जन्म के समय कम वजन से युवावस्था में सांस की बीमारी संभव, 20 साल में 46% मामले बढ़े

जन्म के समय कम वजन से युवावस्था में सांस की बीमारी संभव, 20 साल में 46% मामले बढ़े



वॉशिंगटन.युवाओं में सांस फूलने की समस्या की एक वजह जन्म के समय वजन कम होना भी है। यह दावा स्वीडन के वैज्ञानिकों ने ताजा स्टडी में किया है। स्टडी में स्वीडन के 2.80 लाख लोगों को शामिल किया गया। जन्म से लेकर 17-24 साल तक उनकी ट्रेकिंग की गई। स्वीडन के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट ने उनकी फिटनेस जांचने के लिए साइकिल चलवाई।इस आधार पर वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि जन्म के समय हर 450 ग्राम ज्यादा वजन से उनकी साइकिल चलाने की क्षमता में वृद्धि देखने को मिली।

शोधकर्ताओं का कहना है कि दौड़ने के दौरान हांफने पर हम खुद की फिटनेस को दोष देते हैं। पर वास्तव में यह समस्या जन्म के समय कम वजन से जुड़ी है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन के मुताबिक दुनियाभर के युवाओं और वयस्कों में कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस कमजोर होने की समस्या तेजी से फैल रही है। पिछले 20 साल में युवाओं में इस तरह के मामले 46% तक बढ़ गए हैं।

दुनियाभर की हेल्थ पॉलिसी पर असर डालेंगेनिष्कर्ष
स्टडी का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर डेनियल बर्गलिंड के मुताबिक, ‘‘दुनियाभर में जन्म लेने वाले 15% बच्चों का औसत वजन 2.5 किलो से भी कम है। इसका असर कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस पर निश्चित रूप से पड़ता है। स्वीडन में1995 से 2017 के बीच यह फिटनेस लेवल में यह कमी 27% से बढ़कर 46% पर पहुंच गई।ये निष्कर्ष दुनियाभर की हेल्थ पॉलिसी पर असर डालेंगे।’’

कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस क्या है
लगातार शारीरिक गतिविधि के दौरान मांसपेशियों को ऑक्सीजन की सप्लाई करने की क्षमता को कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस कहा जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक जन्म के समय ज्यादा वजन वाले बच्चों का फिटनेस लेवल युवावस्था में अच्छा रहा। इसलिए वे टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन कर पाए। स्टडी के सह लेखक विक्टर एलक्विस्ट के मुताबिक, ‘‘प्रसव के दौरान बेहतर देखभाल करके कम वजन की समस्या को दूर किया जा सकता है।’’

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प्रतीकात्मक।

Source: Health

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