प्रजनन दर के मामले में दक्षिण कोरिया ने जापान को पछाड़ा, 1 से कम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची
By : Devadmin -
सियोल.प्रजनन दर (फर्टिलिटी रेट) के मामले में दक्षिण कोरिया ने जापान को पीछे कर दिया है। यहां की प्रजनन दर 2018 में 1 से कम (0.98) देखी गई। जबकि जापान में प्रजनन दर 2018 में 1.42 आंकी गई थी। किसी भी महिला द्वारा अपने पूरे जीवन में पैदा किए बच्चों की संख्या को प्रजनन दर कहा जाता है।
2017 में दक्षिण कोरिया में प्रजनन दर 1.05 थी। गिरती दर के चलते दक्षिण कोरिया में 2017 की तुलना में पिछले साल 8.7% कम बच्चे पैदा हुए। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक- 1970 से हर साल प्रजनन दर का आकलन किया जा रहा है। 20 साल से ज्यादा की महिलाओं में प्रजनन दर में तेजी से गिरावट देखी जा रही है। इतना ही नहीं साउथ कोरिया में 2017 में बुजुर्गों की संख्या युवाओं से 13.6% ज्यादा हो गई।
स्थायी आबादी के लिए 2 प्रजनन दर जरूरी
अमेरिका में 2018 में 1.72 प्रजनन दर रिकॉर्ड की गई। कुछ अफ्रीकी देशों में सबसे ज्यादा प्रजनन दर (5-6) देखी गई। किसी भी देश को स्थायी आबादी बरकरार रखने के लिए 2 प्रजनन दर जरूरी होती है।
जापान में भी बढ़ रहे बुजुर्ग, युवाओं की संख्या घट रही
जापान में भी 1970 के दशक से गिरावट देखी जा रही है। गिरती जन्मदर के चलते बुजुर्गों की संख्या में इजाफा हो रहा है। 2065 तक जापान की आबादी 12.7 करोड़ से घटकर 8.8 करोड़ के स्तर पर आ जाएगी। स्वास्थ्य एवं श्रम मंत्रालय के मुताबिक, 2017 में जापान में 9.5 लाख से कम बच्चे पैदा हुए, जबकि 13 लाख बच्चों की मौत हो गई।
वर्क कल्चर के कारण कम बच्चे पैदा कर रहे लोग
जापान और दक्षिण कोरिया दोनों में प्रजनन दर घटने की एक ही मुख्य वजह बताई जा रही है- काम का स्वस्थ वातावरण न होना। इसके चलते लोग कामकाजी और निजी जिंदगी में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते। जापान सरकार ने परंपरागत तरीकों में कुछ बदलाव किए थे। 2017 में सरकार ने फ्री प्री-स्कूल के विस्तार और डे केयर सेंटरों का वेटिंग टाइम घटाने के लिए 18 बिलियन डॉलर रकम देने की घोषणा की थी। दक्षिण कोरिया सरकार ने भी पिछले साल एक हफ्ते में 68 घंटे काम को घटाकर 52 घंटे कर दिया।
सिंगल रहने पर जोर
कोरिया इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड सोशल एफेयर्स के मुताबिक, 20 से 44 साल के ज्यादातर लोग सिंगर (गैर-शादीशुदा) हैं। इनमें से 51% पुरुषों और 64% महिलाओं का कहना है कि उन्होंने हमेशा सिंगल रहने का फैसला किया है। युवा साउथ कोरियाई लोगों का कहना है कि उनके पास इतना पैसा, वक्त और भावनात्मक जुड़ाव नहीं है कि वे डेट पर जा सकें। कुछ कॉलेजों में छात्रों को डेटिंग, प्यार और यौन संबंधों के बारे में बाकायदा पढ़ाया भी जा रहा है कि ताकि युवा अपने विचार बदलें।
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Source: Health