छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों ने बनाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने वाली कुकीज, इससे किसानों की आय बढ़ेगी
By : Devadmin -
रायपुर.छत्तीसगढ़ के मैनपाट के कृषि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी कुकीज तैयार की है, जो ब्लड प्रेशर कम करने में मददगार साबित होगी। यह आम कुकीज की तरह शरीर में वसा नहीं बढ़ाती,बल्कि इसमें मौजूद प्रोटीन और आयरन सेहत को बेहतर बनाने में कारगर हैं। यह कुकी टाऊ (कुट्टू) के आटे से तैयार की जा रही है। टाऊ की खेती सरगुजा संभाग के पहाड़ी इलाकों में की जा रही है। पूरे संभाग के करीब 4 हजार हेक्टेयर में इसकी खेती हो रही है। अकेले मैनपाट में ही 1600 हेक्टेयर में इसकी खेती की जा रही है। टाऊ का आटा ही अब तक बाजार में मौजूद था। अब इससे सेहतमंद कुकीज बनाकर एक नया प्रोडक्ट किसानों की आय बढ़ाने का भी काम करेगा।
कुकीज में हैं येगुण
मैनपाट कृषि केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक संदीप शर्मा ने बताया कि टाऊ (कुट्टू) के आटेमें मैगनीज होताहै, जो हड्डियों के लिए फायदेमंद है। इसमें आयरन, प्रोटीन और कांप्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होता है। यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में भी मददगार है, इसमें में फाइबर के अलावा मैग्नीशियम भी होता है। इस आटे में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स अधिक मात्रा में होता है, जोलिवर के लिए फायदेमंद है। छत्तीसगढ़ में बहुत सी महिलाओं को एनीमिया है, इस आटे में इस रोग के खिलाफ लड़ने वाले तत्व हैं। आम कुकीज में मैदा और शक्कर होतीहै।
यह है प्रोजेक्ट
छत्तीसगढ़ की इंदिरा गांधी कृषि विश्विद्यालय के तहत मैनपाट का कृषि विज्ञान केंद्र काम करता है। यहां के वरिष्ठ वैज्ञानिक संदीप शर्मा ने बताया कि हमारी टीम विश्विद्यालय के कुलपति डॉ. एसके पाटिल के निर्देशन में काम कर रही है। फिलहालकुकीज छोटे पैमाने में बनाई जा रही है। प्रशासन से हमने छोटे प्रोसेसिंग यूनिट की मांग की है। अब तक किसान टाऊ के दाने ही बेच रहे थे। इसकी कीमत उन्हें 40 से 60 रुपए प्रति किलो मिल रही थी। कुकीज को बनाने में 300 रुपए का खर्च आता है। एक किलो आटे में 3 किलो कुकीज बनती है जो 400 रुपए प्रति किलो बेची जा रही है। यह किसानों की आय को दोगुना कर सकता है।
छत्तीसगढ़ में टाऊ
जानकारों के मुताबिक करीब 4 से 5 दशक पहले तिब्बती शरणार्थियों को छत्तीसगढ़ के मैनपाट में बसाया गया। ऊंचाई पर होने वाली फसल टाऊ को यह वर्ग अपने साथ सांस्कृतिक विरासत के तौर पर लेकर छत्तीसगढ़ आया था। तिब्बत की तरह मैनपाट का वातावरण और जलवायु होने के कारण तिब्बतियों का यहीं मन लग गया। अब इनसे सीखकर यहां के आदिवासी और यादव समुदाय के किसान भी टाऊ की खेती कर रहे हैं। अब तक इसका आटा और दाने ही बेचे जा रहे थे। ज्यादातर फायदा इसे बाहरी राज्यों में बेचने वाले बिचौलियों को मिल रहा था। कुकीज के प्रयोग से अब किसानों को बेहद उम्मीदें हैं।
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Source: Health