खाने में साबुत दाल भी शामिल करें, इसमें पोषण तत्वों का है खजाना, आयरन-कैल्शियम से लेकर मैग्नीशियम तक होती है पूर्ति
By : Devadmin -

हेल्थ डेस्क. कुछ लोगों को भ्रम रहता है कि दालें भारी होती हैं, गैस बनाती हैं, पचने में मुश्किल होती हैं। कुछ का मानना है कि दाल खाने से शरीर में प्रोटीन की मात्रा अधिक बढ़ जाती है। आहार विशेषज्ञ अमिता सिंह दाल बता रही हैं दाल आपके लिए कितनी जरूरी है…
16 तरह की दालें हैं हमारे पास
हमारे पास क़रीब 15-16 प्रकार की दाले हैं। इनमें चने की ही तीन प्रकार की हैं- सफ़ेद चना, काला चना और चने की दाल। मूंग भी तीन प्रकार की है- खड़ी मूंग, छिलके वाली मूंग और बिना छिलके वाली मूंग। इसकी प्रकार उड़द, मसूर दो प्रकार की मौजूद हैं। तुअर की दाल, सूखे मटर और साथ में लोबिया और मोठ भी हैं। लोबिया को कई जगह चवला भी कहा जाता है। ये काली आंख वाला सफ़ेद दाना और मोठ जो दिखता मूंग जैसा है लेकिन भूरे रंग का होता है। ये सभी दालें हैं और इनके अंदर बहुत सारे फ़ायदे छुपे हुए हैं।

100 दाल में 24 ग्राम तक प्रोटीन
सभी दालों की 100 ग्राम की मात्रा लगभग 350 कैलोरी देती है। साथ ही 18 ग्राम से 24 ग्राम तक का प्रोटीन देती है। सोयाबीन एक ऐसा दलहन है जो 40 फीसदी प्रोटीन देता है। छिलके से ढकी साबुत दालें खनिज का भंडार होती हैं। खनिज जैसे आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम आदि। काला चना, मोठ और लोबिया आयरन के अच्छे स्रोत हैं। अगर इनको उबालकर ऊपर से नींबू डालकर सेवन किया जाए तो शरीर इनका आयरन अच्छी तरह से अवशोषित करता है।
हफ्ते में 3 बार दाल खाएं और पर्याप्त ओमेगा-3 मिलेगा
राजमा, चावला, काले चने जैसी खड़ी दालें आवश्यक तत्व ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत होती हैं। अधिकतर लोग ओमेगा-3 के लिए फिश ऑयल कैप्सूल जैसे स्रोत लेते हैं पर इनमें बहुत अधिक मात्रा में ओमेगा-3 मौजूद होता है जो शरीर के लिए ज़रूरत से कहीं ज़्यादा है। चना, काबुली चना, राजमा में उतनी ही मात्रा में ओमेगा-3 मौजूद होता है जितने की शरीर को आवश्यकता है और जितने का वो परस्पर उपयोग कर सकें। हफ्ते में 2-3 बार कभी काले चने, कभी लोबिया या कभी राजमा खाने से शरीर को सही मात्रा में ओमेगा-3 मिल जाता है।
फायदे : कोलेस्ट्रॉल घटेगा और कैल्शियम बढ़ेगा
साबुत दालों का रेशा पाचन के लिए बहुत अच्छा है और शरीर से टॉक्सीन निकालने का काम करता है। राजमा, लोबिया, मोठ, काला चना, छोले कई बीमारियों में दवाइयों का काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति दालों का सेवन पर्याप्त मात्रा में करे तो उसके लिए ये फ़ायदेमंद है। जिन्हें वांशिक रूप से मधुमेह होने की आशंका है यदि वे पर्याप्त मात्रा में राजमा, छोले व चने का सेवन करें तो उनमें मधुमेह होने की संभावना 60 प्रतिशत कम होती देखी गई है। इसी प्रकार दालों का रेशा बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा कम कर देता है।
कैसे डाइट में करें शामिल
- दालों को भिगोकर और अंकुरित करके खाने से भरपूर आयरन और कैल्शियम मिलता है। रातभर भिगोकर खाने से भारीपन से बचा जा सकता है।
- पेट में भारीपन, पेट भरा-भरा महसूस होना और पचने में मुश्किल तब होती है जब दालों का अधिक मात्रा उपयोग की जाए। एक पुरुष को एक से डेढ़ कटोरी दाल की मात्रा एक समय में खानी चाहिए। वहीं एक महिला को एक समय में एक कटोरी। 30 ग्राम सूखी दाल पक कर एक कटोरी होती है।
- ये भी माना जाता है कि आयु के साथ प्रोटीन का उपयोग कम होना चाहिए। पर आयु के साथ शरीर को उतनी ही मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इससे शरीर को बीमारियों से बचाव करने की शक्ति मिलती है।
- जो लोग सादी दालों का सेवन नहीं करना चाहते वे मिस्सी रोटी, सत्तू, इडली या चना-गेहूं मिश्रित आटे की रोटी खा सकते हैं।
- ख़ासतौर पर शाकाहारी लोगों को नियमित रूप से दाल का सेवन करना चाहिए।
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Source: Health