हेल्थ डेस्क. शादीशुदा जीवन का सम्बंध बेहतर याद्दाश्त से भी है। अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक, शादीशुदा लोगों के मुकाबले तलाक ले चुके लोगों की याद्दाश्त की समस्या से जूझते हैं। मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 15,379 लोगों पर रिसर्च की। परिणाम के रूप में सामने आया कि खासतौर पर तलाक ले चुके पुरुषों में डिमेंशिया का खतरा ज्यादा होता है।
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शोधकर्ताओं का कहना है डिमेंशिया का सम्बंध कम आय और तनहा जीवन जीने वाले लोगों से ज्यादा है। तलाक लेने 14 साल के अंदर पुरुष मेमोरी रॉबिंग डिसऑर्डर से जूझते हैं जबकि सामान्य शादीशुदा जीवन बिता रहे पुरुषों में ऐसा नहीं होता।
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शोधकर्ताओं का कहना है पार्टनर से अलगाव दिमाग को प्रभावित करता है। इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने 15379 लोगों को रिसर्च में शामिल किया। रिसर्च 2000 और 2014 हुई थी। इनमें शामिल लोगों की उम्र 52 साल या इससे अधिक थी। ये ऐसे लोग थे जो शादीशुदा, तलाकशुदा, विदुर, कुंआरे या लिव-इन में रह रहे थे। रिसर्च के दौरान हर दो साल में दिमाग की कार्यक्षमता को जांचा गया।
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सुखी शादीशुदा जीवन में सामाजिक जुड़ाव और मदद काफी हद तक सेहत पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। वहीं, तलाकशुदा लोग भावनात्मक और आर्थिक तंगी से भी जूझते हैं। जो उनकी सेहत को बिगाड़ने का काम करता है। शोधकर्ता डॉ. हुई लियु के मुताबिक, यह रिसर्च इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अमेरिका में अधिक उम्र वाले कुंवारे लोगों की संख्या बढ़ रही है।
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अमेरिकन सायकोलॉजिकल एसोसिएशन के मुताबिक, ब्रिटेन में साढ़े आठ लाख और अमेरिका में 57 लाख लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं। वहीं अमेरिका में 40-50 शादीशुदा लोगों के बीच तलाक होना बेहद आम है। ब्रिटेन में 2012 में हुईं शादियों में 42 फीसदी दंपतियों ने तलाक लिया।
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एक दूसरी स्टडी में सामने आया कि कुंआरे लोगों के मुकाबले शादीशुदा लोगों में हृदय रोगों से मौत की आशंका 52 फीसदी तक कम हो जाती है। शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि बेहतर याद्दाश्त के लिए पति-पत्नी को साथ रहने की जरूरत है।
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Source: Health