Probiotic में जीवित सूक्ष्म जीवाणु (Bacteria) होते हैं। यह आंतों में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बनाते हैं। इससे पाचन अच्छा व वजन नियंत्रित रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। Probiotic में कैल्शियम, प्रोटीन, विटमिन ए, बी सहित कई विटामिंस होते हैं।
पाचनतंत्र में दो तरह के Bacteria होते हैं- पहला अच्छा यानी Good Bacteria व दूसरा खराब यानी Bad Bacteria। शरीर में जब Good Bacteria कम होने लगते हैं (जैसे कि एंटीबायोटिक दवा लेने के बाद) तो Probiotic चीजों को लेने से पाचनतंत्र में इनकी संख्या बढ़ा सकते हैं। गैस्ट्रोइंटेसटाइनल ट्रैक में करोड़ों की संख्या में Good Bacteria होते हैं, जो Bad Bacteria से लड़ते हैं और उनके दुष्प्रभाव को भी कम करते हैं। Probiotic Food आंतों में नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया की ग्रोथ को कम करते हैं और Good Bacteria की संख्या बढ़ाते हैं।
बैक्टीरिया का बैलेंस
Probiotic युक्त चीजों को लेने से आंतों में गुड, Bad Bacteria का संतुलन बना रहता है। कुछ दवाएं, एंटीबायोटिक्स, दूषित आहार से Good Bacteria की कमी हो जाती है। इससे पाचन बिगड़ता है। खाना अच्छे से पचता नहीं है। आंतों में छाले, IBS (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम), Obesity जैसी समस्याएं बढ़ती हैं।
क्या हैं फायदे
एसीडिटी, पेट दर्द, कब्ज, जलन, अपच की समस्या में भी फायदेमंद है।
आइबीएस यानी Irritable Bowl syndrome में मदद करता है।
पाचन सही रहने से Weight Loss में भी मददगार है। Depression और उलझन को दूर करने में मदद करता है।
Bad cholesterol यानी LDL (low-density lipoprotein) को घटाने में मदद करता है। Blood Pressure भी कम करता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। सर्दी-जुकाम व संक्रमण से भी बचाव करता है।
नियमित प्रयोग से त्वचा रोगों एक्ने, एग्जीमा में फायदेमंद है।
क्या कहती है शोध रिपोर्ट
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्य़ूट की रिसर्च में पाया गया कि Antibiotics Medicine से दस्त की समस्या हो सकती है। दस्त में Probiotic चीजें उपयोगी होती हैं। इनका प्रभाव व उसकी मात्रा पर निर्भर करते हैं। लैक्टोज से अपच की समस्या में यह कारगर है। इससे Diabetese की आशंका घटती है। Good Bacteria ग्लूकोज को नियंत्रित करते हैं। मरीजों को संबंधित चीजों के प्रयोग चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
Pre Biotic क्या है?
Pre Biotic एक प्रकार के फाइबर (Fiber) होते हैं। Good Bacteria को बढ़ाते हैं व आंतों में नुकसान को रोकते हैं। ज्यादा लेने पर दिक्कत हो सकती है।
ये हैं प्रमुख स्रोत (Source of Prebiotics)
यह बीन्स, मटर की फली, ओट्स, केला, बेरीज, लहसुन, प्याज में सबसे ज्यादा पाया जाता है। शुरुआत में दो-तीन दिन पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द हो सकता है। पाचन भी बिगड़ सकता है।
एक्सपर्ट : डॉ. एकादशी रजनी, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, आरयूएचएस कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, जयपुर
Source: Weight Loss