हेल्थ डेस्क. किडनी में स्टोन यानी पथरी का पता तभी चलता है, जब गंभीर रूप से दर्द होता है। सवाल है कि क्या किडनी में स्टोन बनने से रोका जा सकता है। और अगर स्टोन बन ही गया है तो क्या करें? बता रहे हैं एलोपैथी डॉक्टर और लेखक डॉ. अवयक्त अग्रवाल…
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पथरी यानी स्टोन की समस्या हमारी मौजूदा लाइफस्टाइल के कारण बढ़ रही है। 5 से 10 फीसदी लोगों में उनके जीवनकाल में कभी न कभी स्टोन बनते ही हैं। किडनी में स्टोन बनना वैसे सामान्य बात है। अधिकांश मामलों में ये स्टोन खुद-ब-खुद यूरिन के रास्ते शरीर से बाहर हो जाते हैं। लेकिन जिन मामलों में स्टोन यूरेटर (किडनी को ब्लैडर से जोड़ने वाली नली) में फंसे रह जाते हैं, वे दिक्कत बढ़ाते हैं। सही इलाज ना लिया जाए, तो यह संक्रमण कर सकते हैं।
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किडनी रक्त को फिल्टर करने का काम करती है। इस प्रक्रिया में अधिक मात्रा में बने एसिड और मिनरल्स को भी वह फिल्टर करती रहती है। लेकिन अनेक कारणों से कभी-कभी ये मिनरल्स एक समूह सा बनाकर कुछ माह में ठोस स्वरूप ले लेते हैं। ये किडनी में कुछ खास तरह के साल्ट्स स्टोन बना लेते हैं। स्टोन बनना यूं तो सामान्य है, लेकिन ये अगर किडनी में बने रहें या किडनी से यूरेटर के बीच कहीं अटक जाएं, तो दर्द का कारण बनते हैं।
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किडनी स्टोन के मरीजों को इसका पता भी अमूमन तब चलता है, जब उन्हें दर्द शुरू होता है। यह दर्द स्टोन के किडनी से यूरेटर में खिसकने से होता है। जैसे-जैसे स्टोन यूरेटर में नीचे बढ़ता जाता है, दर्द भी बढ़ता चला जाता है। दर्द तब तक रहता है, जब तक कि स्टोन यूरिनरी ब्लैडर में न गिर जाए। दर्द पीठ के निचले हिस्से में रीढ़ की हड्डी के किसी एक तरफ से शुरू होता है और फिर पेट तक आ जाता है। जैसे-जैसे स्टोन नीचे खिसकता जाता है, वैसे-वैसे दर्द भी नीचे आते हुए जांघ के अंदरूनी हिस्सेतक होने लगता है। स्टोन अटक जाने पर दर्द बना रहता है, जो कि कम-ज्यादा होता रहता है। यूरिनरी ब्लैडर तक पहुंचने की यह प्रक्रिया कुछ घंटों से लेकर कुछ हफ्तों तक हो सकती है। यह दर्द रीनल कॉलिक कहलाता है। ब्लैडर में पहुंचने के बाद स्टोन प्राय: यूरिन के जरिए बाहर हो जाते हैं।
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किडनी स्टोन ठोस छोटे रेत के कंकड़ों से लेकर एक छोटे पत्थर तक के आकार के हो सकते हैं। ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं। पहला प्रकार होता है कैल्शियम ऑक्सेलेट। इसके मामले ही सबसे ज्यादा होते हैं। ये छोटे व कड़े कंकड़ से होते हैं और सबसे ज्यादा दर्द देते हैं, लेकिन अपने आप निकल भी जाते हैं। दूसरे प्रकार के होते हैं कैल्शियम फॉस्फेट। इनका आकार काफी बड़ा भी हो सकता है। तीसरे प्रकार के स्टोन यूरिक एसिड होते हैं। अमूमन ये कम होते हैं और यूरिक एसिड अधिक बनाने वाली बीमारियों जैसे गाउट/गठिया में ही होते हैं। आम तौर पर 7 mm तक के छोटे स्टोन में किसी दवा की जरूरत नहीं होती। सिर्फ़ अधिक पानी पीने, खासकर कुछ समय तक नियमित नींबू पानी पीने और खट्टे फल खाने से भी निकल जाते हैं। पानी भी इतना पीना चाहिए कि 24 घंटे में कम से कम दो लीटर यूरिन हो। लेकिन इससे बड़े स्टोन के फंसे होने पर इलाज की जरूरत होती है।
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किडनी में स्टोन बनने के कई कारण हो सकते हैं। जेनेटिक कारणों के साथ-साथ किडनी की बनावट के कारण भी ऐसा हो सकता है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी वजह शरीर में पानी की कमी होना है। जो लोग कम पानी पीते हैं, उन्हें इसकी आशंका बनी रहती है। इसके अलावा बॉडी बिल्डिंग के वास्तेलिए जाने वाले प्रोटीन पाउडर और कैल्शियम सप्लीमेंट भी इसकी आशंका बढ़ाते हैं। हां, प्राकृतिक रूप से आप कितना भी कैल्शियम या प्रोटीन ले सकते हैं। जरूरत से ज्यादा कोल्ड ड्रिंक पीने वालों को भी इसकी आशंका रहती है। गाउट, क्रोहन डिजीज आदि में भी स्टोन अधिक बनते हैं। पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा अधिक स्टोन बनते हैं। बच्चों में भी स्टोन बन सकते हैं, लेकिन वयस्कों की तुलना में कम बनते हैं। अगर किसी को एक बार स्टोन बना है, तो आगे भी इसकी आशंका रहती है।
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किडनी स्टोन में खान-पान को लेकर सबसे ज्यादा भ्रांतियां हैं। जिन लोगों को स्टोन हो चुका होता है, वे अक्सर दूध, विटामिन डी युक्त डाइट से परहेज करने लगते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करें। हां, अगर कुछ समय के लिए डॉक्टर कुछ खाने-पीने पर नियंत्रण की बात कहते हैं तो उनकी सलाह के अनुसार चलना ठीक है। खाना भी आम लोगों की तरह संतुलित होना चाहिए। उड़द की दाल या काजू रेग्युलर या बहुत ज्यादा न खाएं, लेकिन कभी-कभार लेने में कोई समस्या नहीं है। कोल्ड ड्रिंक्स और प्रोटीन-कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेने से हमेशा बचना चाहिए। यह भी एक बड़ी भ्रांति है कि बीयर पीने से स्टोन निकल जाते हैं, जबकि सच यह है कि बीयर में मौजूद ऑक्सालेट तो स्टोन बना सकते हैं।
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Source: Health