हेल्थ डेस्क. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 26 लाख मौतें सिर्फ चिकित्सा जगत में लापरवाही के कारण होती हैं। 13.8 करोड़ लोगों को नुकसान पहुंचने की वजह भी यही है। ये आंकड़े वर्ल्ड पेशेंट सेफ्टी डे के मौके पर डब्ल्यूएचओ ने जारी किए हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, ऐसे मामले रोकने के लिए जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है।
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डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, प्रिस्क्रिप्शन में गलत दवाएं लिखना और ट्रीटमेंट में लापरवाही के कारण लोगों को नुकसान पहुंच रहा है। इसकी एक और बड़ी वजह दवाओं का गलत इस्तेमाल किया जाना भी है। डब्ल्यूएचओ की पेशेंट-सेफ्टी कॉर्डिनेटर डॉ. नीलम ढींगरा के मुताबिक, इसका कारण लचर हेल्थ सिस्टम है जहां तय नहीं किया जाता है कि कोई गलती अब दोबारा नहीं होगी। गलतियां होती हैं लेकिन इनके सीख नहीं ली जाती।
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डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनिया की 80 फीसदी आबादी की आर्थिक स्थिति निचले स्तर पर है। विकसित देशों में भी हर 10 में से एक इंसान चिकित्सा जगत में होने वाली गलतियों का शिकार है। इसकी कई वजह हैं। जैसे दवाएं गलत दिया जाना, ब्लड ट्रांसफ्यूजन सिस्टम या एक्स-रे लेने में गड़बड़ी, ब्रेन के गलत हिस्से में सर्जरी। डॉ. नीलम ढींगरा के मुताबिक, आज भी कई हॉस्पिटल में कर्मचारियों के बीच संवाद नहीं होता और पद के मुताबिक, जिम्मेदारी ही स्पष्ट नहीं की गई है।
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डॉ. नीलम ढींगरा का कहना है कि दुनियाभर में केवल गलतियों के कारण प्रिस्क्राइब की जाने वाली दवाओं की कीमत 3 लाख करोड़ रुपए है। इसके बारे में जागरुकता फैलाने के लिए डब्ल्यूएचओ ने हर साल 17 सितंबर को वर्ल्ड पेशेंट सेफ्टी डे की शुरुआत की है। इस खास दिवस की थीम का रंग नारंगी रखा गया है। इस मौके पर दुनिया की जानी-मानी जगहों और मॉन्यूमेँट को नारंगी लाइट से रोशन किया जाएगा। इनमें गीजा के पिरामिड और कुआलालामपुर टॉवर भी शामिल है।
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Source: Health