
लाइफस्टाइल डेस्क. आर्थराइटिस सिर्फ वयस्कों व वृद्धजनों की समस्या ही नहीं है, बल्कि छह माह से लेकर 16 साल तक के बच्चों और किशोरों में भी इसके लक्षण देखने को मिल सकते हैं। बच्चों और किशोरों में होने वाले आर्थराइटिस को जुवेनाइल आइडियोपेथिक आर्थराइटिस (जेआईए) कहा जाता है।
आइडियोपेथिक शब्द का मतलब है किसी विशेष स्थिति की अज्ञात वजह होना। जब किसी बच्चे का इम्यून सिस्टम अज्ञात कारणों से खराब हो जाता है, तो परिणामस्वरूप यह बीमारी होती है। दरअसल, यह ऑटोइम्यून बीमारी है। मतलब इसमें व्हाइट ब्लड सेल्स (डब्ल्यूबीसी) अपने ही शरीर को निशाना बनाने लगते हैं। वैसे जुवेनाइल आर्थराइटिस क्यों होता है, इसका कोई निश्चित कारण अभी तक साफ नहीं हो पाया है। फिर भी इसका एक बड़ा कारण जेनेटिक माना जाता है। यह बीमारी बच्चे के किसी भी पूर्वज से उसमें आ सकती है। इसके अलावा पोषण की कमी और प्रदूषण इसके अन्य कारण हो सकते हैं। हालांकि इनको लेकर भी विशेषज्ञ निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहते।
शुरुआती दिनों में जेआईए का ज्यादा प्रभाव जोड़ों पर ही देखने को मिलता है, लेकिन समय पर इसका उपचार नहीं होने पर आंखों, त्वचा, हृदय, फेफड़ों और लिवर पर भी इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जेआईए के प्रभावस्वरूप बच्चों की हड्डियों का विकास रुक जाता है। बच्चों में जेआईए के लक्षण नजर आने पर इन्हें हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, विशेष रूप से जोड़ों के दर्द को। सही समय पर इसकी पहचान कर और इसका इलाज करके बच्चे को इस बीमारी के गंभीर असर से बचाया जा सकता है।
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Source: Health