजीर ले सकते हैं। सुबह उठने के बाद दो घंटे के भीतर नाश्ता ज़रूर लें। प्रोटीनयुक्त आहार जैसे एक कप दूध और अंकुरित दाल ले सकते हैं। नाश्ते में पोहा, उपमा, चीला या पराठा ले सकते हैं। साथ में एक फल जरूर लें।
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दोपहर का भोजन पूरा लें। यानी कि इसमें दाल, रोटी, सब्ज़ी, चावल, दही, सलाद या सूप शामिल करें। इसमें अलग-अलग दालों का उपयोग कर सकते हैं। मिश्रित दाल भी बना सकते हैं। वहीं शाम की चाय के साथ पोहा, उपमा, अंकुरित दाल की चाट, मूंगफली, चना या दाल का चीला ले सकते हैं।
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रात के भोजन में सभी अनाज शामिल करें, जैसे दाल, दलिया या इनकी खिचड़ी। इसमें सभी प्रकार की सब्जियां मिला सकते हैं। थोड़ा-सा घी भी डाल सकते हैं। इसके अलावा सोने से पहले दूध, खीर, सेवई ले सकते हैं। रात का खाना सोने से 2-3 घंटे पहले लें। भोजन के बाद 5 से 10 मिनट तक टहल सकते हैं। यदि चलने में दिक्कत है तो दीवार या वॉकर पकड़कर थोड़ा-बहुत चलें। अगर डॉक्टर ने चलने से मना किया है तब भी खाना खाकर तुरंत न लेटें।
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तेल और घी का उपयोग पर्याप्त मात्रा में करने की जरूरत होती है। बहुत-से लोग उम्र बढ़ने के साथ सिर्फ उबला भोजन लेने लगते हैं। इससे वसा की कमी हो सकती है, जिसके चलते विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट अवशोषित नहीं होंगे और शरीर इनका उपयोग नहीं कर पाएगा। कब्ज भी हो सकता है क्योंकि मल को निकलने के लिए थोड़ी चिकनाई की आवश्कता होती है। खाने का स्वाद घट जाता है और आहार की मात्रा कम हो जाती है। मस्तिष्क को पर्याप्त वसा न मिलने पर व्यक्ति डिप्रेशन में आ सकता है। ध्यान रखें कि दिनभर में 5-6 छोटे चम्मच घी या तेल का उपयोग जरूरी है।
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सब्जियों और फलों में विटामिन और खनिज मौजूद होते हैं जो बीमारियों से बचाते हैं। सब्जियों का सलाद अच्छा विकल्प है। अगर सख्त सब्जियां नहीं खा सकते हैं तो उबालकर सूप बना सकते हैं। इन्हें बिना छाने सब्ज़ियों के रेशे समेत ही पिएं। इसमें मौजूद विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट्स का अच्छी तरह से उपयोग किया जा सके इसलिए इसमें घी, तेल, मक्खन की छौंक अवश्य लगाएं। सब्ज़ियों को खिचड़ी में डालकर भी खा सकते हैं। दिन में तीन-चार बार पपीता, केला या मौसम के कोई न कोई फल लें।
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सब्जियां पसंद नहीं हैं, फल ज्यादा पसंद हैं और डायबिटीज की समस्या नहीं है तो दिन में तीन-चार बार नरम फल जैसे पपीता, केला या मौसम के फल ले सकते हैं। इससे सब्जियों की आवश्कता पूरी होगी। वहीं दूसरी ओर यदि फल पसंद नहीं हैं तो इसकी जगह चटनी या सब्जियों का सूप ले सके हैं जिससे विटामिन और खनिज की आवश्यकता पूरी हो जाएगी। रेशेयुक्त सूप कब्ज दूर करने में भी सहायक होता है।
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रोज कम से कम दो बार दूध या दूध से बने खाद्य पदार्थ लें। अगर अकेला दूध नुक़सान करता है तो इसके साथ अनाज ले सकते हैं जैसे दूध-रोटी, दूध-दलिया आदि। दूध से बने खाद्य जैसे दही, दूध या फलों का शेक ले सकते हैं। अगर डायबिटीज है तो शक्कर न डालें। दही ले रहे हैं तो इसमें फल, नमक और काली मिर्च डालकर रायता बना सकते हैं। दही नुकसान नहीं करता है तो इसे दिन में दो बार ज़रूर लें। दिन में एक बार पनीर भी खाएं। इससे प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिनबी की पूर्ति होगी।
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भोजन में हर प्रकार की दाल शामिल करें। अगर बिल्कुल स्वस्थ हैं तो दिन में दो कटोरी दाल जरूर लें। इसे चावल, दलिया के साथ या खिचड़ी के रूप में ले सकते हैं। पकी दाल और आटे से बना दाल का दुल्हा या चिकोली (पकी हुई दाल में आटे की छोटी रोटियां डालकर पकाया जाता है) ले सकते हैं। आटे में बेसन मिलाकर रोटी बना सकते हैं।
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स्वस्थ रहने के लिए भोजन करने का समय और तरीका, दोनों ही आवश्यक है। खासतौर पर बुज़ुर्गों को सही और निर्धारित समय पर भोजन लेना चाहिए। अगर भोजन सिर्फ तीन समय करते हैं तो इसे चार हिस्सों में बांट लें। वहीं बीच-बीच में पर्याप्त मात्रा में पानी भी पिएं। शारीरिक गतिविधियों के साथ ही नींद का ख्याल भी रखें।
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Source: Health