आईआईटी हैदराबाद ने मछली की स्किन से तैयार किया कोलेजन, स्किन पर प्रयोगों में होगा इस्तेमाल



हेल्थ डेस्क. आईआईटी हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने मछली के अपशिष्ट से इंसान की स्किन में पाए जाने वाले कोलेजन को तैयार किया है। कोलेजन एक तरह का प्रोटीन है जो कार्टिलेज, हड्डियों, नाखून और बालों में पाया जाता है। जो इन हिस्सों के विकास, बेहतर काम करने के लिए और खिंचाव देने के लिए जरूरी होता है। इसका प्रयोग स्किन से जुड़े प्रयोगों में किया जा सकेगा।

  1. शोधकर्ताओं ने कोलेजन को ईल मछली की खराब हो चुकी स्किन से तैयार किया है। प्रमुख शोधकर्ता मनो गोविंदराज और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर शुभ नारायण के मुताबिक, टीम ने ब्लू बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में खास उपलब्धि हासिल की है। बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ब्लू शब्द का प्रयोग समुद्र जीव विज्ञान के लिए किया जाता है।

  2. शोधकर्ता शुभ नारायण कहते हैं, मछली की स्किन से तैयार किए जाने वाला कोलेजन दो तरह से फायदेमंद है। पहला, यह सुरक्षित तरीका है और संक्रमण की गुजाइश न के बराबर है। दूसरा, इससे अपशिष्ट प्रबंधन और बेहतर हो सकेगा। अक्सर ईल और दूसरी मछलियों की स्किन को समुद्रतटों पर फेंक दिया जाता है। जो पानी में धीरे-धीरे सड़ती रहती है और ऑक्सीजन का स्तर कम करती है।

  3. शोधकर्ताओं के मुताबिक, जांच के दौरान सामने आया कि तैयार हुए कोलेजन में स्टेम कोशिकाओं का विकास बेहतर तरीके से होता है। जिसका इस्तेमाल स्किन पर होने वाले प्रयोगों में किया जाएगा। इसे दूसरे स्तनधारी जानवर से तैयार कराने पर संक्रमण का खतरा रहता है जैसे गाय में होने वाली मैड-काऊ डिजीज, इसलिए मछली को चुना गया है। मछली की स्किन अधिकता में उपलब्ध भी है।

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      Source: Health

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