सिर्फ रोजाना दौड़ने से 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है स्ट्रोक का खतरा लेकिन दौड़ने का तरीका जानना जरूरी

सिर्फ रोजाना दौड़ने से 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है स्ट्रोक का खतरा लेकिन दौड़ने का तरीका जानना जरूरी



हेल्थ डेस्क. कई वैज्ञानिक रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई है कि दौड़ने से हृदय की कार्यप्रणाली बेहतर बनी रहती है। जो लोग नियमित रूप से रनिंग करते हैं, उनमें कोरोनरी हार्ट डिसीज (रक्त धमनियों में ब्लॉकेज की वजह से हार्ट प्रॉब्लम) होने की आशंका 30 से 40 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इससे स्ट्रोक होने की आशंका भी काफी कम हो जाती है। दौड़ने से हमारा शरीर तेज हार्ट बीट के साथ सामंजस्य बैठाने में सक्षम हो जाता है। इसलिए तनाव या किसी आकस्मिक आघात के समय जब हार्ट बीट तेज हो जाती है तो हमारे कार्डियोवस्कुलर सिस्टम पर निगेटिव असर नहीं पड़ता। हालांकि रनिंग के जहां कई फायदे हैं, वहीं कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है, अन्यथा यह जोखिमभरा भी हो सकता है।

  1. अगर आपको इससे पहले कभी दौड़ने का अभ्यास नहीं रहा है तो इसकी शुरुआत करने से पहले अपने डॉक्टर की राय जरूर ले लेना चाहिए। डॉक्टर अगर परमिट करते हैं, तब भी शुरुआत ब्रिस्क वॉकिंग से करें और उसके बाद विधिवत रनिंग शुरू करें। पहली बार दौड़ने के बाद अपने अनुभवों को एक कागज पर लिखें कि आप किस गति से दौड़े, कितनी दूरी तक दौड़े और आपने क्या महसूस किया। शुरुआत धीमी गति से करें, जॉगिंग जैसी। फिर उसी गति को पहले सप्ताह मेंटेन रखें। इसके बाद के सप्ताहों में अपनी गति को थोड़ा-थोड़ा बढ़ाते जाएं। लेकिन इसे भी एक सीमा तक ही रखें।

  2. अगर आपकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है, तो सप्ताह में 5 दिन ही दौड़ें। दो दिन शरीर को आराम दें। आराम वाले दिन आप चाहे तो वॉक कर सकते हैं या घर पर ही हल्की एक्सरसाइज। एक सवाल अक्सर पूछा जाता है कि हमें कितना दौड़ना चाहिए। तो इसका कोई एक नियम नहीं है। बस अपने शरीर की सुनें। आपका शरीर ही सबकुछ बता देगा कि आपके लिए कितना दौड़ना, किस दूरी तक दौड़ना और किस गति से दौड़ना सही है। अगर दौड़ते समय थोड़ी सी भी थकान महसूस करें या दौड़ने में परेशानी आए तो तुरंत आराम करें। ज्यादा दिक्कत हो तो डॉक्टर से संपर्क करने में भी न हिचकें।

  3. जिन लोगों को हृदय से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या है, तो उन्हें यह जानने के लिए कि वे रनिंग कर सकते हैं या नहीं, इसके लिए कुछ टेस्ट जरूर करवाने चाहिए। इनमें महत्वपूर्ण हैं ट्रेड मिल टेस्ट (टीमएटी), ईसीजी टेस्ट और इकोकार्डियोग्रॉफी। हृदय रोग से पीड़ित लोगों द्वारा ज्यादा रनिंग करने से हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर हो सकता है, खासकर उन्हें जो नियमित रूप से एक्सरसाइज नहीं करते हैं। जिनमें लिपिड संबंधी गड़बड़ियां हैं, हाई बीपी की समस्या है या जिन्हें डायबिटीज है या जो स्मोकिंग करते हैं, उनके लिए भी दौड़ने में खतरा और बढ़ जाता है।

    • मौसम के अनुसार सावधानी बरतें, जैसे गर्मियों में शरीर में पानी की कमी न होने दें और सर्दियों में अपनी मसल्स को वार्मअप के जरिए गर्म रखें। वैसे रनिंग से पहले हमेशा ही वार्म-अप करें।
    • बगैर जूते के बिल्कुल भी नहीं दौड़ें। ऐसे जूते खरीदें जो खासकर रनिंग के लिए ही बने हों, पैरों में अच्छी तरह फिट आते हों और दौड़ते समय पैरों को अच्छा सर्पोट दें।
    • ऐसे स्थानों पर नहीं दौड़ें जहां गाड़ियों की आवाजाही अधिक हो, क्योंकि इनसे निकलने वाले धुएं से कार्डियोवस्कुलर और श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
    • अगर आप शाम के समय रनिंग करना चाह रहे हैं तो इवनिंग स्नैक्स और रनिंग के बीच कम से कम दो घंटे का गेप रखिए, खाकर अगर स्नैक्स में कार्बोहाइड्रेट हों। ऐसा न करने पर खाई हुई चीज ठीक से पच नहीं पाएंगी।
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      Running is beneficial for the heart, but don’t forget these 3 things

      Source: Health

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