मानसून में संक्रमणा रोकने के लिए 5 बातें ध्यान रखें, नमी वाले कपड़े पहनने से बचें, दिन में कई बार हाथ धोएं

मानसून में संक्रमणा रोकने के लिए 5 बातें ध्यान रखें, नमी वाले कपड़े पहनने से बचें, दिन में कई बार हाथ धोएं



हेल्थ डेस्क. बारिश का यह मौसम जितना मन को सुकून देता है, हमारे शरीर के लिए उतनी ही परेशानी भी पैदा कर सकता है। अक्टूबर तक बीमारियां बढ़ेंगी। सामान्य मौसमी बीमारियों के अलावा स्वाइन फ्लू, डेंगू जैसे केसेस भी बढ़ेंगे। अगर चाहते हैं कि आप संक्रमण की ज़द में ना आएं तो कुछ बातों का ख्याल रखें। थोड़ी-सी सावधानी रखकर हम खुद को बीमार होने से बचा सकते हैं। डॉ. अव्यक्त अग्रवाल बता रहे हैं किन बातों का ध्यान रखकर मानसून में बीमारियों से बचा जा सकता है।

  1. बारिश में नहाना या तालाब-नदी-नालों के पानी में जाना पूरी तरह अवॉइड करें। इस पानी में मौजूद फंगस आपको बीमार कर सकती है। अगर बारिश में भीग जाएं तो गुनगुने पानी से दोबारा नहाना भी जरूरी है। इससे हानिकारक बैक्टीरिया, फंगस और गंदगी से बच जाएंगे और बीमार नहीं होंगे। मुमकिन हो तो इस मौसम में भी शाम को नहाने की आदत डालें। इससे पसीने और उससे होने वाले संक्रमण से भी बच सकेंगे। कपड़े, मोजे, अंडरगार्मेंट्स जरा से भी गीले हों तो हर्गिज मत पहनिए। इसमें भी जमा फंगस संक्रमण का कारण बन सकती है।

  2. इस मौसम में कम तापमान, नमी और आद्रता के कारण एयर बोर्न इंफेक्शन (हवा से फैलने वाले संक्रमण) जैसे फ्लू, स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ जाते हैं। यह मौसम संक्रामक बीमारियों के रियो, अडेनो जैसे वायरस के लिए अनुकूल है। इसलिए पब्लिक प्लेस जैसे अस्पताल, थिएटर, मॉल या मार्केट जाएं या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें, तो कोशिश करें कि मुंह-नाक ढंका हुआ हो। परिचितों से भी मिलने पर हाथ मिलाने से बचें। इससे संक्रमण फैल सकता है। बार-बार हाथ धोने की भी आदत डालें।

  3. बारिश में प्यास कम लगती है और इसके चलते लोग पानी के बजाय चाय-कॉफी ज्यादा पीने लगते हैं। इससे दोहरा नुकसान होता है। पानी कम पीने से तो बॉडी डिहाइड्रेट होती ही है, कैफीन भी डिहाइड्रेट की प्रोसेस को बढ़ा देता है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है। आप जो पानी पी रहे हैं, वह साफ हो इस बात का विशेष ख्याल रखें। आरओ या अन्य वॉटर प्यूरिफायर का पानी नहीं पी रहे हैं, तो पानी को उबालना नहीं भूलें। इन दिनों टायफॉइड, पीलिया, डायरिया (हेपेटाइटिस ए, ई ) होने की आशंका कहीं ज्यादा बढ़ जाती है।

  4. लोगों में यह धारणा है कि ठंडे मौसम में खट्टे फल अवॉइड करने चाहिए, क्योंकि इससे सर्दी-खांसी की आशंका बढ़ जाती है। जबकि यह धारणा गलत है। खट्टे फलों में विटामिन-सी पर्याप्त मात्रा में होते हैं। विटामिन-सी इम्युनिटी यानी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं। इसलिए इस मौसम में खट्टे और सीजनल फल यथासंभव खाने चाहिए।

  5. इस मौसम में दीवारों और कपड़ों में भी नमी की वजह से फंगस काफी पनपती है जो एलर्जी की वजह बनती है। इसके अलावा जगह-जगह उगने वाली नई झाड़ियों से उत्पन्न परागकणों के कारण भी स्किन एलर्जी और अस्थमा के मरीजों में बढ़ोतरी होती है। अगर आप एलर्जी या अस्थमा के मरीज हैं तो कम से कम इन झाड़ियों और फूल वाले पौधों के पास जाने से बचना चाहिए। इसके अलावा बारिश के मौसम में मच्छर पनपना सामान्य बात है। इसे रोका नहीं जा सकता। ऐसे में कोशिश यही होनी चाहिए कि आप उन मच्छरों से अपना बचाव कैसे करते हैं। इसके लिए मच्छरदानी बेस्ट उपाय है।

  6. इन दिनों स्वाइन फ्लू के काफी मामले आ रहे हैं। सर्दी, खांसी, बुखार के लक्षणों के अलावा अगर बुखार उतरने पर सुस्ती बनी हुई है, कुछ भी खाने-पीने का मन नहीं कर रहा है, बार बार उल्टियां भी हो रही हैं, तो डॉक्टर से मिलिए। बुखार के साथ पंजे-तलवे आदि ठंडे हैं, तेज़ पेट दर्द हो रहा है या चक्कर आ रहे हैं तो भी तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर स्वाइन फ्लू की संभावना होने पर फ्लू का ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं। ट्रीटमेंट शुरू करने के लिए स्वाइन फ्लू की जांच या उसकी जांच रिपोर्ट का इंतजार करना जरूरी नहीं होता। स्वाइन फ्लू के करीब 98 प्रतिशत मरीज आसानी से घर पर ही ठीक हो जाते हैं। मात्र गंभीर मरीज़ों को ही हॉस्पिटल में भर्ती करवाने की नौबत आती है। स्वाइन फ्लू, डेंगू इत्यादि एक हफ्ते से 10 दिन में स्वतः प्राकृतिक रूप से ठीक हो जाने वाली बीमारियां हैं, बशर्ते आप समय पर अपने डॉक्टर से कंसल्ट कर लें।

    1. Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today


      These 5 important advises will keep you feet in monsoon

      Source: Health

      Please follow and like us:
Follow by Email
Pinterest
Instagram