डूबने पर पंपिंग से निकाल सकते हैं फेफड़ों का पानी, डूबते व्यक्ति को प्रथामिक उपचार से बचाएं
By : Devadmin -
लाइफस्टाइल डेस्क. बारिश के मौसम में डूबने की घटनाएं अक्सर होती हैं। कई लोग तैराकी की थोड़ी सी ट्रेनिंग लेकर नदी-तालाब में उतर जाते हैं। ऐसे लोगों के डूबने के केस अधिक होते हैं। डूब रहे व्यक्ति को बचाकर प्राथमिक उपचार कैसे देना चाहिए, यह हम बता रहे हैं।
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- बाढ़ में, तालाब में, गड्ढों में अक्सर लोग डूबकर मर जाते हैं। जिन्हें तैरना नहीं आता वे तो पानी से खुद को दूर रखते हैं, लेकिन जिन्हें मामूली तैरना आता है, वे बड़े जलस्रोतों में टैलेंट दिखाने उतर जाते हैं। ऐसे लोगों के डूबने के चांस अधिक रहते हैं। अच्छा यही है कि पूरी तरह तैराकी सीखकर ही जोखिम उठाएं।
- कुछ लोग घर के बाथटब में भी डूबकर मर जाते हैं। डूबने से फेफड़ों में पानी भर जाता है, फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं। फेफड़े का पानी रक्त नलिकाओं में चला जाता है। दिल को पानी से भी निपटना पड़ता है और वह काम करना बंद कर देता है।
- अधिक समय तर फेफड़ों में पानी रहना जानलेवा होता है, इससे सांस रुकने पर तीन मिनट बाद मौत हो जाती है। नदी-तालाब में आप किसी डूबते को बचा रहे हैं तो वह आपके गले पड़ जाएगा, आप पर चढ़ने लगेगा। ऐसे में वह आपको भी डुबो देगा। इसलिए तैराकी के साथ डूबते व्यक्ति को बचाने का तरीका भी सीख लेना चाहिए। किसी डूबते हुए को बचाते समय उसे प्राथमिक उपचार देने का तरीका आपको पता होना चाहिए।
- किसी से मदद लें, आसपास कोई नहीं है तो इमरजेंसी कॉलिंग करें। आप अकेले हैं तो उसे रस्सी-लकड़ी की सहायता से बाहर निकालें। तैराकी जानते हैं तो पानी में उतरकर बचाने का प्रयास करें।
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- पीड़ित के कपड़े टाइट हों तो ढीले कर दें। उसकी ठोढ़ी ऊपर उठाकर सिर पीछे झुकाएं। (इससे फेफड़ों का वायुमार्ग सुगम होता है)
- उसकी नाक बंद कर मुंह पूरा खोल दें। फिर अपना मुंह ढक्कन की तरह उसके मुंह पर फिट कर पूरी हवा रोगी के मुंह में छोड़ दें। ऐसा हर पांच सेकंड बाद करते रहें, जब तक रोगी की नाड़ी अथवा धड़कन काम न करने लगे।
- रोगी के मुंह से पानी निकलने लगे तो गर्दन टेढ़ी कर पानी निकाल दें, फिर से सांस देने लगें।
- सांस देना तब तक जारी रखें जब आप निश्चित न हो जाएं कि रोगी की नाड़ी चलने न लगे।
- रोगी के बाएं सीने पर कान रखकर धड़कन महसूस करें। यदि वह पुनर्जीवित होता है तो उसका शरीर गर्म रखें और डॉक्टर के आने तक उसे हिलाएं-डुलाएं नहीं।
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- जब डूबते हुए को बाहर निकाल लें तो उसकी नाक और मुंह के पास कान रखकर महसूस करें कि क्या सांस चल रही है। पल्स चेक करें, फिर सीने पर कान रखकर धड़कन जांचें।
- यदि पल्स नहीं है तो सीने पर हथेली से दबाव डालकर पंपिंग करें। बच्चों के लिए दो अंगुलियों का प्रेशर काफी है। व्यस्क के लिए 2 इंच तक दबाना सुनिश्चित करें, पसलियोंपर प्रेशर न दें।
- शिशु को आधा या एक इंच ही दबाएं, सीने पर प्रेशर न डालें। इस क्रिया से फेफड़ों में भरा पानी निकल जाएगा और धड़कन लौट सकती है। रिस्पांस न मिले तो पीड़ित को कृत्रिम सांस दें।
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Source: Health
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